झांसी समेत पूरे देश में कांवड़ यात्रा की धूम है। कावड़िए जल लेकर आ रहे हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। लेकिन झांसी में निकले कावड़ियों के कावंड़ में जल नहीं था। बल्कि उसके स्थान पर कांवड़ियों ने पौधे की कांवड़ उठा रखी थी, जो प्रकृति बचाने का संदेश दे रहे थे। वहीं, पर्यावरण के दुश्मन माने जाने वाला कचरा, प्लास्टिक और धुंए को नकरात्मक शक्ति के रूप में यात्रा में शामिल किया गया। एक तरफ झांसी पूरे देश में शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल और ऐसे ही कई पवित्र नदियों का जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं तो वहीं, झांसी में एक अनोखी कांवड़ यात्रा देखने को मिली। यहां जिला जनकल्याण समिति और रानी झांसी फाउंडेशन ने अनोखी कांवड़ यात्रा निकाली। जिसमें कांवड़ उठाने वाले युवकों ने अपनी-अपनी कांवड़ पर जल की जगह पौधे उठा रखे थे। वहीं, उनके साथ-साथ एक रैली भी चल रही थी, जिसमें पर्यावरण जागरूकता के लिए पोस्टर बैनरों के साथ स्कूली बच्चों के अलावा एनएसी कैडिट्स भी चल रहे थे। यह यात्रा रानी लक्ष्मीबाई पार्क से धर्मगुरु आचार्य हरिओम पाठक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना की। प्लास्टिक, कचरा और धुएं को बताया दैत्य पर्यावरण जागरूकता के लिए निकाली गई कांवड़ यात्रा शहर में आकर्षण का केंद्र रही। यात्रा में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए युवाओं को अलग-अलग वेश में शामिल किया गया। इनमें कचरा, प्लास्टिक और धुएं को प्रकृति का दुश्मन दर्शाते हुए उसे राक्षस बताया। ऐसे में राहगीरों की इन पर नजर पड़ी तो वह फोटो वीडियो शूट करने के लिए खड़े हो गए।