जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए करनाल के नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की बहन सृष्टि का हरियाणा के CM नायब सैनी के सामने गुस्सा फूट पड़ा। सृष्टि ने CM को कहा कि डेढ़ घंटे तक कोई वहां नहीं आया। अगर आर्मी आसपास होती तो विनय बच सकता था। मुझे इंसाफ चाहिए। यह वाकया बुधवार (23 अप्रैल) को करनाल में हुआ, जब लेफ्टिनेंट नरवाल का मॉडल टाउन में अंतिम संस्कार किया जा रहा था। बहन सृष्टि ने पहले भाई को कंधा दिया। उसके बाद मुखाग्नि भी दी। वहीं लेफ्टिनेंट विनय की पत्नी हिमांशी की भी एक फोटो सामने आई है। जिसमें करनाल में अंतिम दर्शन के वक्त वह पति के चेहरे को एकटक निहार रही हैं। इससे पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर हिमांशी ने विनय की पार्थिव देह को सैल्यूट किया था। 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट को आतंकियों ने 22 अप्रैल दोपहर करीब 2.45 बजे पहलगाम की बैसरन घाटी में नाम पूछने के बाद सिर में गोली मारी थी। जब फायरिंग की गई, तब उनकी पत्नी हिमांशी साथ थीं। उनकी 7 दिन पहले ही शादी हुई थी। दोनों हनीमून के लिए गए थे। लेफ्टिनेंट की बहन ने CM से क्या-क्या कहा… 1. आतंकी ने 3 बार गोली मारी, कोई मदद के लिए नहीं आया
सृष्टि ने CM सैनी के हाथ पकड़कर कहा- ”विनय ने सिर्फ इतना बोला था वह मुसलमान नहीं है और आतंकी ने 3 बार उन्हें गोली मारी। वहां पर डेढ़ घंटे तक कोई भी नहीं आया, विनय उस वक्त तक जिंदा था। अगर वहां पर आसपास आर्मी होती तो विनय बच सकता था। कोई नहीं आया वहां।” 2. जिन्होंने मेरे भाई को मारा, मुझे उन्हें मुर्दा देखना है
सृष्टि ने CM से कहा- आई वांट जस्टिस। जिन्होंने मेरे भाई को मारा, मुझे उन्हें मुर्दा देखना है। मुझे बदला चाहिए। सृष्टि को बिलखते देख CM का भी गला भर आया। उन्होंने रुंधे हुए गले से सृष्टि को दिलासा दिया और बोले- जिसने मारा, वो मरेगा। केंद्रीय मंत्री खट्टर लेफ्टिनेंट के घर पहुंचकर भावुक हुए
नेपाल दौरा बीच में छोड़ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल पहुंचे। यहां जब वे लेफ्टिनेंट के परिजन को सांत्वना दे रहे थे तो खुद भी भावुक होकर रो पड़े। मौके पर मौजूद अन्य लोगों और नेताओं ने उन्हें संभाला। इसके बाद मंत्री खट्टर ने कहा कि लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत बहुत ही दुखद है। विनय आतंकवादियों का शिकार हो गए। उन्हें देश के लिए लंबे समय तक सेवा करनी थी। आतंकवादियों ने जो कृत्य किया है, वह निंदनीय है। परिवार से मिलकर खट्टर ने 3 अहम बातें कहीं… 1. अगर टूरिस्ट सुरक्षित नहीं हुए तो बहुत दिक्कत आएगी
इस मौके पर मंत्री खट्टर ने कहा- आतंकवादियों ने जो कृत्य किया है, वह निंदनीय है। जो 26 लोग मारे गए हैं। अगर पाकिस्तान ने अभी भी इस प्रकार की कोई हिमाकत की तो उसे भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। 2. पहली बार कश्मीर के लोग आतंक के खिलाफ खड़े
आज दुनिया के देश आतंकवाद के मामले में हमारे साथ खड़े हैं। इन घटनाओं का बदला लेने के लिए जो भी करना होगा, वह किया जाएगा। आज देश एक है। कश्मीर के लोग भी आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं। 3. शहीद के दर्जे पर नीति के हिसाब से फैसला लेंगे
विनय नरवाल को शहीद का दर्जा दिए जाने के सवाल पर खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार की कुछ पॉलिसी होती हैं। चूंकि यह प्रत्यक्ष युद्ध नहीं है, आतंकवादियों का एक हमला था, इसलिए इसमें जो भी भारत सरकार की नीति होगी, उसके अनुसार काम किया जाएगा। इस बीच गुरुवार को रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुड्डा लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज हम निशब्द हैं, लेकिन देश जवाब देगा। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए, लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की कहानी…. 3 साल पहले नेवी में भर्ती हुए थे
