चंडीगढ़ में पकड़े नकली नोट के तार चीन से जुड़े:मुख्य आरोपी गोडिंया फरार, गुजरात से चला रहा पूरा नेटवर्क; कोरियर से करता सप्लाई

चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच द्वारा नकली नोट के साथ पकड़े गए 3 आरोपी गौरव कुमार, विक्रम मीणा उर्फ विक्की और जितेंद्र शर्मा द्वारा पुलिस पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। इस केस के तार अब चीन से जुड़ रहे हैं, क्योंकि जो नकली नोट के बीच में तार का इस्तेमाल हो रहा था, वह चीन से मंगवाई जाती थी। वहीं इस केस का मुख्य आरोपी गोडिंया अभी भी फरार है। सूत्रों से पता चला है कि पुलिस ने जो 3 आरोपी पकड़े हैं, उनके पास तो आगे कोरियर के जरिए सप्लाई आती थी। इस पूरे गिरोह का मुख्य आरोपी गोडिंया, जो गुजरात में छिपा हुआ है, वहीं से अपना पूरा नेटवर्क चला रहा है। वहीं चीन से नोट के बीच में डालने वाली तार को मंगवाता है और आगे जहां-जहां से नकली नोट की डिमांड आती है, वहां उसे कोरियर के जरिए भिजवा देता है। वहीं अब अगर चंडीगढ़ पुलिस के हाथ गोडिंया आ जाता है तो अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा हो सकता है। सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों की तलाश पुलिस जांच में सामने आया कि शुरुआत में वे नकली भारतीय करेंसी नोट की डिलीवरी लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से मिलते थे और फिर इन्हें जाने-पहचाने ग्राहकों को सप्लाई कर देते थे। बाद में, उन्होंने फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करना शुरू किया। ताकि संभावित खरीदारों को वीडियो व तस्वीरें दिखाकर और लाभ बताकर फंसाया जा सके। संपर्क और भरोसा बनने के बाद, पहले छोटे-छोटे नमूने भेजे जाते थे, उसके बाद बड़े पैकेट के रूप में डिलीवरी दी जाती थी। ​​​​आरोपी चंडीगढ़ से किए गिरफ्तार क्राइम ब्रांच ने शिशु निकेतन स्कूल सेक्टर-22 चंडीगढ़ के पास से गौरव कुमार और विक्रम मीणा नामक आरोपियों को 500 रुपए के फर्जी नोट चलाते हुए काबू किया था। तलाशी के दौरान काले रंग के बैग से 500 के 19 नकली नोट बरामद हुए, इसके बाद उसकी सिल्वर रंग की टाटा हैरियर की तलाशी में 500 के 1,626 फर्जी नोट मिले। साथ ही, विक्रम मीणा की अल्टो कार से 500 के 392 फर्जी नोट बरामद हुए। विक्रम मीणा संगरूर में डीटीडीसी को कुरियर एजेंट हैं और वहां दाना मंडी में गोशाला रोड पर उसकी दुकान से 500 के 10 फर्जी नोट और 100 के कुछ नोट बरामद किए गए। जांच में पता चला कि यह नोट कुरियर के माध्यम से राजस्थान के गांव झालावाड़, राजस्थान से एक कोरियर के जरिए प्राप्त हुई थी और यह नोट उसे हिमाचल प्रदेश के गांव कटिपरी के निवासी आरोपी गौरव कुमार के कहने पर यहां भेजे गए थे। पुलिस ने उसके पास से भी 4 पैकेटों में 400 नकली 500 रुपए के नोट बरामद किए। दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने राजस्थान में छापेमारी की और आरोपी जितेंद्र शर्मा को झालरापाटन, जिला झालावाड़, राजस्थान से गिरफ्तार किया गया। उसके किराए के मकान से 12,20,700 रुपए मूल्य के नकली नोट बरामद हुए। साथ ही प्रिंटर, बॉन्ड पेपर जिनमें “RBI भारत” सुरक्षा धागा लगा था और नकली करेंसी छापने में उपयोग होने वाली अन्य वस्तुएं भी मिलीं। 