गयाजी में चौथी की छात्रा स्नेहा डॉक्टर बनना चाहती है, पर घर की आर्थिक तंगी के कारण उसे पढ़ाई में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घर में बिजली नहीं है। रात के समय पढ़ाई के लिए स्नेहा को घर के बाहर सड़क पर स्ट्रीट लाइन के नीचे बैठना पड़ता है। इसका वीडियो भी सामने आया है, जो 2 दिन पुराना है। सड़क पर गाड़ियां भी चलती रहती है। डर लगता है, पर स्नेहा इसी माहौल में पढ़ाई करने को मजबूर है। स्नेहा की पढ़ने की इच्छा है। वो आगे बढ़ना चाहती है, पर रुपए नहीं है। पिता की किडनी खराब है। इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। अब दवा के रुपए भी नहीं है। आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना है। स्नेहा कहती है, ‘मुझे पढ़ाई बहुत पसंद है। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं, ताकि पापा का इलाज खुद कर सकूं। पर बिजली नहीं रहती तो सड़क किनारे ही पढ़ती हूं। अगर कोई मदद करे तो मैं आगे तक पढ़ सकती हूं।’ मामला मानपुर प्रखंड के छोटकी भेड़िया गांव का है। घर में सात लोग कमाने वाली एक जब सोशल मीडिया पर सड़क किनारे पढ़ने का वीडियो सामने आया तो पता चला कि परिवार बेहद गरीब है। 4 बेटियां और एक बेटा। माता-पिता दोनों अशिक्षित हैं। महेश मांझी पहले चेन्नई में मजदूरी करते थे, लेकिन बीमारी ने उनकी कमर तोड़ दी। अब घर लौट गए हैं। इलाज कराने के लिए घर की जमा-पूंजी खत्म हो गई। महेश बताते हैं कि किडनी की दवा भी अब छूट गई है। किसी तरह पेट पाल रहे हैं। बेटी पढ़ना चाहती है, लेकिन हम कहां से पढ़ाएं। अगर कोई मदद करे तो बेटी की राह आसान हो जाए। घर में सात लोग है और कमाने वाली सिर्फ मेरी पत्नी है। हालात हमारे साथ नहीं हैं बच्ची की मां बताती हैं कि हम लोग दूसरों के खेतों में काम कर रोजी-रोटी चलाते हैं। बेटी में काबिलियत है, पढ़ाई में तेज है। लेकिन हालात हमारे साथ नहीं हैं। अगर सरकार या कोई समाजसेवी मदद करे, तो हम बेटी को जरूर पढ़ाएंगे।