चंडीगढ़ प्रशासन और निगम पर 25-25 हजार जुर्माना:HC की डड्डू माजरा डंप मामले में कार्रवाई, 48000 मीट्रिक टन कचरा साफ नहीं हुआ

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डड्डू माजरा कूड़ा डंप मामले में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम चंडीगढ़ पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने देखा कि कई बार मौका देने के बाद भी दोनों विभाग केस से जुड़ी याचिका पर बिंदुवार जवाब नहीं दे रहे हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष हुई। अदालत ने प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई और पूछा कि डंप की सफाई की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है और आसपास रह रहे लोगों के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने मांगा सफाई की स्थिति पर जवाब नगर निगम के वकील गौरव मोहुंटा ने बताया कि अभी भी करीब 48,000 मीट्रिक टन कचरा साफ नहीं हुआ है। उन्होंने देरी की वजह मानसून बताई और कहा कि यह इलाका वर्ष 1989 में डंपिंग के लिए चिह्नित किया गया था। अदालत ने पूछा कि क्या इस डंप के पास बनी रिहायशी कॉलोनियों को आधिकारिक मंजूरी मिली हुई है। इस पर प्रशासन के वकील तनमय गुप्ता ने कहा कि ये बस्तियां प्रशासन के आने से पहले बनी थीं और यहां पक्के व कच्चे दोनों तरह के घर हैं। याचिकाकर्ता ने लगाए ये आरोप याचिकाकर्ता वकील अमित शर्मा ने कोर्ट में कागज और तस्वीरें दिखाकर बताया कि कचरा डंप की शुरुआत साल 1979 में हुई थी। उन्होंने कहा कि गरीब परिवारों के लिए घर और बच्चों के लिए थीम पार्क भी यहीं मौजूद थे, लेकिन अब पूरा इलाका कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है। शर्मा ने कहा कि नगर निगम ने अदालत में आश्वासन दिया था कि डंप को 21 मई 2025 तक पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा, लेकिन उस दिन ही डंप में आग लग गई, जिसे बुझाने के लिए 1.25 लाख लीटर पानी इस्तेमाल करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 2005 से 2021 के बीच डंप साइट पर हर साल करीब 30 बार आग लग चुकी है। नगर निगम को नोटिस शर्मा ने आगे कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कई बार ली चेट ओवरफ्लो और प्रदूषण को लेकर नगर निगम को नोटिस किया है, लेकिन निगम ने झूठे और भ्रामक हलफनामे दाखिल किए हैं। उन्होंने कहा कि निगम की परियोजना रिपोर्ट (DPR) में वित्तीय आंकड़ों में कई करोड़ों की गड़बड़ियां हैं और रिपोर्ट में 150 से अधिक हस्तलिखित बदलाव किए गए, जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का उल्लंघन है। कोर्ट ने कड़ी चेतावनी देते हुए पूछा कि इंदौर मॉडल क्यों नहीं अपनाया गया? अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अब आगे की सुनवाई से पहले दोनों विभाग बिंदुवार जवाब दाखिल करें। मुख्य न्यायाधीश नागू ने पूछा कि चंडीगढ़ में कचरा प्रबंधन के लिए इंदौर मॉडल जैसा प्रभावी तरीका क्यों नहीं अपनाया गया। नगर निगम की ओर से भरोसा दिलाया गया कि सफाई कार्य को तेज किया जाएगा। वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि झूठे हलफनामों पर कार्रवाई होने से ही सुधार संभव होगा। सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्या बना डड्डू माजरा का लैंड फिल साइट लंबे समय से चंडीगढ़ की सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्या बना हुआ है। इस मामले में दायर जनहित याचिका का मकसद कचरा ढेर को हटाना, प्रदूषण रोकना और जिम्मेदार विभागों की जवाबदेही तय करना है। कोर्ट ने जुर्माना इसलिए लगाया क्योंकि नगर निगम और यूटी प्रशासन ने अब तक याचिकाकर्ता अमित शर्मा द्वारा दायर आवेदन CM-17/CWPIL/2024 पर बिंदुवार जवाब नहीं दिया। इस आवेदन में दावा किया गया है कि नगर निगम और प्रशासन ने 16 नवंबर 2023 को जो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) कोर्ट में जमा करवाई, उसमें जानबूझकर बदलाव किए गए थे। रिपोर्ट इलेक्ट्रिकल इंजीनियर द्वारा तैयार करवाई गई थी जबकि इसमें सिविल और वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ की जरूरत थी। कोर्ट ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए दोनों विभागों को नोटिस जारी कर 4 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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