चंडीगढ़ में मेयर चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को AAP की 2 महिला पार्षद सुमन देवी और पूनम देवी भाजपा में शामिल हो गईं। बीजेपी की पूर्व मेयर सरबजीत कौर, उनके पति काला, भाजपा पार्षद कंवर राणा की मौजूदगी में दोनों AAP नेताओं को भाजपा में शामिल किया गया। जनवरी में मेयर के चुनाव होने हैं। AAP ने कहा- BJP हॉर्स ट्रेडिंग कर रही
2 पार्षदों के भाजपा में शामिल होने पर AAP नेता बलतेज पन्नू और चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने कहा कि नगर निगम में लोकतंत्र पर खुला हमला हुआ है। सुमन और पूनम का भाजपा में शामिल होना किसी वैचारिक परिवर्तन का परिणाम नहीं, बल्कि खुली हॉर्स ट्रेडिंग का नतीजा है। भाजपा को जनता के जनादेश पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह पैसे, दबाव और पद के बल पर निर्वाचित पार्षदों को तोड़ने की राजनीति कर रही है। चंडीगढ़ में भाजपा कैसे मेयर बना सकती है, 2 सिनेरियो सांसद को मिलाकर 36 वोट
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। मेयर चुनाव में चंडीगढ़ सांसद का वोट भी मान्य होता है। इसके अलावा 9 पार्षद नॉमिनेटेड होते हैं, जिनके पास वोटिंग राइट्स नहीं हैं। ऐसे में 36 वोटों में से भाजपा के पास अब तक 16 और AAP के पास 13 वोट थे। मगर, अब 2 पार्षदों के AAP छोड़ने के बाद भाजपा के पास 18 और AAP के पास 11 वोट रह गए हैं। कांग्रेस के पास 6 पार्षद और सांसद मनीष तिवारी को मिलाकर कुल 7 वोट हैं। मेयर बनाने के लिए कुल 19 वोट चाहिए। भाजपा के पास अब 18 वोट हाे गए हैं। हाथ से जा सकता है सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद
अभी चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बबला हैं। पिछली बार मेयर पद के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन दो क्रॉस वोट होने के कारण भाजपा की मेयर बन गईं। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद कांग्रेस को मिला था, मगर इस बार वह भी हाथ से जाता हुआ दिख रहा है। मेयर चुनाव 2022 से लेकर अब तक कैसे हुआ
चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का चुनाव हर साल होता है (5 साल के टर्म में)। कुल 35 पार्षद + चंडीगढ़ के सांसद (ex-officio) का वोट मिलाकर 36 वोट होते हैं। चुनाव गुप्त मतदान (secret ballot) से होता है और अक्सर क्रॉस-वोटिंग या विवाद होते हैं।