विनय नरवाल मूल रूप से करनाल के भुसली गांव के रहने वाले थे, लेकिन 15 साल से उनका परिवार सेक्टर-7 में रह रहा है। 3 साल पहले उनका चयन नेवी में हुआ था। विनय की ड्यूटी केरल के कोच्चि में थी। उनका 2 महीने पहले ही गुरुग्राम की हिमांशी के साथ रिश्ता पक्का हुआ था। 28 मार्च को विनय शादी के लिए छुट्टी लेकर आए थे। 16 अप्रैल को मसूरी में उनकी शादी हुई। 19 तारीख को करनाल में रिसेप्शन पार्टी रखी गई थी। शादी के बाद उनका यूरोप में हनीमून का प्लान था। इसके लिए वीजा भी अप्लाई किया था, लेकिन वीजा नहीं लग पाया और यूरोप जाने का प्रोग्राम कैंसिल हो गया। इसके बाद 21 अप्रैल को दोनों जम्मू-कश्मीर के लिए निकल गए। पत्नी हिमांशी बोली- नाम पूछकर गोली मारी
22 अप्रैल को वे पहलगाम में होटल में ठहरे हुए थे। हिमांशी ने कहा कि जब वे बैसरन घाटी में घूम रहे थे, उसी दौरान आतंकियों ने विनय पर फायरिंग कर दी। जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हिमांशी ने कहा कि आतंकियों ने नाम पूछकर गोली मारी। हिमांशी का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें हिमांशी कह रही है कि मैं अपने पति के साथ भेलपुरी खा रही थी। एक आदमी आया और कहा ये मुस्लिम नहीं है, फिर गोली मार दी। दिल्ली में नौसेना चीफ ने श्रद्धांजलि दी
विनय की मौत की सूचना मिलते ही उनके पिता, बहन और ससुर रात को ही कश्मीर रवाना हो गए थे। वहां बुधवार सुबह विनय का पोस्टमॉर्टम हुआ। जिसके बाद पार्थिव देह हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंची। यहां नौसेना चीफ एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। पत्नी पार्थिव देह से लिपटीं, बोलीं- आई एम प्राउड ऑफ यू
दिल्ली एयरपोर्ट पर नवविवाहित पत्नी हिमांशी लेफ्टिनेंट के पार्थिव देह से लिपटकर रो पड़ीं। हिमांशी ने विनय के लिए कहा- आई एम प्राउड ऑफ यू (मुझे आप पर गर्व है)। हिमांशी ने विनय को सैल्यूट करते हुए जय हिंद कहा। जितने भी दिन साथ में गुजारे, वे बेस्ट थे। मैं अब कैसे जीऊंगी? मैं आपको हर पल याद रखूंगी। आपको सर्वश्रेष्ठ जीवन मिले। शाम को घर पहुंचा पार्थिव शरीर, बहन ने दी मुखाग्नि
इसके बाद दिल्ली से एम्बुलेंस में पार्थिव शरीर करनाल लाया गया। यहां कुछ देर के लिए पार्थिव शरीर घर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद पार्थिव शरीर फूलों से सजी गाड़ी में श्मशान घाट ले जाया गया। इस दौरान गाड़ी में पिता हाथ जोड़े खड़े दिखे। लोगों ने लेफ्टिनेंट की पार्थिव देह पर फूल बरसाए। इसके साथ विनय नरवाल अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। बहन सृष्टि और चचेरे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। —————————— ये खबरें भी पढ़ें… पहलगाम हमले में मारे गए नेवी लेफ्टिनेंट का अंतिम संस्कार, बहन ने मुखाग्नि-कंधा दिया जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का बुधवार (23 अप्रैल) को करनाल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। CM नायब सैनी और पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। विनय की बहन CM नायब सैनी के सामने फूट-फूट कर रोई। पूरी खबर पढ़ें… शादी के 7वें दिन हरियाणा के लेफ्टिनेंट को गोली मारी, यूरोप वीजा नहीं मिला तो हनीमून मनाने पहलगाम गए थे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने जिन टूरिस्ट की हत्या की, उनमें हरियाणा के करनाल के रहने वाले नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी थे। वह 3 साल पहले ही नेवी में भर्ती हुए थे। उनकी 7 दिन पहले ही मसूरी में डेस्टिनेशन वेडिंग हुई थी। इसके बाद वह पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने के लिए पहलगाम गए थे। दादा हवा सिंह ने बताया- पहले विनय-हिमांशी हनीमून मनाने के लिए यूरोप जा रहे थे। लेकिन, ऐन मौके पर वीजा नहीं मिला तो वे जम्मू-कश्मीर चले गए। दादा हवा सिंह रुंधे गले से कहते हैं। काश, उनका यूरोप का वीजा लग जाता तो पोता विनय आज हमारे बीच होता. (लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पूरी कहानी पढ़ें…)