हेट स्पीच केस में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति समीर जैन की बेंच ने मामले की सुनवाई की। दोनों पक्षों ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अब्बास अंसारी मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया। अब इस मामले पर फैसला सुनाया जाएगा। इससे पहले 22 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हेट स्पीच के मामले में हुई 2 साल की सजा स्थगित करने की मांग में दाखिल अब्बास अंसारी की रिवीजन पिटीशन पर सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख लगाई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने अब्बास अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र और अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, एजीए संजय सिंह को सुनकर दिया है। अब पढ़िए पूरा मामला… बीते 31 मई को मऊ में सेशन कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अब्बास के साथ ही उनके चुनाव एजेंट मंसूर को 6 महीने की सजा सुनाई गई। दोनों पर 2-2 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। जबकि अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी को बरी कर दिया था। विधायक के वकील दरोगा सिंह ने कहा- सजा होने के बाद अब्बास और मंसूर ने 20-20 हजार के बेल बॉन्ड भर दिए, जिसके बाद दोनों को जमानत मिल गई। एक जून को चली गई थी विधायकी सजा के ऐलान के साथ ही विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने अब्बास की सदस्यता समाप्त कर सीट को रिक्त घोषित करने का आदेश जारी कर दिया था। साथ ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उपचुनाव कराने का प्रस्ताव भी भेज दिया था। इसके बाद 1 जून को यूपी विधानसभा सचिवालय ने माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की विधायकी खत्म कर दी। उनकी मऊ विधानसभा सीट को खाली घोषित कर दिया गया। वहीं इस सीट पर दावेदारी को लेकर भाजपा और सुभासपा के बीच घमासान छिड़ गया था। अब हेट स्पीच का पूरा मामला समझिए… बात 3 मार्च, 2022 की है। अब्बास ने मऊ के पहाड़पुर मैदान में चुनावी रैली की। इसमें कहा- यहां पर जो आज डंडा चला रहे हैं। अगले मुख्यमंत्री होने वाले अखिलेश भैया से कहकर आया हूं। सरकार बनने के बाद छह महीने तक कोई तबादला और तैनाती नहीं होगी। जो हैं, वह यहीं रहेगा। जिस-जिस के साथ जो-जो किया है, उसका हिसाब किताब यहां देना पड़ेगा। इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने तब अब्बास अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 24 घंटे तक प्रचार पर रोक लगा दी थी। 4 अप्रैल, 2022 को तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर शहर कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी। इसमें अब्बास, उनके छोटे भाई उमर अंसारी और चुनाव एजेंट मंसूर के अलावा 150 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन पर IPC की धाराएं- 506 (धमकी), 171F (चुनाव प्रक्रिया में बाधा), 186 (लोक सेवक को बाधित करना), 189 (लोक सेवक को धमकाना), 153A (साम्प्रदायिक वैमनस्य) और 120B (षड्यंत्र) जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई थीं।सजा के ऐलान के बाद कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। पुलिस के साथ एसओजी के जवान भी तैनात रहे। कोर्ट में पेशी से पहले अब्बास के एक समर्थक ने जबरन कोर्ट में घुसने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अब्बास ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा से विधायक हैं। वह अपने छोटे भाई उमर अंसारी और समर्थकों के साथ शनिवार सुबह 8 बजे कोर्ट पहुंचे। उन्होंने हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन भी किया। अब्बास का वह वीडियो देखिए, जिस पर उन्हें दोषी ठहराया… आखिर में पढ़िए अब तक किन-किन नेताओं की विधायकी या सांसदी गई- इस नियम के तहत जाती है सदस्यता
रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा। ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है। इस दौरान अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती। अगर वह अपील नहीं करता है तो तीन महीने बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है। हालांकि, जुलाई 2013 में लिली थॉमस vs यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (4) के तहत मिली छूट को असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सांसद या विधायक दोषी करार दिए जाते हैं और उन्हें 2 साल या इससे ज्यादा साल की सजा सुनाई, तो दोषी करार होते ही उनकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी।