मुंबई में मंदिर तोड़ने के खिलाफ जैन समुदाय का प्रदर्शन:कोर्ट में सुनवाई से पहले BMC की कार्रवाई; लोग बोले- हम कमजोर नहीं, मंदिर वहीं बनाएंगे

मुंबई के विले पार्ले ईस्ट के कांबलीवाड़ी में 30 साल पुराना पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को BMC की टीम ने 16 अप्रैल को तोड़ दिया। इस कार्रवाई से पहले नगर निगम ने मंदिर को नोटिस भेजा था। जिसके खिलाफ जैन समाज ने एक याचिका भी दायर की थी। इस पर 17 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। ब्रह्ममुंबई की टीम की कार्रवाई सुनवाई से पहले ही की गई। इसके कारण जैन समुदाय के लोग आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने शनिवार को अहिंसक तरीके से अपना गुस्सा जाहिर किया। हजारों की तादाद में महिलाएं–पुरुष सड़कों पर नारे लगाते हुए नजर आए। सभी ने काली प‌ट्‌टी बांधकर बीएमसी का विरोध किया। लोग नारे लगा रहे थे – हम कमजोर नहीं हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। ट्रस्टी बोले- BMC की परमिशन से रेनोवेट करवाया था कांबलीवाड़ी में नेमिनाथ सहकारी आवास सोसाइटी में बने मंदिर (चैत्यालय) के ट्रस्टी अनिल शाह ने कहा कि इसे 16 अप्रैल को ढहा दिया गया। शाह ने बताया कि यह मंदिर 1960 के दशक का था और बीएमसी की परमिशन से इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। उन्होंने दावा किया कि एक सरकारी प्रपोजल था, जिसमें कहा गया है कि ऐसे मंदिर को नियमित किया जा सकता है। आपको केवल BMC को नियमितीकरण के लिए प्रपोजल पेश करना होगा और हमने वह BMC को दिया था। मंगलप्रभात लोढ़ा बोले- धर्म की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने भी जैन समुदाय के प्रदर्शन में भाग लिया। लोढ़ा ने BMC की इस कार्रवाई की निंदा की थी। उन्होंने X पोस्ट लिखा- ‘धर्म की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। विले पार्ले में हमारे पूज्य भगवान पार्श्वनाथ जैन मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है, यह सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि हमारी आस्था, संस्कृति और धर्म पर हमला है। यह रैली हमारी एकजुटता दिखाने के लिए है। कांग्रेस बोली- यह पूर्व नियोजित षड्यंत्र कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने इसे षड्यंत्र बताया है। वर्षा ने कहा, “जैन समुदाय की मांग क्या है? मंदिर को ध्वस्त करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उनकी मांग सही है। दो जेसीबी लाई गईं। महिलाओं पर हमला किया गया। जैन समुदाय शांतिपूर्ण है। क्या आपने कभी उसकी आवाज सुनी है। लेकिन आज उन्हें भी सड़कों पर उतरना पड़ा। राजस्थान और मुंबई में जैन समुदाय की रैलियां हो रही हैं। हैरानी की बात यह है कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक और मंत्री भी इस रैली में शामिल हुए। यह उनकी सरकार है। आस्था के स्थान को बनाए रखना उनका काम है। हालांकि, ऐसा होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है। यह कार्रवाई पूर्वनियोजित थी। यह एक षड्यंत्र है।

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