‘नीतीश कुमार 20 साल से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हम लोगों के लिए कुछ नहीं बदला। सब कहते हैं कि घर बनवाने के लिए सरकार पैसा देती है। हमें तो वो भी नहीं मिला।’ तो नीतीश कुमार को वोट नहीं देंगी?
‘वोट तो उन्हें ही देंगे।’ क्यों?
‘पहले बेटी बाहर नहीं निकल पाती थी। अब कोई डर नहीं है। नीतीश ने हर चीज की व्यवस्था कर दी है। सब कुछ तो सेफ्टी ही है। रात-बिरात कहीं भी जाओ। लड़के यहां हरकतें नहीं करते। सुरक्षा की कोई समस्या नहीं है।’ पटना के दीघा में रहने वालीं माला देवी से ये छोटी सी बातचीत महिला वोटर्स पर नीतीश कुमार के असर को जाहिर कर देती है। बिहार में महिलाओं को नीतीश कुमार का सबसे मजबूत वोटबैंक माना जाता है। वे 20 साल से मुख्यमंत्री हैं। शराबबंदी, आरक्षण, लड़कियों को साइकल देने जैसी योजनाओं से उन्होंने महिलाओं के वोट अपने पाले में कर लिए। इस बार जीविका योजना के साथ फिर से महिलाओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं। महिलाएं इस पर क्या सोच रही हैं, शराबबंदी, जीविका और सुरक्षा पर उनका क्या कहना है, मुस्लिम महिलाएं किसे समर्थन कर रही हैं? ये जानने के लिए हम बिहार में सबसे ज्यादा महिला आबादी वाली तीन सीटों पटना की दीघा, कुम्हरार, बांकीपुर और किशनगंज के ठाकुरगंज पहुंचे। दीघा में 47.73%, कुम्हरार में 46.86%, बांकीपुर में 46.70% महिला वोटर हैं। पता चला कि महिलाएं शराबबंदी ठीक से लागू न होने से नाराज हैं। उनका ये भी आरोप है कि नीतीश अब लोगों की बात नहीं सुनते। सबसे पहले दीघा की बात
नीतीश से शिकायतें, लेकिन सुरक्षित माहौल से महिलाएं खुश
दीघा में लगातार दो बार से BJP के संजीव चौरसिया जीत रहे हैं। उनसे पहले JDU की पूनम देवी विधायक थी। सबसे पहले हम दीघा पहुंचे। यहां अटल पथ पर रहने वालीं 37 साल की माला देवी से मिले। उनके पति चार भाई हैं। तीन कमरों वाले घर में जॉइंट फैमिली रहती है। माला नीतीश कुमार और BJP को सपोर्ट करती हैं, लेकिन सरकार से खफा भी हैं। उन्हें शिकायत है कि सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिलता। इसी बात से नाराज भी हैं, लेकिन नीतीश कुमार को सपोर्ट करती हैं क्योंकि उन्होंने महिला सुरक्षा पर काम किया है। माला देवी ने नीतीश सरकार की जीविका योजना का फायदा नहीं लिया। वे कहती हैं- पति ने फॉर्म भरने से मना किया था, इसलिए नहीं भरा। पति ने कहा कि सब बकवास है। आज पैसा लेंगे तो फिर वापस देना पड़ेगा। शराबबंदी सही से लागू नहीं, इससे भी नाराजगी
माला देवी की देवरानी 25 साल की खुशबू देवी शराबबंदी ठीक से लागू न होने से नाराज हैं। वे कहती हैं कि पीने वाले खुलेआम पी रहे हैं। कोई गांजा पीता रहता है। कहते हैं बंद है, फिर भी सब पीकर घूमते रहते हैं।’ नाराजगी के बाद भी वे नीतीश कुमार का समर्थन करती हैं। वजह पूछने पर बताती हैं, ‘नीतीश विकास कर रहे हैं। बाल-बच्चों के लिए ज्यादा सोच रहे हैं।’ दीघा के मेन मार्केट में दुकान चलाने वाली 32 साल की कृष्णा देवी भी शराब बिकने से नाराज हैं। वे कहती हैं, ‘शराब आसानी से मिल रही है, बच्चे भी पी रहे हैं। कहां से आपको शराबबंदी नजर आ रही है। ये बंद हो जाए तो अच्छी बात है। नहीं मिलेगी तो बच्चे इससे बच जाएंगे।’ कृष्णा सरकार से भले नाराज हैं, लेकिन बताती हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा मिला है। जीविका के 10 हजार रुपए खाते में आ गए हैं। वे कहती हैं, ‘चुनाव में नीतीश कुमार को वोट देंगे। वही सब सुविधा दे रहे हैं। रोजगार के लिए 10 हजार रुपए मिले हैं। घर भी मिलने वाला है।’ 40 साल की रीता देवी के पति की 10 साल पहले शराब की वजह से मौत हो गई थी। वे कहती हैं ‘पति का लीवर खराब हो गया था। शराब मिल रही है, तब न पी-पीकर लोग मरते हैं।’ रीता नगर निगम में संविदा पर काम करती हैं। स्थायी नौकरी न होने से परेशान हैं। रीता नौकरी के वादे की वजह से तेजस्वी यादव को पसंद करती हैं। वे कहती हैं, ‘तेजस्वी पसंद है। जो हमारी नौकरी लगवाएगा, वही पसंद है। 10 साल से झेल रहे हैं। नौकरी नहीं लगी।‘ ‘न घर मिला, न सिलेंडर, नेता सिर्फ वोट लेने आते हैं’
अटल पथ के पास जीव नगर है। सड़क किनारे झुग्गियां बनी हैं। इनमें ज्यादातर मुसहर कम्युनिटी के लोग रहते हैं। 35 साल की कुसुम देवी भी इनमें शामिल हैं। उनके 5 बच्चे हैं। कुसुम बताती हैं कि यहां करीब 50 घर हैं। ज्यादातर लोग कचरा बीनने का काम करते हैं। ये बस्ती करीब 50 साल पुरानी है। इन लोगों के पास अब तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंची हैं। कुसुम बताती हैं, ‘घर में गैस सिलेंडर नहीं है। चूल्हे पर खाना बनाते हैं। मदद तो दूर, कोई यहां देखने तक नहीं आता। सिर्फ वोट लेते हैं और बैठ जाते हैं। हमारे नाम पर सरकारी घर बना, लेकिन अब तक नहीं मिला।’ कुसुम का गुस्सा नीतीश कुमार के लिए भी है। वे कहती हैं, ‘मुख्यमंत्री यहीं सामने से गुजरते हैं। फिर भी कभी इधर नहीं देखा। सब कहते हैं कि नीतीश बढ़िया है। कोई कहता है कि मोदी ठीक हैं। कोई कहता है कि लालू यादव ठीक हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई यहां नहीं आता।’ विधानसभा सीट: कुम्हरार
महंगाई से परेशान महिलाएं, फिर भी नीतीश को समर्थन
दीघा के बाद हम पटना में ही आने वाली कुम्हरार सीट पहुंचे। यह बिहार में दूसरी सबसे ज्यादा महिला आबादी वाली सीट है। यहां लगभग 46.86% महिला वोटर हैं। 2020 में यहां से BJP के अरुण कुमार सिन्हा ने RJD के धमेंद्र कुमार को हराया था। 2010 में परसीमन के बाद पहली बार यहां चुनाव हुआ था। तब से लगातार अरुण कुमार सिन्हा ही जीत रहे हैं। यहां के दाऊद बीघा इलाके में हमें 60 साल की दुर्गावती मिलीं। उनकी दो शिकायतें हैं, पहली सड़क न होना और दूसरी महंगाई। दुर्गावती को ज्यादा दिक्कत महंगाई से है। वे कहती हैं, ‘महंगाई बहुत है। आदमी 500 रुपए लेकर जाता है, तो कुछ होता है। सब्जी तक अच्छी नहीं मिलतीं। मुश्किल से घर चलता है। बड़े बेटे को कैंसर हो गया है। वो मुंबई में है। उसका सही से इलाज नहीं करा पा रहे हैं। बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे।’ चुनाव पर बात शुरू होते ही दुर्गावती कहती हैं कि नीतीश कुमार पहले बात सुनते थे, अब नहीं सुनते। वे आगे कहती हैं, ‘नेता-विधायक कोई मदद नहीं करते। नीतीश ठीक थे, अब नहीं हैं। कोई किसी काम के लिए जाता है, तो कहते हैं कि जाओ बाहर जाओ।’ 