डेयरी कॉम्पलेक्स का आधा हिस्सा गोबर ने निगल लिया निकासी के लिए भी प्रबंध नहीं, रास्ते भी गायब हो चुके

भास्कर न्यूज | जालंधर जमशेर में डेयरी कांप्लेक्स के लिए साल 1996 में जगह अलॉट हुई थी। साल 2002 में डेयरियां बननी शुरू हुईं। विकास हुआ तो पशुओं की संख्या भी बढ़ी। इस वजह से खाली प्लॉट गोबर से भरने लगे। देखते ही देखते 100 एकड़ में फैला डेयरी कांप्लेक्स का आधा हिस्सा गोबर ने निगल लिया, डेयरी संचालको ने गोबर को खाली प्लॉटों में फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद यह मुद्दा पॉल्यूशन विभाग के पास पहुंचा और उसके बाद ग्रीन ट्रिब्यूनल गया। हल निकालने के लिए प्रशासन ने बायोगैस प्लांट लगाना ही बेहतर समझा, जिसके लिए जमीन ढूंढनी शुरू हुई और फिर प्रशासनिक अधिकारियों की नजर चारा मंडी पर पड़ी, जहां रोजाना करीब दो 2 बजे ट्रॉली चारे की आती है। जमीन बायो गैस प्लांट के लिए अलॉट कर दी गई। जब इस बात का पता डेयरी संचालकों, गांववासियों को चला तो विरोध शुरू हो गया। इसमें राजनीतिक नेताओं ने भी एंट्री मारी। जब नींव खोदी गई तो जमकर विरोध हुआ और एक ही मंच पर किसान, गांववासी और राजनेता इकट्ठे हो गए। दैनिक भास्कर की टीम ने किसानों और गांववासियों से भी बातचीत की। उनकी एक ही मांग थी कि किसी भी हालत में प्लांट उक्त जगह पर नहीं लगे। इससे उनकी जान और सेहत को खतरा है। गौरतलब है कि जमशेर डेयरी कॉम्प्लेक्स में गोबर के प्रबंधन के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त निर्देश दिए थे। क्योंकि गोबर का सीधा बहाव सतलुज नदी को प्रदूषित कर रहा है। बायोगैस प्लांट को इसी प्रदूषण को रोकने के समाधान के रूप में देखा गया था, लेकिन स्थान चयन और प्लांट लगाने के मुद्दों ने इसे एक बड़े विवाद में बदल दिया है। जमशेर खास और आसपास के ग्रामीण एकजुट होकर इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे अपनी ग्रीन एनर्जी पॉलिसी के हिस्से के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है। 30 दिसंबर तक चारा मंडी खाली करने के आदेश चारामंडी की जगह बायो गैस प्लांट बनाने के लिए थिंक गैस कंपनी को टेंडर अलॉट हुआ है। कंपनी ने चारा मंडी के अंदर आढ़तियों के टेंपरेरी कमरों के आगे नोटिस चिपकाया है कि 30 दिसंबर तक कब्जा हटा लिया जाए। इसे लेकर भी किसान और डेयरी वालों में रोष है। आसपास गांवों के पंच व सरपंच भी मौके पर पहुंचे थे। उनका कहना है कि अगर चारामंडी जिस जगह शिफ्ट होगी, वहां 10 से 15 फीट की सड़क है। बायो गैस प्लांट चारामंडी और डेयरी कांप्लेक्स के दूर ही लगना चाहिए। इससे हादसा भी हो सकता है और गैस भी लीक हो सकती है। किसानों का सबसे बड़ा विरोध है कि सरकार जिस स्थान पर प्लांट लगाने की योजना है, वहां चारे की मंडी लगती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *