केमिकल में डुबोकर निकाला, केला पक गया:जो हिस्सा हरा बचा, उसे पीला रंग देते; गोरखपुर में 400kg केला नष्ट कराया

ऊपर जो केला आप देख रहे हैं, ऐसे ही केले आप दुकान से भले ही खरीदते हैं। लेकिन, ये खाने लायक नहीं। गोरखपुर में केमिकल के घोल में डुबोकर ऐसे पकाए जा रहे 400 किलो केले को खाद्य सुरक्षा विभाग ने नष्ट कराया है। टीम की जांच में केला पकाने वालों ने कबूला कि केमिकल में डुबोकर निकालते हैं, मुश्किल से 7-8 घंटे में पक जाता है। जो हिस्सा हरा रह जाता है, उस पर पीला रंग लगा देते हैं। फिर थोक रेट में बेच देते हैं। जांच में अधिक मात्रा में केमिकल का यूज और रंग मिला है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने केले को नष्ट करा दिया गया। उसे सड़क किनारे फेंका गया। 3 तस्वीरें देखिए- जानिए किस केमिकल में पकाते हैं केला आजकल केला पकाने के लिए इथेफॉन नामक केमिकल का उपयोग किया जाता है। इसे पानी में घोलकर केला पकने के लिए डाल दिया जाता है। केला पकने में 24 से 48 घंटे का समय लगता है। पहले सूखे स्थान पर केला पकाया जाता था लेकिन अब केमिकल डालकर इसे पकाया जा रहा है। केमिकल के घोल में केला पकाने पर रोक नहीं है लेकिन इसकी मात्रा सीमित होनी चाहिए। जब केमिकल का उपयोग वैध है तो खतरनाक क्यों होता है दरअसल केले को पकाने के लिए 100 पीपीएम से अधिक रसायन का घोल नहीं होना चाहिए। आसान भाषा में 1 किलो केला पकाने के लिए 100 मिलीग्राम केमिकल का प्रयोग करना होता है। लेकिन केला को जल्दी पकाने के लिए केमिकल की मात्रा बढ़ाकर उपयोग की जा रही है। अधिक मात्रा में केमिकल डालने से केला जल्दी पक जाता है। ऐसा केला जल्दी पिलपिला भी हो जाता है। केमिकल का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक होता है। नवरात्र में धड़ल्ले से चला यह खेल नवरात्र में अधिकतर घरों मे लोग केला लेकर जाते थे। दावा है कि उस समय केला सुबह हरा रहता था तो दोपहर को पीला हो जाता। रात के समय इसी दुकान का केला पिलपिला नजर अता है। नवरात्र के समय इसकी ब्रिक्री बढ़ गई थी। दुकानदार पानी में अधिक मात्रा में केमिकल मिलाकर इसे पकाते हैं। इसके बाद बचे भाग को रंगते हैं। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि केले को पकाने के लिए अधिक मात्रा में केमिकल का उपयोग सही नहीं है। सह 100 पीपीएम से अधिक नहीं होना चाहिए। कई व्यापारी केला को रंगते हैं, यह भी सही नहीं है। दूसरे केमिकल का भी करते हैं प्रयोग केला पकाने के लिए इथेफॉन के अलावा दूसरे केमिकल का भी उपयोग किया जाता है। कुछ दिन पहले खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस केमिकल की प्राथमिक जांच की थी। पैकेट पर इथेफॉन लिखा था लेकिन अंदर जांच में वह नहीं पाया गया। गहन जांच के लिए सैंपल लैब में भेजा गया है।

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