काशी सिर्फ धर्म की नगरी नहीं बल्कि स्वाद के लिए भी मशहूर है। यहां का खान-पान दुनियाभर में फेमस है। यहां गली-गली में आपको तरह-तरह के पकवान और मिष्ठान मिल जाएंगे। दैनिक भास्कर की जायका सीरीज में आज हम आपको बनारस के लंका में मिलने वाले मशहूर चटपटे सकौड़ा के बारे में बताएंगे। गर्मागर्म सकौड़े के जायके से जीभ चटकारे मारने लगती है। शाम होते ही सकौड़े की दुकानों पर खाने वालों की लाइन लग जाती हैं। झन्नाटेदार से आप समझ गए होंगे कि सकौड़ा का तीखापन और उसमें पड़ने वाला मसाला इसका स्वाद चटक कर देता है। यूं तो सकौड़े की कई दुकानें हैं, लेकिन एक दुकान ऐसी है,जहां इसका स्वाद लेने लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं। ये दुकान है बीटेक पास सूरज की। सूरज की 4 पीढ़ियों से ये दुकान चली आ रही है। सूरज उसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। काशी में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को सूरज अपने झन्नाटेदार सकौड़े का स्वाद परोसते हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद विरासत संभाली
सूरज वाराणसी के लंका में सकौड़े की दुकान लगाते हैं। शाम को 3 बजे से लेकर रात के 11-12 बजे तक उनकी दुकान खुली रहती है। सूरज बताते है- अशोका इंस्टीट्यूट से मैकेनिकल ब्रांच में बीटेक करने के बाद मेरी नौकरी अच्छी कंपनी में लग गई थी। लेकिन, मेरा मन नौकरी में नहीं लगा। क्योंकि, 4 पीढ़ियों से चलने वाली दुकान बंद होने की कगार पर थी। तब मन बनाया कि अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। नौकरी छोड़कर दुकान लगाना शुरू किया। शुरू-शुरू में दुकान पर कम ग्राहक आते थे। लेकिन, अब शाम होते ही लोग उनके सकौड़े का स्वाद चखने के लिए पहुंच जाते हैं। सूरज कहते हैं कि 4 पीढ़ी से हमारे यहां सकौड़े की दुकान लगाई जा रही है। इस विरासत को मैं आगे बढ़ा रहा हूं। मुझे ये काम बहुत अच्छा लगता है। सकौड़े की दुकान पर शाम के वक्त काफी भीड़ लगती है। सूरज सकौड़े बनाने की विधि विस्तार से बताते हैं। सूरज बताते है कि सकौड़े को कुल्हड़ में ही परोसा जाता है। ये कुल्हड़ में लोगों को ज्यादा पसंद आता है। कुल्हड़ में सकौड़े का स्वाद और बढ़ जाता है। दुकान पर साफ-सफाई का खास ध्यान दिया जाता है। लोगों को बेहतरीन स्वाद मिले, इसके लिए घर में तैयार किए गए मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे भी कस्टमर हैं जो कई साल से परिवार के साथ यहां आते हैं। वह लोग जब तारीफ करते हैं, तो सुकून मिलता है कि पीढ़ियों की मेहनत सफल हो गई। कस्टमर रेटिंग जानें? चटपटा स्वाद लोगों को खींच लाता है
यहां के मशहूर सकौड़े खाने वाले इसके स्वाद की तारीफ करते नहीं थकते। हमने जब उनसे पूछा कि ऐसा क्या है जो यहां के सकौड़े खाने खिंचे चले आते हैं। जवाब था, इसका चटपटा स्वाद हमें यहां खींच लाता है। …………………………… ये खबर भी पढ़ें- भास्कर गंगा यात्रा…डॉल्फिन-कछुओं की लगातार हो रही रोमांचक यात्रा:यूपी में जहां सबसे ज्यादा संख्या वहां नहीं दिखी डॉल्फिन, पार्ट-2 बुज़ुर्ग जिले का गाँव राजघाट। गंगा का ये अलौकिक डॉल्फ़िन, कछून और मछली की खोज के लिए प्रसिद्ध है। अकेले ऐसी ही जगह गंगा में 20 से ज्यादा डॉल्फिन हैं। लेकिन, हमें निराशा हाथ लगी। दो घंटे की मोटरबोट में घूमने के बाद भी हमें डॉल्फिन की एक झलक भी नहीं मिली। ‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी गंगा यात्रा दूसरे दिन के हस्तिनापुर से संभल तक करीब 175 किमी की यात्रा तय की। यात्रा के इस निरीक्षण में हमने गंगा में डॉल्फिन देखी, कछुओं की झलक कम है। पढ़ें पूरी खबर