25 साल की सीमा कुमारी इसी इलाके में किराए पर रहती हैं। एक कमरा है, जिसमें सीमा, उनके पति और दो बच्चे रहते हैं। पति गाड़ी चलाते हैं। सीमा महंगाई और रिश्वतखोरी को बड़ा मुद्दा मानती हैं। वे कहती हैं, ‘यहां गंदा पानी आता है। हम पानी भी खरीदकर पी रहे हैं। घर चलाना मुश्किल हो जाता है।’ 50 साल की कमला देवी की पूरी उम्र इसी इलाके में गुजरी है। वे कहती हैं, ‘यहां कुछ नहीं बदला। इसलिए मुझे कोई नेता पसंद नहीं। हम खुद कमाकर खाते हैं। नीतीश, लालू, मोदी या चिराग, किसी से कुछ नहीं मिला। हमारे मोहल्ले में सड़क तक नहीं बनीं। महिलाओं को जीविका वाला पैसा नहीं मिला। नेताओं को लगता है कि हर बार 100 रुपए देकर हमारा वोट ले लेंगे, लेकिन हम ऐसे नहीं हैं।’ विधानसभा सीट: बांकीपुर
बांकीपुर सबसे ज्यादा महिला आबादी वाली सीटों में तीसरे नंबर पर है। यहां कुल वोटर में 46.7% महिलाएं हैं। बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन यहां से विधायक हैं। 4 बार से चुनाव जीत रहे हैं। 2020 के चुनाव में करीब 39 हजार वोट से जीते थे। सबसे ज्यादा वोट से जीतने वाले मंत्रियों में वे नीतीश मिश्रा के बाद दूसरे नंबर पर थे। उन्होंने कांग्रेस के लव सिन्हा को हराया था। बांकीपुर की रहने वालीं 60 साल की शारदा देवी पुजारी परिवार से हैं। वे देवी मंदिर में पूजा करती हैं। पति भी मंदिर में पुजारी हैं। शारदा सरकारी राशन न मिलने और महंगाई से परेशान हैं। वे कहती हैं, ‘महंगाई से तो सभी को दिक्कत है। गैस सिलेंडर एक हजार रुपए को भरवाते हैं। पहले तेल 140 रुपए में आता था, अब 170 रुपए में ले रहे हैं। रिफाइंड ऑयल, चावल भी महंगा हो गया है। हर चीज में महंगाई है।’ इन परेशानियों के बाद भी शारदा PM मोदी और नीतीश कुमार को सपोर्ट करती हैं। वे कहती हैं, ‘नीतीश अच्छे हैं। उन्होंने कम से कम सड़कों पर तो ध्यान दिया है। चाहे हमें कुछ दें या न दें। सड़कों पर हम भी चलते हैं। सड़कें बनीं, पुल-पुलिया बने, सुरक्षा है। यही काफी है। इस बार उन्हें ही वोट देंगे।’ ‘नीतीश को समर्थन, बस अब पलटी न मारें’
45 साल की रुकू कुमारी लोधीपुर महावीर गली में रहती हैं। वे महंगाई, राशन की खराब क्वालिटी, रोजगार न होने से नाराज हैं। रुकू कुमारी कहती हैं, ‘घी, मक्खन या पनीर तो आदमी रोज नहीं खाता। टीवी रोज नहीं खरीदता, बाइक या कार रोज नहीं चला सकता। कम से कम राशन में चावल-गेहूं तो होना चाहिए। 5 किलो राशन मिलता है, 10 दिन भी नहीं चलता।’ नीतीश कुमार को फैक्ट्री लगवानी चाहिए। यह भी जरूरी है कि अनपढ़ या मजदूरी करने वाले को भी काम मिले। गरीब आदमी का गुजारा हो। हमारे यहां जीविका के बारे में कम ही लोग जानते हैं। ‘हम नीतीश कुमार का समर्थन करेंगे, लेकिन उनके पलटने का डर है। वे पलटी मास्टर है। अभी BJP के साथ हैं। अगर लालू के साथ चले गए, तो यही दुविधा हैं। उस समय सोचना पड़ेगा कि किसके साथ जाएं।’ लड़कियां बोलीं- सेफ फील करते हैं, यही सबसे बड़ी बात है
बांकीपुर के गांधी मैदान में सुबह-शाम पुलिस भर्ती की तैयारी करने वाले लड़के-लड़कियां प्रैक्टिस करते हैं। हमने यहां लड़कियों से पूछा कि वे खुद को कितना सेफ महसूस करती हैं। 21 साल की प्रियंका जवाब देती हैं, ‘इस मामले में नीतीश बेहतर लगते हैं। लालू यादव मुख्यमंत्री थे, तब हम उतने मैच्योर नहीं थे, लेकिन पापा बोलते थे कि तब लड़कियां बाहर नहीं निकल पाती थीं। अब तो हम ग्राउंड पर आते हैं। सुबह अंधेरा रहता है, लेकिन कोई इश्यू नहीं है। बांकीपुर सेफ है। आज तक किसी ने कमेंट नहीं किया।’ ठाकुरगंज विधानसभा सीट
उज्जवला का फायदा नहीं, लेकिन जीविका वाली योजना का असर
सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली सीटों में से एक ठाकुरगंज में 2020 में RJD के सऊद आलम जीते थे। इस सीट पर 1952 से अब तक 15 बार चुनाव हुए। इनमें 12 बार मुस्लिम विधायक चुने गए। यहां महिला विधायक नहीं रहीं। हमने महिला वोटर से बात की, तो पता चला कि उन्होंने बुनियादी चीजें भी नहीं मिल पाई हैं। 29 साल की अर्जुना चूल्हे पर खाना बनाती हैं क्योंकि उन्हें गैस कनेक्शन नहीं मिला। अर्जुना का घर कच्चा ही है, उन्हें PM आवास योजना का फायदा नहीं मिला। हालांकि, वे जीविका के 10 हजार रुपए मिलने से खुश हैं। अर्जुना कहती हैं, ‘नीतीश कुमार बिजनेस करने के लिए , मुर्गी-बकरी पालने के लिए 10 हजार रुपए दे रहे हैं। हम नीतीश कुमार को वोट देंगे क्योंकि वे सभी का भला कर रहे हैं।’ 25 साल की नजमा का राशन कार्ड तो बना है, लेकिन PM आवास और गैस कनेक्शन नहीं मिला। वे चूल्हे पर खाना बनाती हैं। धुएं से उन्हें और बच्चों को तकलीफ होती है। फिर भी नजमा जीविका योजना से खुश हैं। वे नीतीश कुमार को सबसे पसंदीदा बताती हैं। ‘हम तो नीतीश कुमार को जानते हैं। उन्हें ही वोट देंगे। मोदी ने तो कुछ नहीं दिया है। हम छोटे थे, तभी से नीतीश कुमार पसंद हैं। अब शादी हो गई है, हम अब भी नीतीश कुमार को वोट देते हैं।’ एक्सपर्ट बोले- महिलाएं इस बार भी नीतीश के साथ
बिहार में महिलाओं के वोटिंग पैटर्न को समझने के लिए हमने सीनियर जर्नलिस्ट रचना से बात की। वे बताती हैं कि कोई भी नेता या अधिकारी परफेक्ट नहीं हो सकता, लेकिन नीतीश ने महिलाओं को आत्मसुरक्षा की भावना दी है। नीतीश की योजनाओं, जैसे शराबबंदी और जीविका में लूपहोल्स हैं, लेकिन इनसे महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आया है। ‘महिलाओं को शिकायत हो सकती है कि लोग शराब पीते हैं या फिर शराब बनाते पकड़े जा रहे हैं। शराबबंदी पूरी तरह लागू करने में नीतीश कुमार की सीमाएं हैं। वे उस दायरे में रहकर काम कर रहे हैं।’ रचना कहती हैं, ‘महिला वोट तो नीतीश को ही जाएगा। 90 के दशक में हम स्कूल-कॉलेज में पढ़ा करते थे। तब घर में एक अनकहा सा कानून बन गया था कि शाम के 6 बजे घर आ जाना है। 6 से 7 बज गए, तो घरवालों को बेचैनी होने लगती थी। अब रात के 9 से 10 बजे भी लड़कियां बाहर निकल पा रही हैं।’ नीतीश को महिलाओं के साथ का फायदा मिलेगा पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रियदर्शन रंजन मानते हैं कि नीतीश ने महिलाओं को पंचायती राज में 50% आरक्षण और कैश ट्रांसफर जैसी योजनाओं से मजबूत बनाया है। 2020 में महिलाओं का वोटर टर्नआउट पुरुषों से 5% ज्यादा था। हाल की योजनाओं से महिलाएं नीतीश के साथ रह सकती हैं। वे कहते हैं कि महिलाओं के लिए नीतीश के कामों को ‘मौन क्रांति’ कहा जाता है, लेकिन नीतीश के लिए अपने नेगेटिव पक्षों को दूर करना भी जरूरी है।