भास्कर न्यूज | जालंधर/ किशनगढ़ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रकाशन विभाग से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 पावन स्वरूपों के लापता होने का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर सोमवार को प्रेस क्लब में सिख सद्भावना दल और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेंस की। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, मनप्रीत सिंह, दिलबाग सिंह, गरना सिंह जहानपुर और अमरजीत सिंह राड़ा ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए घोषणा की कि 7 दिसंबर को सिख जत्थेबंदियां अमृतसर में विशाल धरना-प्रदर्शन करेंगी। जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एसजीपीसी पर आरोप लगाया कि इतने बड़े धार्मिक मुद्दे के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने पंजाब पुलिस के डीजीपी से निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूपों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें बदलने की कोई भी कोशिश भविष्य में गंभीर खतरा साबित हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान अपने अनशन के समय उन्होंने संकल्प लिया था कि जीवित लौटने पर इस मुद्दे को फिर से उठाएंगे। इस दौरान बलदेव सिंह वडाला ने आरोप लगाया कि जब कुछ लोग इस मामले में न्याय की मांग कर रहे थे तो प्रशासन ने उनके खिलाफ ही कार्रवाई की, एफआईआर दर्ज की गईं और प्रदर्शनकारियों से मारपीट भी करवाई गई। उन्होंने 24 अक्टूबर 2020 की घटना का विशेष उल्लेख किया। डल्लेवाल ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद कार्रवाई न होना बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि भाजपा नेताओं से मिलने की कोशिश भी नाकाम रही क्योंकि उन्हें समय नहीं मिला। उनका उद्देश्य एसजीपीसी से 328 लापता स्वरूपों का जवाब मांगना और भाई बलदेव सिंह वडाला व साथियों द्वारा पिछले पांच वर्षों से अमृतसर में किए जा रहे धरने को इंसाफ दिलाना है। हाईकोर्ट के 27 अगस्त के आदेश के बाद भी डीजीपी पंजाब और पंजाब सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं, 1 अक्टूबर को गुरबतन सिंह ने डीजीपी पंजाब के खिलाफ एक कंडेम्नेशन दाखिल किया जिसकी सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। मुआवजा नहीं मिला तो चंडीगढ़ घेरेंगे यूनाइटेड किसान मोर्चा (नॉन- पॉलिटिकल) ने पंजाब सरकार द्वारा पंजाब रोडवेज के प्राइवेटाइजेशन का विरोध किया। स्टूडेंट्स द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंट्रलाइजेशन के खिलाफ संघर्ष को उन्होंने समर्थन दिया और सीनेट इलेक्शन बहाल करने के लिए छात्रों और संगठनों को बधाई दी। उन्होंने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के मोर्चों को गलत तरीके से हटाए जाने, किसानों के सामान की लूट और वादे के बावजूद मुआवजा न मिलने की भी निंदा की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही चोरी हुए सामान का भुगतान नहीं किया गया, तो यूनाइटेड किसान मोर्चा बिना राजनीति के चंडीगढ़ की ओर मार्च करेगा।