चंद्रशेखर के समर्थकों ने ही प्रयागराज में तोड़फोड़-आगजनी की:पुलिस का दावा- 55 अरेस्ट, 550 की तलाश, आजाद बोले- उपद्रवी मेरी पार्टी के नहीं

प्रयागराज में रविवार को 5 घंटे तक बवाल हुआ। प्रदर्शन कर रहे उपद्रवियों ने 3 कारों और 15 बाइकों में तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया। करछना-कोहड़ार रूट को जाम कर दिया गया। पथराव में भुंडा चौकी प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने बवाल करने वाले 55 लड़कों को पकड़ा, जिनमें 7 नाबालिग भी हैं। 30 जून को पुलिस ने इन उपद्रवियों के विजुअल जारी किए। इनमें गाड़ियों को तोड़ते और आग लगाते लड़के माफी मांगते हुए दिखाई दे रहे। इस बवाल के बाद यूपी की सियासत को गरमाने वाले दो बयान सामने आए। पहला – चंद्रशेखर आजाद ने कहा- उपद्रव करने वाले लोग आजाद समाज पार्टी के नहीं थे, ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। दूसरा – DCP विवेक चंद यादव ने कहा- बवाल करने वाले ज्यादातर लोग भीम आर्मी से जुड़े हैं। पूछताछ और अन्य साक्ष्य सामने आए हैं। अब पुलिस वीडियो और तस्वीरों में दिख रहे 550 अन्य उपद्रवियों की तलाश कर रही है। पुलिस ने केस डायरी में बयानों की वीडियोग्राफी भी शामिल की है। इन बयानों के बाद प्रयागराज के 15 गांवों में चंद्रशेखर को लेकर नाराजगी है। लोगों ने बिना कैमरे पर आए कहा- हमारे बच्चे जिस पार्टी के लिए सड़क पर उतरे, उसके नेता ने पल्ला ही झाड़ लिया। पढ़िए रिपोर्ट… 29 जून को क्या हुआ था, जानिए 29 जून को सुबह 11:40 बजे चंद्रशेखर प्रयागराज पहुंचे। लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देते हुए पुलिस ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया। समर्थकों के साथ सर्किट हाउस ले जाया गया। यहां चंद्रशेखर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। दूसरी ओर, चंद्रशेखर के समर्थकों ने करछना-कोहड़ार रूट पर हंगामा शुरू कर दिया। भुंडा चौकी के पास जाम लगा दिया गया। एक घंटे के अंदर चार थानों की फोर्स मौके पर पहुंच गई। इसके बाद उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। प्रदर्शन कर रहे लड़कों ने नैनी और औद्योगिक थानों की फोर्स के साथ-साथ जाम में फंसे वाहनों पर भी पथराव किया। तीन कंपनी PAC के साथ DCP यमुनानगर विवेक यादव मौके पर पहुंचे। शाम 5 बजे उपद्रवियों को खदेड़ा गया। साढ़े 5 बजे स्थिति नियंत्रित हो सकी। इसके बाद चंद्रशेखर ने कहा- मेरे कार्यकर्ताओं ने कोई हंगामा नहीं किया। कुछ उदंड लोग मेरे समर्थकों के बीच घुसकर हंगामा करने लगे। मैंने प्रशासन से कहा- वीडियो के जरिए ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई करें, चाहे वे किसी भी संगठन से जुड़े हों। मैं ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करता। दलित बहुल इलाकों में चंद्रशेखर के बयान से नाराजगी
