अरावली की 100-मीटर की परिभाषा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती:राजस्थान, हरियाणा और केंद्र सरकार को नोटिस; कमेटी की सिफारिश को बताया विरोधाभासी

प्रदेश से गुजर रही अरावली पर्वतमाला का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। हरियाणा के वन विभाग के रिटायर अधिकारी आरपी बलवान ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिश को चुनौती दी है। इस सिफारिश में 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली के रूप में मान्यता देने की बात कही गई है। पूर्व वन संरक्षक आरपी बलवान ने यह प्रार्थना पत्र सुप्रीम कोर्ट में पहले से चल रहे गोदावर्मन मामले में दाखिल किया है। प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, हरियाणा, केंद्र सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन अवकाश के बाद इस मामले में सुनवाई करेगा। कमेटी की सिफारिश विरोधाभासी
प्रार्थना पत्र में कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय की कमेटी की ओर से पेश शपथपत्र में वन सर्वेक्षण द्वारा दी गई 3 डिग्री ढलान की परिभाषा को अधिक वैज्ञानिक होने के बावजूद स्वीकार नहीं किया गया। ऐसे में कमेटी की ओर से पेश शपथपत्र विरोधाभासी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अरावली पर्वतमाला गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई है। वहीं थार रेगिस्तान और उत्तरी मैदानों के बीच अवरोधक के रूप में खड़ी है। इस पर्वतमाला के लिए 100 मीटर की परिभाषा इसके बड़े हिस्से को कानूनी संरक्षण के बाहर कर देगी। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी मुद्दा नहीं है। यह उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के पर्यावरणीय भविष्य को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भू-आकृति को ही अरावली पहाड़ी माना जाएगा। इस मानक से अरावली की 90% से ज्यादा पहाड़ियां संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। इस फैसले के बाद अरावली को बचाने की आवाजें तेज हो गईं। माउंट आबू से 1000 किमी ‘अरावली आंदोलन’ का आगाज
अरावली को बचाने और उसकी सुरक्षा को लेकर 1000 किलोमीटर लंबी ‘अरावली आंदोलन’ जनयात्रा बुधवार को सिरोही के माउंट आबू में शुरू हुई। अर्बुदा देवी मंदिर से यात्रा का आगाज हुआ। यात्रा का नेतृत्व राजस्थान यूनिवर्सिटी (जयपुर) के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी कर रहे हैं। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे भविष्य को बचाने के लिए इस आंदोलन से जुड़ें। चौधरी ने कहा- यह लड़ाई सिर्फ पहाड़ों की नहीं, बल्कि जीवन की है। (पूरी खबर पढ़ें) अरावली पर पक्ष-विपक्ष लगा रहे एक-दूसरे पर आरोप
अरावली पर्वतमाला का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से गुजर रहा है। ऐसे में अरावली को लेकर सबसे ज्यादा घमासान यहीं मचा हुआ है। कांग्रेस के साथ पर्यावरण से जुड़े कई संगठन ‘सेव अरावली’ अभियान चला रहे हैं। पूर्व सीएम अशोक गहलोत से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित पूरा विपक्ष भाजपा सरकार पर अरावली को नष्ट करने का आरोप लगा रहा है। वहीं अलवर से सांसद और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, सीएम भजनलाल शर्मा सहित सत्ता पक्ष विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। …………. ये खबर भी पढ़ें… पीली हो जाएगी गुलाबी नगरी, बिना झीलों का उदयपुर:दिनभर धूल के तूफान, बिना मास्क सांस नहीं, AI से देखिए अरावली खत्म होने के खतरे राजस्थान से अरावली की पहाड़ियां खत्म हो गईं तो यहीं मजाक डरावनी हकीकत बनकर सामने आ सकता है। अरावली खत्म होने की बात हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक नई परिभाषा के अनुसार 100 मीटर से ऊंची पहाड़ी को ही अरावली माना जाएगा। (पूरी खबर पढ़ें) अरावली न हो तो पाकिस्तान में बरसेगा राजस्थान का मानसून:1.50 लाख से ज्यादा पहाड़ियों पर खनन का खतरा, अब तक 25% चोटियां खत्म, पार्ट-2 सुप्रीम कोर्ट ने वन पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अरावली की पहाड़ियों की नई परिभाषा को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार दिल्ली से राजस्थान और गुजरात तक 700 किमी में फैली पहाड़ियां 100 मीटर से कम ऊंची हैं तो उन्हें अरावली में नहीं गिनेंगे। (पूरी खबर पढ़ें) अरावली पर्वत बचाने के लिए आंदोलन, जोधपुर में लाठीचार्ज:राजस्थान के कई शहरों में पुलिस-प्रदर्शनकारी भिड़े, सीकर में हर्ष पर्वत पर चढ़े लोग राजस्थान में अरावली पर्वत श्रंखला में खनन को मंजूरी मिलने से नाराज लोगों ने सोमवार को प्रदर्शन किया। कांग्रेस और सामाजिक संगठनों के लोगों की उदयपुर कलेक्ट्रेट में पुलिस से धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। यहां पुलिस ने कुछ कार्यकर्ताओं को अरेस्ट भी कर लिया। सीकर में 945 मीटर ऊंचाई पर स्थित हर्ष पर्वत पर प्रदर्शन किया गया। (पूरी खबर पढ़ें) अरावली के लिए राष्ट्रपति के नाम खून से लिखी चिट्ठी:कलेक्टर टीना डाबी को सौंपी; ग्रीनमैन बोले- मेरे खून से नहीं, अरावली के आंसूओं से लिखी है अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और बदलाव का विरोध जगह-जगह हो रहा है। इस कड़ी में ग्रीनमैन नरपतसिंह राजपुरोहित ने अपने खून से राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन लिखा। बुधवार को बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी को ज्ञापन दिया। अरावली बचाओ जैसे स्लोगन भी लिखे। पूरी खबर पढ़िए

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