1 लाख के बदले मिलते 3 लाख पुलिस के मुताबिक, नकली भारतीय नोट आमतौर पर 1/3 के अनुपात में बदले जाते थे यानी 3 लाख रुपए के नकली नोट 1 लाख रुपए असली करेंसी में बदले जाते थे। हालांकि, यह अनुपात तय नहीं था और आपसी सहमति व मोलभाव पर आधारित होता था। पकड़े नहीं जाएं इसलिए ग्राहक इन नोटों को या तो कम अनुपात पर दोबारा बेचकर मुनाफा कमाते थे या फिर इन्हें असली नोटों की गड्डियों में मिलाकर पहचान से बचते थे, जिससे नकली करेंसी सार्वजनिक रूप से प्रचलन में आ जाती थी। अब जानिए तीनों आरोपी कैसे इस धंधे में पड़े… गौरव कुमार निवासी मंडी, हिमाचल: गौरव कुमार ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी, ताकि अपने खेल संबंधी सपनों को पूरा कर सके, लेकिन वह असफल रहा। इसके बाद उसने शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया, जहां उसे ऑप्शन ट्रेडिंग और कमोडिटी मार्केट में भारी नुकसान हुआ। अपने नेटवर्क के माध्यम से उसकी मुलाकात गोंदिया (महाराष्ट्र) के प्रमोद काटरे और संगरूर (पंजाब) के विक्रम मीणा से हुई, जो नकली करेंसी के धंधे में शामिल थे। नकली नोटों का सैंपल मिलने के बाद उसने इन नोटों को खरीदना शुरू किया और फिर इन्हें या तो अपने परिचित खरीदारों को या सोशल मीडिया के जरिए मिले ग्राहकों को सप्लाई करना शुरू किया। विक्रम मीणा उर्फ विक्की निवासी संगरूर, पंजाब: विक्रम मीणा ने शेयर बाजार में निवेश किया, लेकिन उसे घाटा हुआ। जल्दी पैसा कमाने के लिए उसने अपने संपर्कों से नकली करेंसी की सप्लाई तलाशी। इस दौरान उसकी मुलाकात गोंदिया (महाराष्ट्र) के प्रमोद काटरे, मंडी (हिमाचल) के गौरव उर्फ रंजीत और कोटा के जितेंद्र शर्मा से हुई। इसके बाद उसने नकली नोट खरीदना और अन्य खरीदारों को सप्लाई करना शुरू किया। वह नकली करेंसी असली पैसे के बदले लेता और फिर नोट प्राप्त करने के बाद उन्हें आगे अन्य ग्राहकों तक पहुंचाता और वितरित करता था। जितेंद्र शर्मा हरिओम शर्मा निवासी झालावाड़, राजस्थान: पढ़ाई के बाद जितेंद्र शर्मा ने पहले उज्जैन (मध्यप्रदेश) में एक मोबाइल शॉप चलाई और बाद में वहां एक डिस्पोजेबल पेपर कप यूनिट स्थापित की, लेकिन नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद वह झालावाड़ चले गए, जहां उनके माता-पिता और भाई किराना दुकान चलाते थे। उन्होंने अपनी स्विफ्ट कार से टैक्सी सेवा शुरू की, लेकिन बैंकों से लिए गए भारी कर्ज की ईएमआई चुकाने का दबाव उन पर था। जल्दी पैसा कमाने के तरीकों की तलाश में, उनका संपर्क गोंदिया (महाराष्ट्र) के प्रमोद काटरे और संगरूर (पंजाब) के विक्रम मीणा से हुआ। प्रमोद काटरे और दिल्ली से अन्य सप्लायरों से FICN (नकली भारतीय मुद्रा) की खेप मिलने के बाद, उन्होंने इन्हें विक्रम मीणा और अन्य खरीदारों को सप्लाई किया। बाद में उन्होंने अपना प्रिंटिंग ऑपरेशन शुरू करने का फैसला किया और सुरक्षा धागे वाले कागज, कटर, स्याही आदि आवश्यक उपकरण जुटाए।

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