इस घटना के बाद प्रयागराज के दलित बहुल इलाकों में लोग चंद्रशेखर को लेकर आक्रोशित हैं। ऐसे इलाकों में करछना, अरई, भुंडा, खाईं, भड़ेवरा, इसौटा, कैथी, कौआ, करछना बाजार और डीहा आते हैं। चंद्रशेखर को सर्किट हाउस में रोके जाने के बाद दलित बहुल गांवों के लड़के ही हाथ में भीम आदमी का झंडा लेकर सड़क पर उतरे थे। अब उन्हें ही जेल भेजा जा रहा। दैनिक भास्कर टीम ने लोगों से बात करने का प्रयास किया, तो उन्होंने कैमरा के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। कहा- हमारे बच्चे पहले ही जेल जा चुके हैं। अब किसी के लिए भी बोलकर कुछ फायदा नहीं है। हम लोग उनकी जमानत कराने का प्रयास कर रहे। मगर ये सही नहीं है कि जिसे अपना नेता मानकर हमारे घरों के बच्चे सड़क पर उतरे, उसने उनको अपना समर्थक मानने से ही इनकार कर दिया। अब पुलिस की छानबीन और FIR को जानिए FIR में लिखा- भीम आर्मी के नेताओं के नेतृत्व में हमला किया गया
पुलिस ने FIR में लिखा है- करछना के इसौटा लोहंगपुर गांव में देवी शंकर की हत्या के संबंध में नगीना सांसद चंद्रशेखर प्रयागराज आए थे। भीम आर्मी करछना के तहसील अध्यक्ष अभय सिंह उर्फ सोनू और उपाध्यक्ष प्रतीक देव वर्मन के नेतृत्व में यमुनापार के अन्य भीम आर्मी नेताओं के साथ षडयंत्र तहत उपद्रव किया। बवाल करने वाले भीम आर्मी के नेता और कार्यकर्ता हैं। गांव के लोगों ने अपने बयानों में भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर समर्थक ही बता रहे। इसके अलावा जिन आरोपियों को पुलिस ने अरेस्ट किया, उनके परिवार वाले भी यही दुहाई दे रहे हैं। DCP विवेक चंद यादव का कहना है- बवाल करने वाले ज्यादातर भीम आर्मी से जुड़े हैं। पूछताछ और अन्य साक्ष्य सामने आए। वे झंडा बैनर लेकर सड़क पर उतरे। झंडों और नारेबाजी से साफ हुआ कि वह भीम आर्मी के लोकल नेताओं के साथ आए थे। आरोपियों में सात नाबालिग शामिल हैं, जिन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया। बवाल के बाद पुलिस की 25 टीमें छापेमारी में जुटी हैं। पूछताछ, CCTV , वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी के आधार पर पुलिस ने अब तक बवाल, तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल 65 लोगों को गिरफ्तार किया। DCP विवेक चंद्र यादव के नेतृत्व में दबिश पड़ रही है। इस मामले में 54 नामजद और 550 अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। बड़े बड़े नेताओं को रोका, भीम आर्मी से चूक गई पुलिस दरअसल, कौशांबी रेपकांड को लेकर राजनीति न हो, इसे लेकर यूपी सरकार खासा सतर्क है। मामला दलित वोटों की राजनीति से जुड़ा है। यही वजह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, बसपा की कमेटियों को पहले ही पुलिस प्रयागराज में रोक चुकी है। जब चंद्रशेखर वहां जाने पर अड़े तो पुलिस ने सख्ती शुरू कर दी। उन्हें सर्किट हाउस में हाउस अरेस्ट कर लिया। सर्किट हाउस के बाहर कार्यकर्ता जमा थे, जिनके बीच अफवाह फैली कि पुलिस ने गेट बंद कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह खबर पूरे जिले में फैल गई। उधर, इसौटा गांव में भीम आर्मी के कार्यकर्ता उत्साहित थे, वे इंतजार कर रहे थे। पुलिस को अंदाजा नहीं था कि यहां जमा कार्यकर्ता उग्र हो सकते हैं, फोर्स कम संख्या में थी। बवाल की वजह पुलिस और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के बीच गलतफहमी की वजह भी है। असल में पुलिस चाहती थी कि इसौटा गांव के परिवार वालों को वहां से हटा दिया जाए, उन्हें शहर लाकर