पंजाब के तरनतारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए फिर बड़ी परीक्षा होने जा रही है। यह सीट अकाली दल का परंपरागत गढ़ मानी जाती है। अबकी बार मुकाबला इसलिए भी खास है क्योंकि यह वही सीट है, जहां से खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल अच्छी लीड मिली थी। लोकसभा चुनाव में यहां AAP तीसरे नंबर पर रही थी, इसलिए अब पार्टी अपनी साख बचाने के लिए पूरा दम लगा रही है। ये सीट AAP के विधायक डॉ. कश्मीर सिंह सोहल के देहांत के बाद खाली हुई थी। 11 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। सभी प्रमुख चार पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को उतार दिया है। जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) ने तीन बार विधायक रह चुके हरमीत सिंह संधू, कांग्रेस ने करणबीर सिंह बुर्ज, अकाली दल ने सुखविंदर कौर रंधावा और भाजपा ने हरजीत सिंह संधू को मैदान में उतारा है। वहीं, सांसद अमृतपाल सिंह की पार्टी अकाली दल वारिस पंजाब दे की तरफ से हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या करने वाले संदीप सिंह उर्फ सन्नी के भाई मनदीप सिंह को मैदान में उतारा गया है। वहीं, इस चुनाव में अकाली दल (पुर्न-सुरजित), जिनके प्रधान पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह हैं, भी इन चुनावों में अपना उम्मीदवार उतारने में जुटी हुई है। तरनतारन सीट का रुझान… जीत हासिल करने के लिए 40 फीसदी से अधिक वोट चाहिए
बीते 6 चुनावों के मुताबिक इस सीट पर वही उम्मीदवार जीत हासिल कर सकता है, जो 40 फीसदी से अधिक वोट प्राप्त करता है। 2022 में AAP ने 40.45 फीसदी, 2017 में कांग्रेस ने 45.1 फीसदी, 2012 में अकाली दल ने 41.6 फीसदी और 2007 में भी अकाली दल ने 48.7 फीसदी वोट हासिल किए थे और जीत दर्ज की थी। सत्ता में रहते हुए भी AAP रही थी तीसरे स्थान पर
इस सीट पर सबसे लेटेस्ट चुनाव 2024 में लोकसभा का हुआ। तरनतारन विधानसभा खडूर साहिब लोकसभा सीट का हिस्सा है। सत्ता में रहते हुए AAP यहां तीसरे स्थान पर रही थी। अमृतपाल सिंह ने इस सीट पर 44,703 वोट हासिल किए थे। जबकि कांग्रेस ने 20,193, आम आदमी पार्टी ने 18,298 और अकाली दल ने 10,896 वोट हासिल किए थे। अकाली दल का किला 2017 में हुआ ध्वस्त
तकरीबन तीन दशकों तक तरनतारन को अकाली दल का गढ़ माना जाता रहा। लेकिन 2017 के बाद से अभी तक यहां के वोटरों का रुझान लगातार बदल रहा है। 2017 में अकाली दल का किला गिरा तो कांग्रेस ने यहां से बढ़त हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस आगे रही। लेकिन 2022 में आम आदमी पार्टी ने यहां दूसरी बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लेकिन 2024 में यहां के वोटरों का रुझान एक बार फिर बदल गया। 2024 लोकसभा चुनाव में अमृतपाल सिंह ने बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ा। जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने यहां ना प्रचार किया और ना ही वोट मांगे। लेकिन 1.97 लाख वोटों से जीत दर्ज कर सांसद बने। अमृतपाल व ज्ञानी हरप्रीत सिंह की पार्टी डालेगी असर
नवंबर में होने वाले उपचुनाव में 2 अहम उम्मीदवार खास असर डालेंगे। इनमें अमृतपाल सिंह की पार्टी के उम्मीदवार मनदीप सिंह हैं। मनदीप सिंह के चुनावी अखाड़े में उतरने के बाद लोगों को एक विकल्प रिवायती पार्टियों से हटकर मिला है। वहीं, दूसरी तरफ अकाली दल से अलग हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने 7 सदस्य कमेटी का गठन किया है, जो उपचुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर रहे हैं। अगर ये उम्मीदवार उतारने का फैसला करते हैं तो इसका असर अकाली दल के कैडर वोट पर देखने को मिल सकता है। अब उम्मीदवारों के बारे में पढ़िए…