झांसी के वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन के ओवर ब्रिज पर गर्भवती की सामान्य डिलीवरी कराने वाले आर्मी के डॉक्टर की पूरे देश में चर्चा है। जिस प्रकार उन्होंने विपरीत परिस्थिति में पॉकेट नाइफ (जेब में रखा जाने वाला चाकू) का इस्तेमाल कर सुरक्षित प्रसव कराया, उसने उन्हें सोशल मीडिया पर भी हीरो बना दिया। आर्मी के डॉक्टर मेजर रोहित डिलीवरी कराते हुए इस बात का भी ध्यान रखा कि चाकू से मां या बच्चे को संक्रमण न हो। इसके लिए उन्होंने सिगरेट के लाइटर का इस्तेमाल किया। बता दें 5 जुलाई को ट्रेन से उतरी महिला ने रेल मदद पर प्रसव पीड़ा होने के बाद रेलवे से मदद मांगी थी। इसके बाद रेल प्रशासन ने सबसे पहले अपनी महिला टिकिट चेकिंग स्टाफ को ट्रेन पर भेजकर महिला की स्थिति का आंकलन किया और फिर उसे व्हील चेयर की मदद से प्लेटफॉर्म नंबर 1 लाने की व्यवस्था की। लेकिन महिला को लिफ्ट से ओवर ब्रिज पर लाते ही बेतहाशा दर्द होने लगा, इसी दौरान उसे झांसी आर्मी कैंट में तैनात डॉक्टर मेजर रोहित मिल गए। उन्होंने महिला को देखते ही समझ लिया था कि वह अस्पताल तक नहीं पहुंच सकेगी। इसके बाद उन्होंने अपना फर्ज सर्वोपरि रखते हुए ओवर ब्रिज पर ही महिला का प्रसव करा दिया। लेकिन ये इतना आसान नहीं था। लेकिन मानवता की सेवा में बिना किसी स्वार्थ के जुट जाने वाले डॉक्टर मेजर रोहित, रेलवे डॉक्टर सुरजीत, रेलवे कीं महिला टिकट चेकिंग स्टाफ, रेलवे हॉस्पिटल की नर्स, आया और स्टेशन के कुली सभी ने महिला को परिवार की तरह कठिन समय में न केवल सहारा दिया बल्कि, उसकी निजता और स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखा। सफल और सुरक्षित प्रसव हो जाने के बाद रेलवे की महिला टिकट चेकिंग कर्मी उन्हें दुलारते हुए स्टेशन के बाहर खड़ी एम्बुलेंस में भी बिठाने आईं। आर्मी डॉक्टर रोहित और रेलवे स्टाफ की अब सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है। वहीं, झांसी से दिल्ली पहुंचे डॉक्टर मेजर रोहित ने एक उस दिन हुआ पूरा घटनाक्रम भी साझा किया है। अब पढ़िए आर्मी डॉक्टर मेजर रोहित बचवाला ने क्या कहा… हैदराबाद के रहने वाले और पूर्व वायुसेना कर्मी के बेटे डॉक्टर मेजर रोहित बचवाला झांसी कैंट में सेना पुलिस के मेडिकल ऑफिसर हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को वह छुट्टी पर जाने के लिए झांसी स्टेशन पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि जब मैं ब्रिज के ऊपर पहुंचा तो मैंने देखा कि एक महिला जो प्लेटफॉर्म नंबर 2 की लिफ्ट से व्हीलचेयर पर निकल रही है और उसे तेज दर्द हो रहा है, जिससे वह बहुत तेज चीख रही थी। यह देखते ही मैं वहीं रुक गया और महिला से बात करते हुए उसे बताया कि मैं डॉक्टर हूं। इसके बाद मैंने उसका परीक्षण किया तो आभास हो गया कि उसे कहीं ले जाया नहीं जा सकता है, डिलीवरी तुरंत और इसी जगह करानी होगी। वहीं, महिला दर्द से चीखते हुए कहा रही थी कि मैं मर जाऊंगा। मैंने उन्हें सबसे पहले ये कहा कि घबराएं नहीं मैं वादा करता हूं कि आपको और आपके बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगा। मुझे कुछ चीजों की जरूरत थी, जिससे डिलीवरी करा सकूं। मेरे पास पॉकेट नाइफ था, जिसे मैंने लाइटर से स्टरलाइज किया। इसके बाद महिला की सुरक्षित डिलीवरी करा दी। वहीं, बच्चे को मां से नाल काटकर अलग करने के लिए मैंने हियर क्लिप का इस्तेमाल किया। 15 मिनट तक दर्द कम करने के लिए मां को दी मसाज रेलवे स्टेशन के ओवर ब्रिज पर प्रसव के बाद महिला का दर्द कम नहीं हो रहा था। डॉक्टर मेजर रोहित बताते हैं कि ऐसे में मैंने उसका दर्द कम करने के लिए लगभग 15 मिनट तक मसाज दी। लेकिन उसका दर्द कम नहीं हो रहा था। इसके बाद मैंने अपनी स्किल्स का इस्तेमाल करते हुए महिला को कुछ थैरेपी देकर दर्द कम करने का प्रयास किया। इससे कुछ सेकेंड के लिए राहत होती थी, फिर दर्द शुरू हो जाता था। पहले बच्ची नहीं रोई, जब रोई तो चुप नहीं हुई डॉक्टर मेजर रोहित बचवाल आगे बताते हैं कि सुरक्षित प्रसव के बाद बच्ची रो नहीं रही थी, जिसके बाद मैंने अपने अनुभव से उसे थैरेपी दी तो वह रोने लगी। इससे मुझे बहुत खुशी मिली कि बच्ची सामान्य है। डॉक्टर रोहित ने बताया कि प्लेसेंटा को मां से अलग करने के लिए स्वाभाविक है कि वहां ऑपरेशन थिएटर वाले कोई उपकरण तो मौजूद नहीं थे, इसलिए मैंने मेरे पास जो ग्लब्स थे उनका इस्तेमाल कर मां से प्लेसेंटा को अलग किया।इसके बाद उनका दर्द कम हुआ। डॉक्टर बताते हैं कि मां और बच्ची दोनों खुश थे। उन्होंने बताया कि बच्ची पहले रोई नहीं, लेकिन जब रोई तो फिर शांत नहीं हो रही थी। यह भी अजीब से खुशी देने वाला पल था। आर्मी डॉक्टर बोले, रेलवे ने हर तरह से रखा महिला का ख्याल रेलवे और आर्मी के डॉक्टर रोहित ने जिस प्रकार एक महिला की ततपरता से मदद की है। वह पूरे देश में मिसाल बन गई है।यहां डॉक्टर मेजर रोहित बचवाला ने रेलवे की खूब सराहना की है। उन्होंने बताया कि स्टेशन पर रेलवे की महिला टिकट चेकिंग स्टाफ, हॉस्पिटल स्टाफ व दूसरे स्टाफ ने प्रेगनेंट महिला की डिलीवरी कराने में बहुत मदद की है। डिलीवरी में जिस भी चीज की जरूरत पड़ी रेलवे स्टाफ ने तुरंत वह चीज मंगवाई। साथ ही महिला की निजता का भी पूरा ख्याल रखा गया, जो काबिल-ए-तारीफ है। एक पब्लिक प्लेस पर इतनी बढ़िया व्यवस्था होना बहुत अच्छा लगा।