चंद्रशेखर से मिला दिया जाए। जब पुलिस उस परिवार को शहर ले जाने की बात करने लगी तो कार्यकर्ता अड़ गए। कहा- ये परिवार यहां से नहीं जाएगा, चंद्रशेखर ने यहां आने का ऐलान किया है, लिहाजा उन्हें यहां आने दिया जाए। इसी बहस में हंगामा हुआ और भीम आर्मी और पुलिस के बीच मारपीट शुरू हो गई। उधर, चंद्रशेखर कौशांबी वाले परिवार को भी सर्किट हाउस बुलाने की मांग कर रहे थे। पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया। न तो कौशांबी का परिवार सर्किट हाउस पहुंचा न ही इसौटा का परिवार। पुलिस ने चंद्रशेखर से कार्यकर्ताओं को समझाने की अपील कराई, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। यह तब किया गया जब करछना में हिंसा भड़क चुकी थी। अब उन दो परिवारों को जानिए, जिनसे मिलने चंद्रशेखर पहुंचे… अब जानिए कौशांबी रेप कांड के बारे में
प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले के लोहदा गांव में पाल समाज की एक बेटी से रेप से हुआ है। मामले में पुलिस ने आरोपी सिद्धार्थ को जेल भेज दिया। इस गम में आरोपी के पिता राम बाबू ने थाने के बाहर जहर खाकर जान दे दी। इसके बाद जमकर बवाल हुआ। प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एक X पोस्ट के जरिए मामले में जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद पीड़ित बच्ची के पिता पर आरोपी के पिता की मौत मामले में अलग केस दर्ज कर जेल भेज दिया। पुलिस ने गांव के प्रधान को 25 हज़ार का फरार बदमाश घोषित कर दिया। हालांकि हाई कोर्ट ने प्रधान को अरेस्ट स्टे दे दिया। दलित की हत्या कर शव को जला दिया
प्रयागराज में दलित देवी शंकर की 13 अप्रैल को हत्या कर दी गई। पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में मामला लव अफेयर की रंजिश का निकला। देवी शंकर अवधेश सिंह उर्फ डीएम के परिवार की एक लड़की से फोन पर बात करता था। इसीलिए 12 अप्रैल की रात देवी शंकर को दिलीप सिंह उर्फ छुट्‌टन उसके घर से लाया। पहले सबने शराब पार्टी की। खूब शराब पी और धुत हो गए। फिर लड़की से बातचीत के मुद्दे पर झगड़ा शुरू हो गया। यह सब करीब 5 घंटे तक चलता रहा। बाद में आठों लोग मिलकर देवीशंकर पर हावी हो गए। पीट-पीटकर उसको मार डाला। फिर लाश के कपड़े उतारकर शराब में भिगो दिए। लाश पर यही कपड़े डालकर आग लगा दी। इसके बाद आठों आरोपी भाग निकले, लेकिन तेज हवाओं से आग बुझ गई और लाश पूरी तरह से जल नहीं पाई। 13 अप्रैल की सुबह उसकी अधजली लाश मिलने के बाद देवी शंकर के घरवाले आक्रोशित हो गए। उन्होंने न सिर्फ हत्यारोपियों के घर पर तोड़-फोड़ की थी, बल्कि पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस को 2 घंटे तक लाश भी नहीं उठाने दी। बाद में पोस्टमॉर्टम के बाद 13 अप्रैल की रात ही पुलिस ने देवी शंकर का जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया। इसके बाद लोगों का गुस्सा और बढ़ गया। लोग रोड पर इकट्ठा हो गए और हंगामा करने लगे। दलित हत्या में सियासत बढ़ने के बाद 14 अप्रैल की शाम को दिलीप और अवधेश के खेतों पर बुलडोजर चला। प्रशासन के मुताबिक, 1.5 बीघा सरकारी जमीन पर उनका कब्जा था। ……….
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