‘मेरे अब्बू सेहतमंद थे। वह घर से बाहर रहकर नौकरी करते थे। अपने वालिद की तबीयत खराब होने का पता चलने पर घर आए थे। दोबारा नौकरी पर जाने के लिए घर से हंसी-खुशी निकले थे। हम उनकी सलामती की उम्मीद में यहां आए थे। अब 7 दिन बाद पता चला कि वह नहीं रहे।’ यह कहते हुए इटावा के कलीम बिलख पड़े। उनके साथ आए दोस्तों ने दिलासा देकर उन्हें संभाला। कलीम के पिता सलीम उन 19 लोगों में शामिल थे, जिनकी 16 दिसंबर को मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे में मौत हो गई थी। आग में जलकर शरीर पूरी तरह कोयला हो गया था। इसलिए पहचान नहीं हो सकी थी। उनके बेटे के डीएनए सैंपल से शव की शिनाख्त हो सकी। कलीम की ही तरह कई ऐसे लोग हैं, जो अपनों की तलाश में पिछले एक हफ्ते से मथुरा में भटक रहे थे। वह जिनकी तलाश में आए थे, वह उन बसों में सवार थे, जो 16 दिसंबर की रात जलकर राख हो गई थी। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी तलाश पूरी होगी तो उनके परिजन जिंदा और सही-सलामत मिलेंगे। हालांकि, कहीं पता नहीं चलने पर उन्होंने भारी मन से अपना सैंपल दिया था। लेकिन, जो शव मौके से बरामद हुए थे, पूरी तरह से जलकर राख हो गए थे। उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। ऐसे में जिनका कहीं पता नहीं चला, उनकी तलाश में आए उनके घरवालों का ब्लड सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट करवाया गया। अब उसकी रिपोर्ट आई है। सैंपल मैच होने के बाद 9 शवों की पहचान हो चुकी है। दरअसल, मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर 16 दिसंबर को हुए हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। 3 तस्वीरें देखिए… पहले जानिए कैसे हुआ था हादसा…
मथुरा में 16 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेस-वे पर कोहरे के चलते 8 बसें और 3 कारें टकरा गई थीं। टक्कर होते ही गाड़ियों में आग लग गई थी। इसमें 19 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसा थाना बलदेव क्षेत्र में सुबह साढ़े 3 बजे माइलस्टोन 127 पर हुआ था। जिस बस पर ड्राइवर थे, उसी में हुई मौत
हादसे का शिकार कानपुर के रहने वाले सलीम भी हुए। सलीम कानपुर की शताब्दी ट्रैवल्स की बस चलाते थे। 4 साल से ड्राइवरी कर रहे सलीम 15 दिसंबर की रात को कानपुर से दिल्ली के लिए शताब्दी ट्रैवल्स की स्लीपर क्लास बस लेकर चले। वह जैसे ही थाना बलदेव क्षेत्र के माइल स्टोन 127 पर पहुंचे, बस में आग लग गई। इस हादसे में उनकी भी मौत हो गई। शिनाख्त के लिए बेटे और पिता ने दिया था DNA सैंपल
सलीम का शव बुरी तरह जल गया था। शिनाख्त के लिए बेटा अली अब्बास और पिता इसरार हुसैन ने DNA सैंपल दिया था। 22 दिसंबर को सैंपल मैच होने के बाद उनके शव की पहचान हो सकी। 23 दिसंबर को घरवाले शव लेने पहुंचे। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया के बाद शव सौंप दिया। इसके बाद वह शव को कानपुर देहात के पैतृक गांव दौड़ीबारी रवाना हो गए। दिल्ली में सिलाई करते थे सलीम, पिता की बीमारी पर घर आए थे
