गोरखपुर की मशहूर चटोरी गली इन दिनों गलत तरीके से खड़ी हो रही गाड़ियों की वजह से अपना पुराना रंग-रूप खोती जा रही है। गली के दोनों एंट्री प्वाइंट—बलदेव प्लाजा और हरिओम नगर—पर लोग अपनी दोपहिया और चारपहिया गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। इससे न सिर्फ रास्ता जाम होता है, बल्कि गली की वह सुंदरता भी फीकी पड़ने लगी है जिसके लिए लोग खासकर रात में यहां आते थे। पहले रंग-बिरंगी लाइटों से चमकती चटोरी गली लोगों को खूब आकर्षित करती थी। कई लोग चटोरी गली के बोर्ड के पास खड़े होकर फोटो और सेल्फी लेते थे, लेकिन अब खड़ी गाड़ियों की लाइन की वजह से जगह ही नहीं बचती। हालांकि चटोरी गली को नो-व्हीकल जोन घोषित किया गया है, लेकिन बावजूद इसके अंदर गाड़ियों की आवाजाही जारी है। परिवार के साथ आने वालों के लिए यह बड़ी चिंता बन गया है। बच्चे गली में खेलते-घूमते रहते हैं और अचानक से आती गाड़ियों की वजह से दुर्घटना का डर बना रहता है। अब देखिए चटोरी गली की 3 लेटेस्ट तस्वीरें…. हरिओम नगर की ओर हो रही सख्त कार्रवाई
ट्रैफिक पुलिस फिलहाल हरिओम नगर वाले हिस्से में खड़ी गाड़ियों पर 500 रुपये का चालान काट रही है।
इसके अलावा नगर निगम भी सक्रिय है। वह गलत तरीके से खड़ी गाड़ियों को उठाकर जलकल की मल्टीपार्किंग में ले जाता है। ऐसे में वाहन मालिकों को गाड़ी छुड़ाने के लिए दोपहिया पर 200 रुपये और चारपहिया पर 500 रुपये जुर्माना देना पड़ता है। यहां यह भी बता दें कि पार्किंग की सुविधा पहले से उपलब्ध है। हरिओम नगर एंट्री प्वाइंट पर जीडीए टावर की पार्किंग और गोलघर की ओर जलकल की पार्किंग का साइन बोर्ड लगाया गया है, लेकिन लोग फिर भी गाड़ियों को अंदर खड़ी कर देते हैं। नगर निगम जल्द लगाएगा रोक
दैनिक भास्कर द्वारा पूछे जाने पर अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा ने बताया कि बहुत जल्द चटोरी गली में गाड़ियों की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही वहां पब्लिक अवेयरनेस सिस्टम लगाने की भी योजना है। यह सिस्टम लोगों को समय-समय पर संदेश देगा कि गाड़ी अंदर न खड़ी करें और कूड़ा डस्टबिन में ही डालें। नगर निगम का कहना है कि सख्त कार्रवाई और जागरूकता से चटोरी गली का पुराना आकर्षण फिर से लौटाया जाएगा, ताकि लोग सुरक्षित और आराम से यहां घूम सकें।
इंदिरा बाल विहार का इतिहास और सुंदरीकरण
इंदिरा बाल विहार का नाम तो कई वर्षों से नगर के लोगों की जुबान पर है। यह स्थल नगरवासियों के लिए न केवल मनोरंजन और विश्राम का स्थान रहा है, बल्कि यहाँ स्थापित मूर्ति के कारण यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। फिलहाल यहाँ स्थित मूर्ति का स्थापना वर्ष 1995 है, जिसे नगर निगम के द्वारा भव्य रूप से स्थापित कराया गया था। समय के साथ इसकी महत्ता और भी बढ़ी और नगर निगम ने वर्ष 2025 में इस स्थल का सौंदर्यकरण कराया। सौंदर्यकरण के अंतर्गत मूर्ति के चौहदी को और अधिक बड़ा आकार दिया गया, जिसके कारण यह स्थान पहले की तुलना में और भी भव्य दिखाई देने लगा। चौहदी के अंदर हरियाली का विशेष ध्यान रखा गया। सुंदर पौधों और पेड़ों की सजावट ने इस स्थल को प्राकृतिक आकर्षण से भर दिया। इसके अलावा यहां आधुनिक लाइटिंग की व्यवस्था भी की गई है। रात के समय जब ये लाइटें जल उठती हैं तो उनकी चमक मूर्ति और आस-पास की हरियाली को और भी मनमोहक बना देती है। यही कारण है कि शाम ढलते ही यहां आने वाले लोग इस नज़ारे को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। गोरखपुर की खासियत: इनके तर्ज पर तैयार हो रही गली देशभर के उदाहरणों पर तैयार हो रही गली गोरखपुर की यह चटोरी गली देश के कई शहरों की तर्ज पर बनाई जा रही है। लखनऊ और बनारस में पहले से ही चटोरी गली मौजूद है। जयपुर में मसाला गली और इंदौर में छप्पन दुकान इंदौर काफी लोकप्रिय है। अब गोरखपुर भी इसी लिस्ट में शामिल होने जा रहा है। जानिए इंदिरा बाल विहार के प्रसिद्ध फूड के बारे में… यह जगह खास तौर पर अपने मोमोज, कबाब पराठा, इडली डोसा,सोया-चाप, गरमा-गरम गुलाब जामुन, आइसक्रीम, मिश्रांबु, लस्सी, टिकिया मटर और दही बताशा जैसे तमाम व्यंजनों के लिए मशहूर है। मोमोज: यहां अफगानी, ग्रेवी, तंदूरी और फ्राइड मोमोज जैसी कई वैराइटी मिलती हैं। हर स्वाद में कुछ अलग और मजेदार फ्लेवर होता है। कबाब पराठा: नरम पराठे में लिपटे मसालेदार कबाब का स्वाद ऐसा होता है कि एक बार खाने के बाद बार-बार खाने का मन करता है। दही बताशा: खट्टी-मीठी चटनी, ठंडी दही और करारे बताशों का कॉम्बिनेशन इस जगह की एक और खास पहचान है। गरम गुलाब जामुन: यहां पर कढ़ाई से निकलते ही गरमा-गरम गुलाब जामुन लोगों को खूब पसंद आते हैं।आइसक्रीम और फालूदा: गर्मी के मौसम में लोग आइसक्रीम खूब खाते हैं, लेकिन इसकी डिमांड ठंडी में भी कम नहीं होती है। सोया चाप: एक शाकाहारी व्यंजन है जो मुख्य रूप से सोयाबीन और मैदा से बनता है।