दुनिया के सबसे उम्रदराज और मशहूर मैराथन धावक फौजा सिंह की अंतिम अरदास और अखंड पाठ का भोग बुधवार को पठानकोट-जालंधर हाईवे स्थित गुरुद्वारा श्री बाबा शाहिदा सरमस्तपुर में संपन्न हुआ। दोपहर 1 से 2 बजे तक अरदास हुई और बाद में संगत ने गुरु का लंगर ग्रहण किया। विदाई को खास बनाते हुए भोग में फौजा सिंह की पसंदीदा अलसी की पिन्नियां भी परोसी गईं, जिन्हें संगत ने श्रद्धा से स्वीकार किया। इस मौके पर एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी, जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज, अमृतपाल सिंह के पिता, बसपा नेता बलविंदर कुमार, अकाली नेता मोहिंदर सिंह केपी, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई प्रमुख नेता और संगतजन शामिल हुए। गौरतलब है कि 14 जुलाई को सड़क हादसे में घायल होने के बाद इलाज के दौरान फौजा सिंह का निधन हो गया था। उन्हें 20 जुलाई को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 80 वर्ष की उम्र शुरू की थी दौड़ 114 वर्षीय फौजा सिंह दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक थे, जिन्होंने 80 वर्ष की उम्र में दौड़ना शुरू किया और 90 साल की उम्र में इंग्लैंड में अपनी पहली मैराथन पूरी की। 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो में आयोजित मैराथन में विश्व रिकॉर्ड कायम किया और अपना नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में दर्ज करवाया। फौजा सिंह लंबे समय तक इंग्लैंड में अपने बड़े बेटे सुखजिंदर सिंह के साथ रहे। वहां उन्होंने 26 वर्षों तक रहकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। 80 साल की उम्र में दौड़ की शुरुआत करने वाले फौजा सिंह ने अपनी फिटनेस और जज्बे से पूरी दुनिया में मिसाल कायम की। जत्थेदार गड़गज बोले- फौजा सिंह युवाओं के लिए प्रेरणा तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज आज यानी बुधवार को धावक फौजा सिंह की अंतिम अरदास के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। इस दौरान जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने कहा- हमारे सिख इतिहास में कई ऐसे पंगतियां हैं, जिन्हें हमारे सिखों ने अपने जीवन शैली में अपनाया है। सरदार फौजा सिंह भी उन में से एक रहे हैं। जिस दिन सरदार फौजा सिंह की मौत हुई, उस दिन भी वह दौड़ लगाते हुए ही गए। जत्थेदार गड़गज ने आगे कहा- फौजा सिंह ने लोगों को बताया कि वह किसी भी उम्र में कोई भी काम कर सकते हैं। सरदार फौजा सिंह हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। उन्होंने आज तक अपने धर्म से कभी समझौता नहीं किया। सिख पहचान को वह पूरी दुनिया तक आगे लेकर गए। जत्थेदार गड़गज ने आगे कहा- आज की जवान पीढ़ी को फौजा सिंह से ज्ञान लेने की जरूरत है। अगर नशा करना ही है तो हम गुरु की बाणी का नशा करें और अपनी रोटी का नशा करें।
फौजा सिंह की मौत पर प्रधानमंत्री ने भी जताया था दुख 14 जुलाई की दोपहर को जालंधर में सैर करते समय एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे के बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां देर शाम इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। हादसे के बाद खेल जगत और राजनीतिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई केंद्रीय और राज्य स्तर के नेताओं और खेल जगत के दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और दुख जताया था। पुलिस ने गिरफ्तार किया था NRI व्यक्ति फौजा सिंह की मौत के बाद पुलिस ने हिट एंड रन मामले की जांच शुरू की। करीब 30 घंटे के भीतर पुलिस ने एनआरआई आरोपी अमृतपाल सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार कर लिया। जिस फॉर्च्यूनर कार से फौजा सिंह को टक्कर मारी गई थी, उसे भी पुलिस ने बरामद कर लिया। आरोपी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। आज उनकी अंतिम अरदास और अखंड पाठ की रस्म में बड़ी संख्या में राजनीतिक, सामाजिक और खेल जगत की हस्तियां शामिल होने की उम्मीद है।