गया जिले के चाकंद स्थित बौली मैदान में 13 जून की शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ एक बड़ी सभा आयोजित की जाएगी। इस सभा का आयोजन वक्फ संशोधित क़ानून के विरोध में किया जा रहा है, जिसे आयोजक संविधान विरोधी और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी दखल का जरिया बता रहे हैं। इस आंदोलन की अगुवाई इमारत-ए-शरीया बिहार, झारखंड, उड़ीसा और फोरम फॉर जस्टिस कर रहे हैं। सभा में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरीया के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल होंगे। ‘वक्फ बचाओ, दस्तूर बचाओ’ के नाम से आयोजित इस सभा में 25 से 30 हज़ार लोगों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह सभा केवल विरोध नहीं, बल्कि अधिकारों और संविधान की हिफाज़त की आवाज़ होगी। फोरम फॉर जस्टिस और इमारत-ए-शरीया की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभा की जानकारी दी गई। तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और बड़ी संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है। वक्फ कानून में 40 से ज़्यादा संशोधन, बताया ‘ग़ैर-दस्तूरी’ गया इमारत-ए-शरीया के काजी मौलाना वसीम ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून पूरी तरह ग़ैर-दस्तूरी है। इसमें 40 से अधिक संशोधन किए गए हैं, जो सरकार को वक्फ संपत्तियों में सीधा हस्तक्षेप करने की छूट देते हैं। उन्होंने कहा, “वक्फ हमारी मिल्कियत है, इसे किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने देंगे।” वक्फ सिर्फ संपत्ति नहीं, धार्मिक अमानत है फोरम फॉर जस्टिस के अध्यक्ष फैयाज हुसैन ने सरकार के इस क़दम को बिना सलाह-मशवरे का बताया। उन्होंने कहा, “150 साल पुरानी वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज़ लाना संभव नहीं है। इसी बहाने हमारी मस्जिदों और धार्मिक संस्थाओं पर कब्जा किया जाएगा।” सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित, फिर भी जमीनी स्तर पर विरोध जरूरी प्रो. गुलाम समदानी ने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन जमीनी स्तर पर जन जागरूकता और विरोध जरूरी है। उन्होंने इसे ‘हक़ और हिफाज़त की लड़ाई’ बताया। बता दें कि 13 जून को होने वाली सभा के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। आयोजकों का दावा है कि 25 से 30 हज़ार लोगों की भीड़ बौली मैदान में जुटेगी। सभा का संचालन शांतिपूर्वक और संविधानिक दायरे में किया जाएगा।