महापर्व छठ में अब मात्र 2 सप्ताह शेष रह गए हैं, लेकिन बिहारशरीफ शहर के ऐतिहासिक कोसुक घाट पर नगर निगम प्रशासन की उदासीनता नजर आ रही है। पंचाने नदी के तट पर स्थित इस घाट में इस बार पानी भरपूर है, मगर सफाई का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। दोनों किनारों पर झाड़ियां, बिखरे कूड़े-कचरे के ढेर और विसर्जित मूर्तियों के अवशेष देखकर स्थानीय लोगों और छठव्रतियों में चिंता और आक्रोश का माहौल है। कोसुक घाट को गोविंद नक्षत्र का दर्जा प्राप्त है। मान्यता है कि राजगीर जाने के क्रम में भगवान श्रीकृष्ण और महाबली भीम ने यहां स्नान किया था। इसी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रत्येक वर्ष छठ महापर्व के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देने पहुंचते हैं। दीपनगर, चोरबगीचा, कोसुक, राणा बिगहा, सिपाह, लखरावां, मनियावां, जोरारपुर, टांड़ापर, मीरनगर, श्यामनगर, पहाड़पुरा, रामचंद्रपुर, कटरापर, सोहनकुआं, अम्बेर, गढ़पर समेत लगभग 50 गांवों के श्रद्धालु इस घाट को अपनी आस्था का केंद्र मानते हैं। लेकिन इतनी बड़ी धार्मिक और सामाजिक महत्ता के बावजूद यह घाट प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत होनी है, ऐसे में समय बहुत कम बचा है। पानी के नीचे दलदली जमीन और गाद छठ घाट की हालत बेहद दयनीय है। दोनों किनारों पर घनी झाड़ियां और जंगली घास उग आई है। पॉलीथिन, फोम के डब्बे, विसर्जित प्रतिमाओं के अवशेष और मिट्टी के बर्तन इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। गंदगी का अंबार लगा हुआ है। पक्की सीढ़ियां नहीं बनी हैं और पानी के नीचे दलदली जमीन और गाद जमी हुई है, जो श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। घाट के पास ही गिट्टी और बालू का ढेर भी जमा कर दिया गया है, जो पूरे परिदृश्य को और भी बदसूरत बना रहा है। इस बार नदी में पानी का स्तर सामान्य से अधिक है, ऐसे में सुरक्षा के दृष्टिकोण से मजबूत बैरिकेडिंग की व्यवस्था करना भी अत्यंत आवश्यक है। बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव हैरानी की बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण घाट पर आज तक स्थायी रूप से एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई है। बिहारशरीफ-राजगीर मार्ग के किनारे स्थित इस घाट की लगातार उपेक्षा से आसपास के निवासी काफी नाराज है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब हर साल यहां छठ के अवसर पर मेले जैसा माहौल रहता है, तो नगर प्रशासन को स्थायी रोशनी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। हालांकि छठ के दौरान नगर निगम अस्थायी तौर पर लाइटें लगवाकर रोशनी का इंतजाम करता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम की सुविधा भी यहां उपलब्ध नहीं है, जो विशेष रूप से महिला श्रद्धालुओं के लिए बड़ी असुविधा का कारण बनती है। ये करने होंगे काम छठ पर्व को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन को सबसे पहले घाट की व्यापक सफाई करानी होगी और अस्थायी सीढ़ियों का निर्माण करना होगा। पानी के नीचे सतह पर गाद को निकालना आवश्यक है ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो। घाट पर रोशनी के लिए पर्याप्त संख्या में लाइटें लगानी होंगी। कपड़ा बदलने के लिए घाट के दोनों तरफ अस्थायी चेंजिंग रूम बनाने होंगे। सबसे महत्वपूर्ण इस बार नदी में पानी का स्तर अधिक होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत बैरिकेडिंग करानी होगी। कार्तिक पूर्णिमा पर भी उमड़ती है भीड़ कोसुक नदी घाट पर केवल छठ ही नहीं, बल्कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भी सुबह में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। पूरे घाट के आसपास ग्रामीण मेले का दृश्य नजर आता है। बुजुर्ग, युवा और बच्चों की टोलियां पूर्णिमा के दिन तड़के 4 बजे से ही यहां जुटने लगती हैं। स्नान और दीप दान कर लोग ईश्वर की आराधना करते हैं। छठ के अवसर पर तो यहां पूरे मेले का दृश्य होता है। जगह-जगह खेल-तमाशे, झूले और खाने-पीने की दुकानें लगाई जाती हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ्य देने पहुंचते हैं।