पंजाब सहित उत्तर भारत में इस बार दिवाली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। कहीं 20 अक्टूबर को दिवाली मनाने की चर्चा थी, तो कहीं 21 अक्टूबर को पूजन का दावा किया जा रहा था। हालांकि, अब धर्मगुरुओं ने इस असमंजस को दूर करते हुए स्पष्ट किया है कि शास्त्रों के अनुसार दिवाली 21 अक्टूबर (सोमवार) को ही मनाई जाएगी। सनातन धर्म गुरु पंडित अजय वशिष्ठ ने बताया कि दिवाली का पर्व पितृ पूजन और लक्ष्मी पूजन से जुड़ा होता है। पहले दिन में पितृ पूजन किया जाता है और रात में लक्ष्मी पूजन होता है। उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर को दिन में अमावस्या तिथि नहीं रहेगी, इसलिए उस दिन पूजन करना शास्त्रसम्मत नहीं है। 21 को दिवाली मनाई जाएगी पंडित अजय ने आगे कहा कि निर्णय सिंधु और अन्य शास्त्रों के अनुसार वहीं तिथि मान्य मानी जाती है जो सूर्योदय के समय विद्यमान हो। इस वर्ष अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर को सूर्योदय से लेकर शाम तक रहेगी, इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा और दीपोत्सव उसी दिन करना उचित होगा। दिवाली का संबंध अमावस्या तिथि से
अमृतसर के प्रसिद्ध दुर्गियाना मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मेघनाथ शास्त्री ने भी यही पुष्टि की है कि दिवाली का पर्व 21 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिवाली का संबंध अमावस्या तिथि से होता है और जब सूर्य उदय के समय अमावस्या होती है, तभी यह पर्व मनाया जाता है।
पंडित शास्त्री ने बताया कि दिवाली के कई पूजन मुहूर्त होते हैं, लेकिन प्रदोष काल (शाम 5 बजे के बाद से सूर्यास्त तक) सबसे शुभ माना गया है। इस वर्ष यह काल 21 अक्टूबर की शाम को रहेगा, इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। अमृतसर में 21 अक्टूबर को सजेगा दुर्गियाना मंदिर
अमृतसर के दुर्गियाना मंदिर में 21 अक्टूबर को भव्य दीपोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर को दीपों, रंग-बिरंगी लाइटों और पुष्पों से सजाया जाएगा। भक्तों के लिए विशेष लक्ष्मी-गणेश पूजा और आरती कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। शास्त्री जी ने बताया कि इस दिन मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालु पहुंचेंगे और पूरे दिन वातावरण भक्ति और उल्लास से सराबोर रहेगा।
20 अक्टूबर को कुछ क्षेत्रों में रहेगी परंपरागत मान्यता
पंडित मेघनाथ शास्त्री ने यह भी कहा कि कुछ पारंपरिक क्षेत्रों में जैसे बनारस और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में स्थानीय पंचांगों के अनुसार 20 अक्टूबर को भी पूजन किया जा सकता है। लेकिन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली सहित उत्तर भारत के अधिकांश स्थानों पर 21 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली भारत का सबसे प्रमुख त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और नगरवासियों ने दीपों से उनका स्वागत किया था।
इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर धन, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। घरों को दीपों, मोमबत्तियों और रंगीन लाइटों से सजाया जाता है तथा परिवार और समाज में खुशियों का माहौल बनता है।