भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मनप्रीत सिंह बादल आज (13 अक्टूबर) अमृतसर स्थित भाजपा जिला कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान पंजाब में आई बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही और आपदा प्रबंधन में भारी चूक के चलते जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा। बादल ने कहा कि पंजाब सरकार ने मौसम विभाग की चेतावनियों, आपदा प्रबंधन योजना और एसडीआरएफ के दिशा-निर्देशों को अनदेखा किया। बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान, नदियों के किनारे कमजोर तटबंधों की मरम्मत और आपात तैयारियों में कोई ठोस काम नहीं हुआ। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने 200 करोड़ खर्च करने की बात कही, लेकिन जमीन पर कोई असर नहीं दिखा। डैम, अवैध खनन को बताया बाढ़ का कारण बीजेपी नेता बादल ने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय पिछले साढ़े तीन वर्षों में तीन मंत्रियों के अधीन रहा, जिससे नीति और क्रियान्वयन में निरंतरता नहीं रही। केंद्र सरकार ने पंजाब को आपदा प्रबंधन के लिए 240 करोड़ रुपए की सहायता दी और प्रधानमंत्री मोदी ने 1,600 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा भी की। इसके बावजूद पंजाब सरकार राहत पहुंचाने में पूरी तरह विफल रही। रणजीत सागर डैम के गेट टूटने और अवैध खनन को बाढ़ का बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने सरकार से पूछा कि जिन कंपनियों को टेंडर दिए गए, उनका कामकाज और जिम्मेदारी स्पष्ट क्यों नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त प्राइवेट निरीक्षण कंपनी अभी तक ब्लैकलिस्ट नहीं की गई। हेलिकॉप्टर प्रचार में, बोट्स सिर्फ 15 मनप्रीत बादल ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री द्वारा बाढ़ राहत के लिए इस्तेमाल होने वाला सरकारी हेलिकॉप्टर प्रचार के लिए अधिक प्रयोग हुआ, जबकि बाढ़ प्रभावित जिलों में केवल 15 मोटर बोट्स थीं। उन्होंने कहा कि 2025 में सरकार ने मानसून के दौरान खनन पर रोक लगाने का कोई औपचारिक आदेश भी जारी नहीं किया, और जब प्रदेश बाढ़ से जूझ रहा था, तब मुख्यमंत्री तमिलनाडु के एक कार्यक्रम में मेहमान बनकर व्यस्त थे। बादल ने मांग की कि मुख्यमंत्री भगवंत मान 14,000 करोड़ रुपए के आपदा राहत फंड का पूरा हिसाब जनता के समक्ष प्रस्तुत करें और केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने की बजाय अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें।