क्या चिराग को कमजोर करेंगे चाचा पशुपति?:LJPR के 5 प्रत्याशियों के सामने उतारे कैंडिडेट, पासवान वोट बैंक में सेंधमारी की जंग

बिहार के चुनाव में सबसे दिलचस्प लड़ाइयों में से एक चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच है। दोनों दिवंगत लोजपा नेता रामविलास पासवान की विरासत पर दावा कर रहे हैं। चिराग ने तो NDA में अपनी जगह बना ली है, लेकिन चाचा की महागठबंधन में जगह नहीं बन पाई। ऐसे में चाचा पशुपति पारस ने अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। एक सीट पर बेटे को भी उतारा है। बड़ी बात ये है कि पशुपति पारस ने पांच ऐसी सीटों पर भी अपने कैंडिडेट उतार दिए हैं, जहां चिराग के प्रत्याशी लड़ रहे हैं। सुरक्षित सीटों पर दोनों दलित नेताओं के बीच मुकाबले में ये माना जा रहा है कि चाचा भतीजे चिराग को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिसका फायदा महागठबंधन को हो सकता है। पशुपति पारस ने ऐसी किन सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे हैं, जहां चिराग को नुकसान हो सकता है…वहां सियासी समीकरण क्या हैं? पशुपति पारस ने बेटे को कहां से उतारा है..पढ़िए रिपोर्ट RJD चाहती थी पशुपति पारस अपनी पार्टी का विलय कर लें सोर्स बताते हैं कि पशुपति पारस के सामने पार्टी का विलय करने की शर्त RJD ने रखी थी। RJD की दलील थी कि RLJP के सिंबल सिलाई मशीन को लोग बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। इससे महागठबंधन को चुनाव में नुकसान हो सकता है। सीटों के बंटवारे पर भी असहमति है। पारस ने शुरू में 12 सीटों की मांग की थी। बाद में इसे घटाकर 8 सीट कर दी। तेजस्वी यादव 2-3 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं थे। RLJP इस फोकस पर रही कि पार्टी का अस्तित्व भी बच जाए और चुनाव में ताकत भी दिखा दें।​ हालांकि, तेजस्वी की पशुपति से बात नहीं बनी और उन्होंने अकेले लड़ने का ऐलान किया। अब पारस ने जिन सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है, उन 5 विधानसभा सीटों पर चिराग पासवान और पशुपति पारस की पार्टी के बीच सीधी टक्कर होने वाली है। सूरजभान ने छोड़ा पशुपति पारस का साथ
तेजस्वी यादव की A टू Z फॉर्मूले के तहत भूमिहार नेताओं पर नजर है। उन्होंने इस हफ्ते दो भूमिहार नेता बेगूसराय के बोगो सिंह और खगड़िया के JDU विधायक डॉ. संजीव कुमार को RJD में जॉइन कराया। इसके बाद पशुपति पारस की पार्टी के सबसे मजबूत चेहरा रहे बाहुबली सूरजभान को पार्टी में जॉइन करा लिया। अब सूरजभान की पत्नी मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ महागठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रही हैं। सूरजभान के जाने के बाद पशुपति ने अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया और कैंडिडेट की घोषणा कर दी। अब जानिए वो जिले जहां पशुपति लड़ रहे वो 5 सीटें जहां होगी सीधी भिड़ंत 1- साहेबपुर कमाल: यहां राष्ट्रीय लोजपा से संजय कुमार यादव का मुकाबला लोजपा (रामविलास) के सुरेंद्र कुमार से है। RJD ने यहां से अपने मौजूदा विधायक सतानंद संबुद्ध पर भरोसा जताया है। उन्होंने 2020 में JDU उम्मीदवार राकेश कुमार को 14,225 वोटों से हराया था। बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में आने वाले साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में करीब 10% मतदाता अनुसूचित जाति और 16% मुस्लिम समुदाय से हैं। 2- बखरी (SC): एससी के लिए आरक्षित इस सीट पर राष्ट्रीय लोजपा ने नीरा देवी को टिकट दिया है। चिराग के उम्मीदवार संजय कुमार हैं। यहां मुख्य मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी CPI के सूर्यकांत पासवान से है। वह बखरी के मौजूदा विधायक हैं। बखरी सीट पर भूमिहार और मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है। रविदास समाज के लोग भी अच्छी संख्या में हैं। 2020 में सूर्यकांत ने बीजेपी के रामाशंकर पासवान को 777 वोट से हराया था। 3- चेनारी (SC): यह सीट बेहद खास है। चिराग पासवान ने यहां से कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम को टिकट दिया है। वहीं, पशुपति पारस ने सोनू कुमार नट को मैदान में उतारा है। पिछली बार मुरारी ने कांग्रेस के टिकट पर JDU के ललन पासवान को 18003 वोट से हराया था, लेकिन फ्लोर टेस्ट के दौरान पाला बदलकर वे सत्ता पक्ष में आ गए थे। सासाराम लोकसभा क्षेत्र में आने वाली चेनारी विधानसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है। 4- गरखा (SC): यहां राष्ट्रीय लोजपा के विगन मांझी का सामना लोजपा(आर) के सीमांत मृणाल से है। 2020 में इस सीट पर RJD के सुरेंद्र राम ने BJP के ज्ञानचंद मांझी को 9937 वोट से हराया था। सारण लोकसभा क्षेत्र में आने वाली गरखा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 5- महुआ: यह बिहार विधानसभा चुनाव के सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। यहां से RJD से निष्कासित लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी पार्टी (जनशक्ति जनता दल) से मैदान में हैं। वहीं, RJD उम्मीदवार मौजूदा विधायक मुकेश रौशन हैं। इस त्रिकोणीय मुकाबले में चाचा-भतीजे की लड़ाई और दिलचस्प हो गई है। पारस गुट ने शमसुज्जमा तो चिराग गुट ने संजय कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। महुआ विधानसभा क्षेत्र में यादव, मुसलमान और दलित समाज का वोट निर्णायक होता है। चिराग ने यहां सवर्ण उम्मीदवार उतारा है। 2020 के चुनाव में राजद के मुकेश कुमार रौशन ने जेडीयू की आसमा परवीन को 13687 वोट से हराया था। पशुपति पारस ने अलौली से बेटे को उतारा इस चुनावी समर में एक बड़ा फैसला यह भी हुआ है कि पशुपति पारस और उनके भतीजे प्रिंस राज खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। राष्ट्रीय लोजपा के प्रदेश प्रवक्ता ललन चंद्रवंशी के अनुसार, दोनों नेता पार्टी के लिए स्टार प्रचारक की भूमिका निभाएंगे और संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। पारस ने अपने बेटे यशराज पासवान को खगड़िया की अलौली सीट से मैदान में उतारकर परिवार की अगली पीढ़ी को सियासत में लॉन्च कर दिया है। अलौली सीट पर राजद ने मौजूदा विधायक रामवृक्ष सदा और जदयू ने पूर्व विधायक रामचंद्र सदा को प्रत्याशी बनाया है। NDA में होने के चलते चिराग यहां जदयू उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी है। रामविलास पासवान की मौत के बाद टूट गई थी लोजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन 8 अक्टूबर 2020 को हुआ था। इसके बाद लोजपा में नेतृत्व को लेकर चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच लड़ाई बढ़ गई। जून 2021 में टकराव इतना बढ़ा कि पशुपति कुमार पारस ने पार्टी तोड़ दी। उन्होंने लोजपा के 6 सांसदों में से 5 को अपने साथ मिला लिया और खुद को पार्टी प्रमुख घोषित कर दिया। इसके बाद दोनों गुटों के बीच खुद को असली लोजपा साबित करने की जंग चली। इसका नतीजा हुआ कि दो पार्टियां अस्तित्व में आईं। एक चिराग पासवान की लोजपा (आर) और दूसरी पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा। बुधवार को राष्ट्रीय लोजपा को बड़ा झटका देते हुए सूरजभान सिंह ने पार्टी छोड़ दी। वह राजद में शामिल हो गए हैं। तय होगा किसके साथ पासवान वोट बैंक बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के साथ यह भी तय हो जाएगा कि बिहार का पासवान वोट बैंक चिराग पासवान के साथ है या पशुपति पारस के साथ। बिहार में 2023 में कराए गए जातिगत‌ सर्वे के अनुसार पासवान समाज के लोगों की संख्या 5.311 फीसदी है। लंबे समय से पासवान समाज लोजपा के साथ जुड़ा रहा है। अब उन्हें चाचा-भतीजा में से किसी एक को चुनना है।

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