चुनाव आयोग कर रहा फर्जीवाड़ा, बंद हो एसआईआर:देश के जाने-माने बुद्धिजीवियों ने कहा- मतदाता पुनरीक्षण में भ्रष्टाचार हो रहा

मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि चुनाव आयोग फर्जी हस्ताक्षर कराकर मतदाता फॉर्म भरवा रहा है। इससे ड्राफ्ट मतदाता सूची में तो लोगों का नाम आ जाएगा, लेकिन बाद में निर्वाची अधिकारियों की मनमानी चलेगी। वे जिसे चाहेंगे उसका नाम मतदाता सूची में रखेंगे और जिसे चाहेंगे उसे बाहर कर देंगे। बेल्जियम मूल के अर्थशास्त्री ने कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक फॉर्म भरवा लेने का दावा किया जा रहा है, लेकिन उनमें से अधिकतर फॉर्म मतदाताओं के अनजाने में किसी भी दस्तावेज के बिन फर्जी हस्ताक्षर कर भरे गए हैं। ऐसे लोगों के वोट देने पर हमेशा संदेह बना रहेगा। राजनीतिक हानि-लाभ को देखकर ऐसे लोगों की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे मतदाता सूची लंबे समय तक गंदी बनी रहेगी। इसलिए एसआईआर यानी विशेष मतदाता पुनरीक्षण को जल्द रद्द कर पुरानी मतदाता सूची से ही मतदान कराना चाहिए। ज्यां द्रेज बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में आयोजित मतदाताओं की जनसुनवाई को संबोधित कर रहे थे। इस जनसुनवाई में प्रदेश के 14 जिलों से आए मतदाताओं ने हिस्सा लिया। इसे राजस्थान से आए सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी, अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर, शाहिद कमाल, ऋषि आनंद, कामायनी स्वामी, महेंद्र यादव, जहीब, उमेश शर्मा, आशीष रंजन ने भी संबोधित किया। इसका आयोजन भारत जोड़ो अभियान, एनएपीएम, स्वराज अभियान, कोसी नव निर्माण मंच, समर चैरिटेबल ट्रस्ट व जन जागरण शक्ति संगठन ने मिलकर किया था। मतदाता बहिष्करण अभियान चल रहा : योगेंद्र राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री योगेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पहली बार संकट में आई है। आयोग मतदाता सूची को अपवित्र करने में लगा है। यह एक तरह से मतदाता बहिष्करण अभियान है। गलत तरीके से मतदाता फॉर्म भरवाकर राजनीतिक हानि-लाभ की दृष्टि से उन्हें वोटर लिस्ट में रखने या बाहर करने की साजिश की जा रही है। बिहार के बाद पूरे देश में यह प्रयोग दोहराया जाएगा। सूचना के अधिकार का उल्लंघन : हबीबुल्लाह देश के मुख्य सूचना आयुक्त रहे वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि लोकतंत्र में पारदर्शिता लाने के लिए सूचना का अधिकार कानून लाया गया। विशेष मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया में इस कानून का भी उल्लंघन हो रहा है। आरटीआई कानून की धारा 4 के तहत जिन मतदाताओं का फॉर्म स्वीकार किया गया है, उनके नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए। पुनरीक्षण के पीछे के खेल को समझें : अंजना पटना हाईकोर्ट की जज रहीं अंजना प्रकाश ने कहा कि अफरातफरी में मतदाता पुनरीक्षण के पीछे के खेल को समझना चाहिए। सभी जानते हैं कि बिहार के आधे गरीब लोगों के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं। जिनके पास होते भी हैं तो वे बाढ़ में बह जाते हैं। इसलिए मतदाता पुनरीक्षण कम से कम छह महीना पहले करना चाहिए। अभी चुनाव के समय अचानक इसे आयोजित कर जैसे-तैसे पूरा करने के इरादे को समझना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *