कांवड़ रूट पर QR कोड स्कैन करके धर्म पूछ रहे:मेरठ में हिंदू संगठन एक्टिव, कांवड़िए बोले- कांवड़ अपवित्र होने का खतरा कम

कांवड़ यात्रा पर यूपी में सियासत गरमाने लगी है। यूपी CM योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने सख्त नियम लागू किए। इसको लेकर 3 तरह के आदेश हैं- पहला- कांवड़ रूट पर ढाबा-रेस्टोरेंट वालों को अपनी पहचान बोर्ड पर लिखनी होगी। दूसरा- दुकानों पर लाइसेंस और पहचान पत्र लगाना होगा। तीसरा- कांवड़ यात्रा रूट पर खुले में मांस बिक्री नहीं होगी। इसके बाद मेरठ से मुजफ्फरनगर के 540Km लंबे रूट पर विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने रेस्टोरेंट, दुकान और ढाबों पर पहुंचकर नाम और धर्म पूछना शुरू कर दिया है। वह वराह (विष्णु के अवतार) की तस्वीर भी इन दुकानों पर चस्पा कर रहे हैं। भगवा झंडे लगा रहे हैं, QR कोड स्कैन करके देख रहे हैं कि हिंदू नाम की दुकान को कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति तो नहीं चला रहा है। मेरठ के हाईवे की दुकानों पर भी पदाधिकारी पहुंच रहे। देख रहे कि बोर्ड किस नाम का और इसे चला कौन रहा है? सही पहचान बताई जा रही है या नहीं? मांसाहार तो नहीं परोसा जा रहा है? पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद विहिप पदाधिकारी इसको अपने रिकार्ड में नोट भी कर रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट… पहले कांवड़ियों की बात दिल्ली के कांवड़िए बोले- जहां ठहरते हैं, वहां नाम देखते हैं
स्थितियों को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम नेशनल हाईवे-58 पर पहुंची। हरिद्वार से जल लेकर दिल्ली जा रहे कांवड़ियों से मुलाकात हुई। दुकानों पर नेम प्लेट के आदेश को लेकर हमने बातचीत की। दिल्ली के कांवड़िए कमल कहते हैं- हम 16 जून को हरिद्वार के लिए चले थे। गंगा जल को दिल्ली के शिवालय पर अर्पित करने की तैयारी है। हमनें पूछा- खानपान को लेकर क्या सावधानी रखते हैं? कमल कहते हैं- हम जहां पर ठहरते हैं, पहले देखते हैं कि वो लोग कौन हैं? क्या पका रहे हैं? हिंदू या मुस्लिम हैं। अगर वहां खाने में लहसुन-प्याज पड़ रहा होता है, तो मना करते हैं। कांवड़िए बोले- नेम प्लेट लगने से अब परेशानी कम हो रही
हमने पूछा- क्या नेम प्लेट का आदेश सही है? कमल ने कहा- जी, बिल्कुल…योगी सरकार का आदेश बिल्कुल सही है। दुकानों पर बोर्ड तो लगा होना ही चाहिए। हमें कई जगह रेस्टोरेंट पर नेम प्लेट और झंडे लगे मिल रहे हैं। हमने पूछा- पहले क्या कोई दिक्कत आई है? उन्होंने कहा- बस यही पता नहीं चलता था कि ये लोग कौन हैं, इसलिए अलग से बातचीत करनी पड़ती थी। कमल के साथ जल लेने जा रहे अमन कहते हैं- हम सिर्फ हिंदू ढाबों पर ठहरते हैं। क्योंकि अब नेम प्लेट लगी हुई है। इसलिए बहुत परेशानी नहीं हो रही है। इससे पहले पानी भी पीने के लिए ठहरते थे, तो पहले बात करते थे। वरना अशुद्ध होने का डर बना रहता है। टी स्टॉल चला रही पप्पी बोलीं- अभी कलश वाले कांवड़िए चल रहे
अब हम नेशनल हाईवे-58 पर टी स्टॉल चलाने वाली दुकान पर पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात पप्पी नाम की महिला से हुई। वह कहती हैं कि हमारी दुकान का नाम भोले टी स्टॉल है, ताकि कांवड़ियों को पहचान में दिक्कत न हो। कलश वाले कांवड़िए आने लगे हैं। डाक कांवड़िए अभी नहीं आ रहे हैं। अब कोई नाम-पता नहीं पूछता, सब नेम प्लेट पढ़ते हैं। उतना ही काफी है। अब दुकान-दुकान चल रहे विहित के पदाधिकारियों की बात विहिप पदाधिकारी बोले- ये प्रयास जरूरी, ताकि कांवड़ अपवित्र न हो
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अनुज कहते हैं- दुकानों पर नेम प्लेट होना, ये कोई फरमान जैसा नहीं है, ये हिंदुओं के मान सम्मान के लिए जरूरी है। मुस्लिम लव जेहाद, वोटर जेहाद, लैंड जेहाद, फूड जेहाद कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ चेतावनी देने के लिए हम दुकान-दुकान पहुंच रहे हैं। अगर वो लोग खुद में सुधार नहीं लाते हैं, तो कानून प्रशासन की मदद से उनमें सुधार लाया जाएगा। आप समझिए कि सावन में मस्ती में झूमते हुए भोले (कांवड़िए) चलते हैं। अब कोई उनकी भक्ति, कांवड़ को अपवित्र कर देता है। अब पहचान उजागर होने से ये होगा कि जिस दुकान पर वह लोग ठहरेंगे, उन्हें पता होगा कि ये अपने हिंदू भाई की दुकान है, कुछ गलत खाने को नहीं दिया जाएगा। बहुत साधारण सी बात है कि मुस्लिम लोग अपने नाम से दुकान चलाए, कोई दिक्कत नहीं है। आप भोजन दे रहे हैं, तो अच्छा दो। बहुत से मुस्लिम भाई है, वो कांवड़ियों की सेवा भी करते हैं। कपिल कहते हैं- जो सनातनी 200Km पैदल आए, उसको शुद्ध व्यंजन ही मिले
विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष कपिल कहते हैं- एक सनातनी 100 से 200Km पैदल चलकर आता है, तो उसको पता होना चाहिए न कि जहां वो खाने के लिए रुक रहा है, वो किसकी दुकान है। सोचिए कि ये धार्मिक यात्रा है, उसकी भावनाएं आहत हो तो कितना बुरा है। इसलिए हम लोग ऐसा प्रयास कर रहे हैं कि इस रूट पर आने वाले कांवड़ियों को बहुत परेशानी न हो। नाम बदलने के साथ अब हम हिंदू देवता की तस्वीर भी दुकानों पर लगा रहे हैं। योगी सरकार ने कहा- रूट पर ओवर रेटिंग नहीं होगी
योगी सरकार ने मौखिक गाइडलाइन अधिकारियों को दी है कि ढाबा और रेस्टोरेंट में मालिक और मैनेजर की पहचान उजागर होनी चाहिए। कांवड़ यात्रा के रूट पर खुले में मांस बिक्री नहीं होनी चाहिए। जो भोजन और नाश्ता बेचा जा रहा है, उसकी ओवर रेटिंग नहीं होनी चाहिए। इधर, उत्तराखंड की धामी सरकार ने आदेश जारी किया है कि कांवड़ रूट पर निगरानी अभियान चलाया जाएगा। बिना नाम और लाइसेंस वाली दुकानें बंद रहेंगी। नियम फॉलो नहीं करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगेगा। कांवड़ रूट पर नेम प्लेट विवाद पर शुरू हुई सियासत भी समझिए… मसूद बोले- विरासत नष्ट कर रहे, एसटी हसन ने पहलगाम आतंकियों से तुलना की
योगी सरकार के नेम प्लेट पर जारी आदेश को लेकर यूपी में सियासत भी गरमाने लगी है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- यह लोग (भाजपा) साझा संस्कृति और साझा विरासत को नष्ट करना चाहते हैं। वहीं, मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा-प्रशासन को जांच का अधिकार है, लेकिन क्या किसी नागरिक को अधिकार है कि वह पेंट उतार कर जांच करें? पहलगाम में आतंकवादियों ने पेंट्स नहीं उतरवाई थी? उन्होंने गोली मारी थी, यह दहशत फैला रहे हैं। मेरठ पुलिस की व्यवस्थाएं, जानिए पुरा महादेव में 20 लाख, बाबा औघड़नाथ पर 4 लाख कांवड़िए करेंगे दर्शन
