विश्व मगरमच्छ दिवस पर गंडक नदी में 174 नन्हे घड़ियालों को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया। यह कार्यक्रम गंडक घड़ियाल रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत किया गया। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2013 में हुई थी। गंडक नदी अब चंबल के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी घड़ियालों की शरणस्थली बन गई है। 2014 से 2025 तक घड़ियालों की संख्या में 588 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2010-11 में जहां केवल 10 घड़ियाल थे, वहीं अब यह संख्या काफी बढ़ गई है। पिछले वर्ष 2024 में 160 बच्चों को नदी में छोड़ा गया था। हर साल औसतन 20 से 22 प्रतिशत की दर से घड़ियालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। अब तक 775 से अधिक घड़ियाल के बच्चों को नदी में वापस लाया जा चुका है। बता दें कि संरक्षण के लिए गंडक किनारे बालू के टीलों में अंडों को सुरक्षित रखा जाता है। फिर हैचरी में बच्चों को तैयार कर प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाता है। इस कार्य में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, वन विभाग और स्थानीय ग्रामीण सहयोग करते हैं। रेस्क्यू सेंटर का हो रहा निर्माण वाल्मीकिनगर वन प्रमंडल-2 के भेड़िहारी वन क्षेत्र में एक रेस्क्यू सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। यहां घायल घड़ियालों और मगरमच्छों का इलाज होगा। वन्यजीव विशेषज्ञ वी.डी. संजू के अनुसार, मगरमच्छ और घड़ियाल पारिस्थितिकी तंत्र के शीर्ष शिकारी हैं। इनका संरक्षण पूरे खाद्य चक्र के संतुलन के लिए आवश्यक है।