इटावा के रहने वाले सलीम भी उसी हादसे का शिकार हुए थे। सलीम नोएडा की एक एक्सपोर्ट कंपनी में सिलाई मास्टर थे। वह पिता की तबीयत खराब होने पर हादसे से 2 दिन पहले इटावा स्थित अपने घर आजाद नगर टीला आए हुए थे। वहां से वह सोमवार शाम को वापसी के लिए रवाना हुए। वह उसी शताब्दी ट्रैवल्स की बस में सवार होकर वापस नोएडा जा रहे थे, जो मथुरा में हुए हादसे का शिकार हुई थी। पिता के शव की शिनाख्त के लिए बेटा-बेटी ने सैंपल दिया
हादसे के बाद सलीम के परिवार के लोग उनकी तलाश में मथुरा पहुंचे। मौके पर सलीम का कुछ पता नहीं चला। इसके बाद प्रशासन ने अज्ञात शवों में से सलीम की पहचान के लिए उनके बेटे कलीम और बेटी तबस्सुम का DNA सैंपल लिया। इसका आगरा स्थित लैब में मैच कराया गया। सोमवार को सैंपल मैच कर गया। इसके बाद मंगलवार को शव परिजनों को सौंप दिया गया। रोडवेज बस के ड्राइवर थे सुनील
एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे और उसके बाद 9 वाहनों में लगी आग में वह रोडवेज बस भी थी, जो आजमगढ़ से दिल्ली जा रही थी। इस बस को अंबेडकरनगर के रहने वाले सुनील कुमार चला रहे थे। बस में आग लगने से सुनील कुमार की भी मौत हो गई थी। उनकी शिनाख्त के लिए प्रशासन ने 5 साल के बेटे संस्कार और 12 साल की बेटी अंकिता का DNA सैंपल लिया था। 7 दिन रैन बसेरा में रहे
सुनील की शिनाख्त के लिए भाई और परिवार के दूसरे लोग अस्पताल से लेकर पोस्टमॉर्टम तक भटके। इस दौरान वह जिला अस्पताल में बने रैन बसेरे में रहे। सोमवार को जब उनका DNA सैंपल मैच हो गया, तब पता चला कि सुनील की भी जलकर मौत हो गई। सही-सलामत मिलने की उम्मीद टूटी, तो सभी गमगीन हो गए। उनकी आंखों से आंसू छलक उठे। मंगलवार को प्रशासन ने शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया। इसके बाद परिजन एंबुलेंस से शव को अंबेडकरनगर ले गए। जालौन के राघवेंद्र गाजियाबाद में नौकरी करते थे
जालौन के रहने वाले राघवेंद्र (30) गाजियाबाद के मोहन नगर में स्थित जूते-चप्पल की दुकान पर काम करते थे। हादसे से एक हफ्ते पहले ही वह परिवार से मिलने जालौन गए थे। सोमवार को वह जालौन से बस से दिल्ली जा रहे थे। इसी दौरान बस हादसे का शिकार हो गई। इसमें राघवेंद्र की भी जलकर मौत हो गई। उनके छोटे भाई अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि उनको एक बेटा और एक बेटी है। परिवार का पालन-पोषण वही कर रहे थे। आंखों में आंसू लिए शव लेकर हुए रवाना
राघवेंद्र के शव की पहचान के लिए अनिरुद्ध ने अपना सैंपल दिया था। सोमवार को सैंपल मैच होने की रिपोर्ट आ गई। यह जानकारी मंगलवार को जब अनिरुद्ध कुमार और अन्य परिजनों को मिली तो सभी बिलख पड़े। प्रशासन ने राघवेंद्र का शव सौंपा तो आंखें डबडबा गईं। परिवार आंखों में आंसू लिए शव को लेकर रवाना हुए तो माहौल गमगीन हो गया। ————————– ये खबर भी पढ़ें… आगरा पुलिस ने मारते-मारते दोनों पैर तोड़े, हत्या के केस में उठाया, बोला- जमकर डंडे बरसाए आगरा में हत्या के मामले में उठाए गए 35 साल के युवक को पुलिस ने थर्ड डिग्री दी है। पुलिस ने दो दिन तक उसे टॉर्चर किया। उसने बताया- पुलिस मुझ पर हत्या कबूलने के लिए प्रेशर बना रही थी। पढ़ें पूरी खबर…