अमनदीप सिंह | अमृतसर पंजाब सरकार भले ही दावा करती हो कि शिकायतों का ऑनलाइन निपटारा अब पहले से तेज और पारदर्शी है, लेकिन अमृतसर में पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर की गई एक शिकायत ने इस सिस्टम की हकीकत उजागर कर दी। एक समाजसेवी ने जनवरी में 3 टॉप अफसरों को ऑनलाइन शिकायत भेजी थी, जो 4 महीने में 12 से ज्यादा अफसरों के पास घूमती रही मगर किसी ने कार्रवाई नहीं की और वन विभाग ने आखिर में झूठा ‘रिज़ॉल्व’ का टैग लगाकर मामला बंद कर दिया। समाजसेवी अनिल खन्ना ने बताया कि 16 जनवरी 2025 को पुलिस कमिश्नर, नगर निगम कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर को आर्य समाज स्कूल, कटड़ा मोती राम में पेड़ों की बेरहमी से कटाई की शिकायत ऑनलाइन की थी। शिकायत में बताया गया कि किस तरह पेड़ काटे गए और लकड़ी भी मौके से ले जाई गई। शुरुआत में अफसरों ने कोई जवाब नहीं दिया, बाद में एक-दूसरे को मेल फारवर्ड करना शुरू कर दिया। कुल मिलाकर 12 से ज्यादा अफसरों के इनबॉक्स में शिकायत पहुंची मगर किसी ने कार्रवाई नहीं की, न ही जिम्मेदारी तय की। डिप्टी कमिश्नर ने शिकायत को पंजाब सरकार के पोर्टल पर डाला। वहां से कॉल आय, “क्या आपकी शिकायत हल हो गई?” जब उन्हें बताया गया कि कोई कार्रवाई ही नहीं हुई, तो जवाब मिला कि “आपकी कंप्लेंट वन विभाग को भेजी गई थी, उन्होंने इसे रिज़ॉल्व कर दिया है। जब उन्होंने पूछा कि आखिर किस आधार पर इसे हल मान लिया गया, तो बताया गया कि “वन विभाग ने जवाब भेजा है कि यह इलाका उनकी सीमा में नहीं आता। यानी न सिर्फ विभाग ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया, बल्कि सिस्टम में गलत रिपोर्ट भी दर्ज कर दी कि शिकायत हल हो चुकी है। बसंत विहार, गली नंबर-2, छेहर्टा निवासी रोबिन सिंह ने बताया कि इलाके में स्ट्रीट लाइटें कई दिन से बंद हैं। उन्होंने डीसी और नगर निगम कमिश्नर को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई थी। एक हफ्ता बीत चुका है मगर न लाइटें ठीक हुईं, न कोई अधिकारी मौके पर आया। सबसे हैरानी की बात यह है कि जब उन्होंने दोबारा सिस्टम में अपनी शिकायत की स्थिति देखी, तो उसमें लिखा था “रिज़ॉल्व्ड’। ^सभी ऑनलाइन शिकायतों का निपटारा निगम कमिश्नर और वह खुद करवाते हैं। अगर कोई ऑनलाइन शिकायत रह गई है तो वह इसका समाधान करवाएंगे। – सुरिंदर सिंह, एडिशनल निगम कमिश्नर