गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के मामले में बड़े घोटाले की आशंका जताई है। समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण प्रक्रिया को तत्काल रोकने और सीबीआई जांच कराने की मांग की है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का निर्णय प्रदेश के व्यापक हित में निरस्त किया जाना चाहिए। दीपावली बोनस में बिजली कर्मियों को भी शामिल करने की मांग संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री द्वारा 15 लाख राज्य कर्मचारियों को दीपावली बोनस देने की घोषणा का स्वागत किया। समिति ने जोर देकर कहा कि बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में लगे कर्मियों को भी दीपावली से पहले बोनस मिलना चाहिए। समिति के पदाधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नंदन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय और अन्य ने इस मांग को दोहराया। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्ति में गंभीर अनियमितताएं संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण प्रक्रिया की शुरुआत में अवैध ढंग से ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त किया गया। झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में पेनल्टी मिलने के बावजूद ग्रांट थॉर्टन को हटाया नहीं गया। इसी कंसल्टेंट से निजीकरण के दस्तावेज तैयार कराए गए, जिससे घोटाले की आशंका और बढ़ गई। निजीकरण के पांच प्रमुख बिंदु सार्वजनिक संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ पांच बिंदु उजागर किए: 1. डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2024: निजी घरानों की बड़ी संख्या में भागीदारी और स्पॉन्सरशिप। 2. ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट में हितों का टकराव और गलत शपथ पत्र के बावजूद कार्रवाई न होना। 3. ड्राफ्ट बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का गुपचुप जारी होना, जो सार्वजनिक नहीं किया गया और आपत्तियों का समाधान नहीं हुआ। 4. कॉर्पोरेट घरानों के साथ मिलीभगत: टाटा पावर समेत अन्य कंपनियों की चर्चा से आरएफपी दस्तावेज तैयार करना। 5. निगमों को कम दाम में बेचने की कोशिश, इक्विटी को लॉन्ग टर्म लोन में बदलकर 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था सस्ते में निजी घरानों को देने का प्रयास।