फाजिल्का में बाढ़ प्रभावित इलाकों में खेतों में जमा रेत को किसानों द्वारा बेचने का विधायक ने समर्थन किया है। माइनिंग विभाग के अधिकारियों द्वारा परेशान करने की शिकायत पर पहुंचे विधायक ने कहा कि “जिसका खेत, उसकी रेत” यही सरकार की नीति है। किसान इसमें गेहूं की बुआई नहीं कर सकते हैं, इसलिए रेत बेचकर घर चलाएं। बाढ़ का पानी तो चला गया है, लेकिन खेतों में कई फुट तक रेत जमा हो गया है। इसे किसान मशीनों के जरिए निकालकर बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें माइनिंग व अन्य विभाग के अधिकारी परेशान कर रहे हैं। इसकी शिकायत पर विधायक नरेंद्र पाल सवना पहुंचे और कहा कि कोई परेशान करे तो उन्हें बताएं। 300 एकड़ में जमा रेत, निकालने में लगेंगे दो तीन माह विधायक ने दोना ननका गांव में हालात का जायजा लिया। विधायक नरेंद्र पाल सवना ने बताया कि फाजिल्का के सरहदी इलाके में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने दोना नानका गांव में करीब 300 एकड़ खेतों में रेत जमा हुआ पाया है। रेत उठाने का यहां काम 2 से 3 महीने तक चलेगा और यही वजह है कि अब इस जमीन पर गेहूं की फसल की बिजाई नहीं की जा सकती। सरकार की है पॉलिसी उन्होंने कहा कि खेती न करने पर किसान अपना गुजारा कैसे करेंगे। इसलिए किसान बेधड़क होकर “जिसका खेत, उसी की रेत” सरकार की पॉलिसी के तहत अपना रेत बेचकर घर का गुजारा चला सकते हैं। अगर कोई इसमें रोकता है तो किसान उन्हें बताएं, किसी को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।