मेरठ जोन के DIG कलानिधि नैथानी के मुताबिक, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत और हापुड़ में 540 किमी. लंबा कांवड़ मार्ग है। जिस पर हरिद्वार से जल लेकर शिवभक्त मोदीपुरम हाईवे होते हुए गुजरते हैं। कांवड़ मार्ग पर 838 शिविर लगेंगे। मेरठ में 464, बुलंदशहर में 176, बागपत में 90 और हापुड़ में 108 शिविर लगाए जाने हैं, जहां कांवड़िए आराम कर सकेंगे। 10 टोल प्लाजा और 119 स्थलों पर बैरियर लगाए गए हैं। इनमें मेरठ में 25, बुलंदशहर में 25, बागपत में 51 और हापुड़ में 18 जगहों पर बैरियर लगाए गए गए हैं। सुरक्षा के लिए ड्यूटी में लगे फोर्स के लिए कांवड़ रूट के आसपास ही 184 रुकने के स्थान बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि पूरे श्रावण मास में पुरा महादेव मंदिर बागपत में लगभग 20 लाख, बाबा औघड़नाथ मंदिर मेरठ पर 4 लाख, ब्रजघाट हापुड़ पर 4 लाख, अंबकेश्वर महादेव मंदिर अहार बुलंदशहर पर 70 हजार और सबली मंदिर हापुड़ पर करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। कांवड़ रूट के ढाबों और रेस्टोरेंट पर नेम प्लेट लगाने की शुरुआत 2024 में हुई। आइए आपको बताते हैं कि इस मामले में क्या-कुछ हुआ… 18 जुलाई 2024 : नेम प्लेट लगाने का आदेश
18 जुलाई 2024 को CM ऑफिस से एक आदेश जारी हुआ। इसमें कहा गया कि यूपी में कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाने-पीने की चीजें बेचने वाली सभी दुकानों पर नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होगा। हर दुकानदार को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर बताने होंगे। सरकार का दावा था कि इस फैसले से आस्था की पवित्रता बनी रहेगी। 22 जुलाई 2024 : सुप्रीम कोर्ट की रोक
सरकार के इस आदेश को चुनौती देने के लिए कुछ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 22 जुलाई को अदालत ने यूपी सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- दुकानदार केवल अपने भोजनालयों में परोसे जा रहे भोजन की किस्म का ही प्रदर्शन कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी किया और पूछा कि आखिर दुकानदारों की व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक करना क्यों जरूरी है? कोर्ट ने इसे निजता के अधिकार से जोड़ते हुए गंभीर चिंता जताई। 24 सितंबर 2024 : रोक के बावजूद आदेश लागू
सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के 2 महीने बाद, मुख्यमंत्री योगी ने 24 सितंबर 2024 को एक और आदेश जारी कर दिया। इस बार राज्य भर के सभी भोजनालयों के लिए मालिकों, प्रबंधकों और कर्मचारियों के नाम-पते अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना जरूरी किया गया। आदेश में कहा गया कि खाने-पीने में मिलावट की घटनाओं पर जीरो टॉलरेंस होगा। सीसीटीवी लगाने होंगे। शेफ और वेटर को मास्क-ग्लव्स पहनना जरूरी कर दिया गया। साथ ही सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन अभियान चलाया गया। ……………………………….

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