जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे। मठ में उन्होंने लक्ष्मी गणेश की पूजा की। उन्होंने कहा- भारत की आत्मा उसकी संस्कृति और आस्था में बसती है। कौन सत्ता में आएगा और कौन नहीं, यह राजनीति का विषय हो सकता है। लेकिन, गौ माता की रक्षा और सनातन मूल्यों की दोबारा स्थापना आज नहीं तो कल जरूर होगी। यह हमारा कर्तव्य है, राजनीतिक एजेंडा नहीं। महादेव को I Love कहा, उनकी गरिमा का अपमान
उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रतीकों का दुरुपयोग करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे यहां भगवान महादेव को ‘I Love’ कहकर संबोधित करना उनकी गरिमा का अपमान है। भगवान आराधना के विषय हैं, आकर्षण की वस्तु नहीं। यह हमारी संस्कृति की मर्यादा के खिलाफ है। चुनावी मंचों से भी ऐसे नहीं बोलना चाहिए। शंकराचार्य ने चिंता जताई और चुनाव आयोग से अपील की है कि ऐसे कृत्यों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना था कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं। विदेशी सोच हमारे नेतृत्व पर हावी है, तो स्वदेशी कैसे
स्वदेशी विषय पर उन्होंने नेताओं की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा- जब हमारे प्रधानमंत्री काशी के विकास के लिए क्योटो को मॉडल बनाते हैं। यहां प्रतिनिधिमंडल भेजते हैं, तब यह दिखाता है कि अभी भी विदेशी सोच हमारे नेतृत्व पर हावी है। हर भारतीय स्वदेशी अपनाए, अपनी संस्कृति पर गर्व करे
उन्होंने कहा- जब नेता ही स्वदेशी नहीं हैं, तो जनता से स्वदेशी की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? विदेशी आक्रमणकारियों के दौर से लेकर आज तक भारत की आत्मा को आघात पहुंचाया गया है। लेकिन, अब समय आ गया है कि हर भारतीय स्वदेशी अपनाए। अपनी संस्कृति पर गर्व करे। शंकराचार्य ने एक ही संदेश दिया कि भारत को भारत ही रहने दो, उसे किसी और की छाया मत बनाओ।