चंडीगढ़ पुलिस ने नकली नोट छापने वाले 5 आरोपियों को पकड़ा है। इनमें 2 उत्तर प्रदेश, जबकि एक-एक जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा के रहने वाले हैं। ये प्रिंटर में ₹100, ₹200 और ₹500 के नकली नोट छापते और फिर उन्हें आगे सप्लाई कर देते। नकली नोट छापने का तरीका सोशल मीडिया से सीखा। पहले उत्तर प्रदेश के लखनऊ और फिर चंडीगढ़ में नकली नोट खपाने की कोशिश हुई। मगर, किसी तरह चंडीगढ़ पुलिस की क्राइम ब्रांच को भनक लग गई। गिरफ्तारी के बाद इनसे 1777 फर्जी नोट बरामद किए हैं, जिनकी कीमत 7,17,400 रुपए रुपए है। इसके साथ लैपटॉप, टैबलेट, प्रिंटिंग इंक, पेपर शीट और एक कार भी जब्त की गई है। यह भी पता चला कि वह अब तक एक करोड़ से ज्यादा के नोट छाप चुके हैं। हालांकि 2 दिन पहले गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर लेकर पुलिस उनके पूरे नेटवर्क का पता लगा रही है। इनका नेटवर्क दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में फैला हुआ था। इन 5 आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
आरोपियों में अविनाश कुमार, निवासी हक्कल वार्ड नंबर-5, अलसियाटा, जिला जम्मू (जम्मू-कश्मीर), सत्यम विश्वकर्मा, निवासी महावीर एन्क्लेव पार्ट-2, नई दिल्ली, संदीप, निवासी सतनाली रोड, महेंद्रगढ़, हरियाणा और अब्दुल्ला, निवासी बेहट व शहजाद, निवासी नकुड़, जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश शामिल है। पुलिस ने पांचों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ थाना क्राइम ब्रांच में BNS के तहत केस दर्ज कर लिया। चंडीगढ़ पुलिस की गिरफ्त में कैसे आए आरोपी.. कहां से आया आइडिया, कहां करते थे सप्लाई… सोशल मीडिया से एक-दूसरे के संपर्क में आए
जांच में सामने आया है कि आरोपी इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आए। ये लोग फर्जी नोटों के वीडियो और फोटो भेजकर ग्राहकों को लुभाते थे। आमतौर पर 1:4 के अनुपात में सौदा किया जाता था, यानी 4 लाख के नकली नोट के बदले 1 लाख रुपए असली लिए जाते थे। फर्जी नोटों की सप्लाई कभी कूरियर के जरिए तो कभी हाथों-हाथ की जाती थी। ग्राहक इन नोटों को आगे बेचते या असली नोटों के बंडलों में मिलाकर बाजार में खपा देते थे। 3 महीने पहले पकड़े केस के तार चीन से जुड़े थे
चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच ने 3 महीने पहले भी नकली नोट के साथ 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें गौरव कुमार, विक्रम मीणा उर्फ विक्की और जितेंद्र शर्मा शामिल थे। तब पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ था कि नकली नोटों के बीच इस्तेमाल होने वाली तार चीन से मंगाई जाती थी। फिर नकली नोट छापकर कूरियर के जरिए आगे सप्लाई किए जाते थे। इस मामले का मास्टरमाइंड गोंडिया अभी तक फरार है। पुलिस को शक है कि वह गुजरात में छिपा हुआ है और वहां बैठकर पूरा नेटवर्क चला रहा है। चीन से वही नोटों की तार मंगाता था।