चुनौतियों को मात देकर रचा इतिहास:चंडीगढ़ में स्नेहालय में पले वंश को प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार, सेवा-खेल में दिखाया हुनर

सामाजिक सेवा के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले स्नेहालय, मलोया (चंडीगढ़) के निवासी वंश तायल को देश के सर्वोच्च बाल सम्मानों में शामिल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें 26 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह के दौरान भारत के माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदान किया गया। संस्थागत परिवेश में पले-बढ़े वंश तायल ने सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियों के बावजूद जिस तरह नेतृत्व, संवेदनशीलता और आत्मविश्वास का परिचय दिया, वह कई बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बीच उन्होंने न केवल स्वयं को सशक्त बनाया, बल्कि अपने साथ रहने वाले बच्चों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। स्वयंसेवा और नेतृत्व से बनाई अलग पहचान वंश तायल ने स्नेहालय में रहते हुए निरंतर स्वयंसेवा गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने जरूरतमंद बच्चों की मदद, सामूहिक गतिविधियों का आयोजन और आपसी सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया। उनके नेतृत्व गुणों ने उन्हें साथियों के बीच एक भरोसेमंद मार्गदर्शक के रूप में स्थापित किया। खेलों में भी चमका हुनर सामाजिक सेवा के साथ-साथ वंश तायल खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहे हैं। विशेष रूप से राज्य-स्तरीय रग्बी प्रतियोगिताओं में चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अनुशासन, टीमवर्क और खेल भावना का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन ने संस्थान के अन्य बच्चों को खेलों की ओर प्रेरित किया। राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान उनके निरंतर प्रयासों, समाज पर सकारात्मक प्रभाव और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि न केवल वंश तायल के लिए, बल्कि स्नेहालय मलोया और चंडीगढ़ शहर के लिए भी गर्व का विषय है।

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