बिहार में मानसून एक्टिव होने के बाद गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गंगा के पास बसे वैशाली और कटिहार जिले में बाढ़ जैसे हालात हैं। वैशाली के देसरी प्रखंड और 5 पंचायत में करीबन 16 गांवों में पानी घूस चुका है। इससे यहां के करीब 8000 आबादी प्रभावित हुई है। गांव वालों को मजबूरन अपना घर छोड़कर ऊंचे जगहों पर पलायन करना पड़ रहा है। पानी का लेवल बढ़ने से गनियारी टोला गांव के संपर्क पथ पर करीब 8 फीट तक पानी चढ़ चुका है। इससे गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो गया है। गांव वालों का कहना है कि 14 दिन से घरों में कैद हैं। 2 दिन से खाना नहीं खाया है। हालत ये हैं कि लोग अब घर छोड़कर ऊंचे इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं। कुछ मकान आधे डूब चुके हैं, तो कुछ के घरों में सामान पानी में तैर रहे हैं। राघोपुर के चकसिंगार पंचायत के मिडिल स्कूल, हाई स्कूल+ 10+12 इंटरमीडिएट कॉलेज में गंगा का पानी घुस गया है। इसके कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप है। गांव के हालात बताती 3 तस्वीरें… कटिहार में खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर नीचे बह रहा पानी वहीं, कटिहार के कुरसेला प्रखंड में गंगा और कोसी नदियों के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से महज 10 सेंटीमीटर नीचे है, जबकि रविवार सुबह से सोमवार शाम तक इसमें 15 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। नगर पंचायत के बगमारा और पचखुटी को जोड़ने वाली मुख्य ग्रामीण सड़क पर लगभग 3 फीट तक पानी का बहाव हो रहा है, जिससे आवाजाही में परेशानी हो रही है। यहां के करीबन 30 घरों में पानी घुस गया है। दैनिक भास्कर की टीम वैशाली से 28 KM बाइक, फिर 2 किलोमीटर नाव से सफर कर ग्राउंड जीरो गनियारी टोला पहुंची… 65 परिवारों का गांव, सब किसान; खेत-खलिहान सब डूबे गनियारी टोला में लगभग 500 की आबादी और 65 से अधिक घर हैं। ये गांव गंगा से सिर्फ 1KM दूर है, लेकिन अभी ही पूरा इलाका पानी में डूब गया है। लोगों का कहना है कि 2-3 दिनों के लगातार बारिश के बाद पूरा गांव पानी में डूब जाएगा। इस वजह से जिन लोगों ने टटिया के जरिए अपना घर बनाया था, वो अपने हाथों से उजाड़ कर दूसरी जगह पर ले जा रहे हैं। इस गांव के अधिकतर लोग खेती-बाड़ी और पशुपालन पर निर्भर हैं। लेकिन गंगा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि से सारी फसलें डूब चुकी हैं। पशुओं के लिए खेतों में उपजा चारा भी पानी में बह गया है। इससे पशुपालकों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। घर छोड़कर सामान के साथ पलायन शुरू रेखा देवी ने बताया, ‘चारों तरफ गंगा नदी का पानी फैला हुआ है। गांव से निकलने वाले रास्ते डूब चुके हैं। 2 सप्ताह से हम लोग घर में ही बंद पड़े हैं। अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि घर छोड़कर दूसरी जगह पर जाना पड़ रहा है।’ ‘हमलोग अपने घरों से सामान समेटकर अब ऊपरी इलाकों की ओर शरण ले रहे हैं। गांव की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए हालात बेहद कठिन हो गए हैं। हम किसानी कर अपना घर चलाते हैं। ऐसे में अब पशुओं को भी किसी तरह सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना हमारी खुद की जिम्मेदारी है।’ जानवरों को इंजेक्शन देकर बचा रहे किसान रमेश सिंह ने बताया, ‘चार हाथ पानी बढ़ने के कारण, सब चारा डूब गया है। जानवरों को इंजेक्शन देना पड़ रहा है। पानी देखकर उनलोगों की तबीयत बिगड़ने लगी है। इस वजह से अपने और अपने परिवार के साथ ही जानवरों का भी ध्यान रखना पड़ रहा है।’ ‘हमलोग परेशानी से मर रहे हैं, लेकिन गरीब किसानों को कोई देखने वाला नहीं है। अभी तक कोई प्रशासन हमारा हाल-चाल लेने नहीं आया है।’ जिनकी जमीन नहीं, उन्हें बेहद परेशानी ग्रामीण श्रद्धा देवी ने बताया, ‘गांव के चारों तरफ पानी है। हमारा गांव अभी पानी से लबालब भरा है। इसके बावजूद हमलोगों को कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है। जिनका जमीन यहां पर नहीं है और वो अपना झोपड़ी बनाए हैं, उनका क्या होगा। वो कहां जाएंगे, उन्हें अपनी जान को बचाने के लिए इधर-उधर जाना पड़ रहा है।’ मंत्री-नेता हमारा हाल-चाल तक नहीं जानने आए नाविक भोला राय ने बताया, ‘पूरे घर में पानी घुस गया है। 3 रात पहले हमलोग अपने-अपने घरों में सो रहे थे। इसी दौरान रात में पूरे घर में पानी घुस गया। चौकी के नीचे भी पानी आ गया। ऐसी खराब हालात रहने के बावजूद कोई मुखिया-नेता या मंत्री हमलोगों का हाल-चाल लेने नहीं आया है।’ ‘न जानवरों के लिए चारा है, न ही हमारे लिए खाना है। पूरे रास्ते में 12 से 13 फीट पानी भर चुका है। सरकार की ओर से कोई नाव नहीं दिया गया है। हमलोगों अपने ही नाव से लोग इधर-उधर जा रहे हैं। जानवरों का चारा भी अपने ही नाव से लेकर आ रहे हैं। हमारी परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है।’ राघोपुर के स्कूल-गांव में घुसा पानी राघोपुर क्षेत्र में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। सबसे अधिक असर शिक्षा व्यवस्था और ग्रामीण संपर्क मार्गों पर पड़ा है। राघोपुर के चकसिंगार पंचायत स्थित मिडिल स्कूल, हाई स्कूल और +2 इंटरमीडिएट कॉलेज में गंगा का पानी घुस गया है। इससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है। वहीं, राघोपुर पश्चिमी पंचायत के डोम्मा टोला स्थित मिडिल स्कूल भी पानी में डूब गया है। दोनों पंचायतों को मिलाकर कुल 5 स्कूल बंद हो चुके हैं। छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पेरेंट्स का कहना है कि ‘बच्चे अब स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और न ही ऑनलाइन पढ़ाई की कोई व्यवस्था है।’ कटिहार के 15 से अधिक गांवों में खतरे की आशंका स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि, अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले 24 घंटे में शेरमारी, चाय टोला, खरवार टोला, कटरिया (शाहपुर धर्मी पंचायत), खेरिया, बालू टोला, गांधीग्राम, बिन टोली (दक्षिणी मुरादपुर), कमलाकानी, बसुहार मजदिया (पूर्वी मुरादपुर), गुमटी टोला (जरलाही) और नगर पंचायत के बागमारा, मेहर मियां टोला, पचखुटी जैसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस सकता है। खेरिया घाट पर तेज कटाव, गांव पर मंडरा रहा खतरा कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही खेरिया घाट पर कटाव तेज हो गया है। तटीय इलाकों में जमीन तेजी से खिसक रही है। इस गांव के लोग रात-रातभर जागकर निगरानी कर रहे हैं। प्रशासन से सुरक्षा उपायों की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ——————- ये खबर भी पढ़े ग्राउंड रिपोर्ट-छाती तक पानी,कंधे पर लाश,77 साल से यहां पुल नहीं:गयाजी में 8 हजार लोग 8 महीने तक शहरों से कट जाते;चिता जलाने की जगह नहीं पुल होता तो शायद मेरे बेटे की जान बच जाती, लेकिन पुल नहीं होने की वजह से मेरे बेटे की मौत हो गई। बारिश के समय नदी में पानी भरा रहता है। सीने तक पानी भरा रहता है, तो उसे इलाज के लिए अस्पताल कैसे ले जाता।’ ये कहना है उस पिता का, जिसके बेटे की हाल ही में बीमारी के बाद समय से इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई थी। गयाजी के हेरहंज गांव के 42 साल के निरंजन महतो के पेट में दर्द उठा था, लेकिन बारिश की वजह से नदी में पानी अधिक था। जिस वजह से परिवार वाले उसे अस्पताल नहीं ले जा सके। पूरी खबर पढ़ें