तेजस्वी का राजनीति कद तो तेजप्रताप का बढ़ी आय:पांच साल में 637% बढ़ी इनकम, दोनों पर केस हुए दोगुने

बिहार की सियासत के सबसे बड़े ‘राजपरिवार’ में विरासत की जंग अब चुनावी हलफनामे के पन्नों से निकलकर सीधे चुनावी मैदान में आ गई है। बुधवार को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और गुरुवार को उनके बड़े भाई तेजप्रताप ने अपना नामांकन दाखिल किया। दोनों भाइयों के चुनावी हलफनामों को देखने के बाद यह साफ है कि RJD के ‘युवराज’ तेजस्वी का राजनीतिक कद बढ़ा है, लेकिन कानूनी मुश्किलें और कर्ज भी बढ़ीं हैं। दूसरी तरफ बड़े भाई तेज प्रताप सियासत में भले ही अकेले पड़ गए हों, लेकिन उनकी कमाई तेजी से बढ़ी और वह पूरी तरह कर्ज-मुक्त हो गए हैं। हलफनामों के मुताबिक, एक चीज दोनों भाइयों में बराबर बढ़ी है- आपराधिक मुकदमों का बोझ, जो पांच साल में दोगुना हो गया है। देखिए अब सिलसिलेवार ढंग से दोनों भाइयों का लेखा-जोखा… तेजस्वी यादव- पूर्व डिप्टी सीएम/आरजेडी तेजस्वी प्रसाद यादव, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख नेता हैं। तेजस्वी, लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे हैं। तेजस्वी यादव ने बुधवार को वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है। राघोपुर लालू परिवार की पारंपरिक सीट है। यहां तेजस्वी ने 2015 और 2020 में जीत हासिल की थी। कुल संपत्ति 6.09 करोड़, कर्ज भी 108 गुना बढ़ी 2025 के हलफनामे के अनुसार, तेजस्वी यादव की कुल संपत्ति (Net Worth) 6.09 करोड़ रुपए है। यह 2020 में उनकी 5.89 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति से कहीं ज्यादा है। लेकिन कहानी का सबसे चौंकाने वाला पहलू उनकी देनदारियों में छिपा है। पांच साल पहले तेजस्वी यादव पर केवल 17,578 रुपए का मामूली सरकारी बकाया था। आज, 2025 में कुल देनदारियां 108 गुना बढ़कर 1.91 करोड़ रुपए हो गई हैं। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा 1.35 करोड़ रुपए के विवादित आयकर का है, जो उनके फाइनेंशियल मैनेजमेंट पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आपराधिक मामले में 295% की भारी बढ़ोतरी एक तरफ जहां तेजस्वी की आय में 2020 की तुलना में 295% की वृद्धि हुई है, वहीं उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी लगभग उसी रफ्तार से बढ़े हैं। 2020 में उन पर 11 मामले लंबित थे, जो 2025 में बढ़कर 22 हो गए हैं। यह सिर्फ संख्या का खेल नहीं है। इन मामलों की प्रकृति अत्यंत गंभीर है। इसमें CBI और ED द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के मामले शामिल हैं, जो सीधे तौर पर उनकी छवि को प्रभावित करता है। चुनाव से ठीक पहले सबसे बड़ा झटका दिल्ली की एक अदालत द्वारा IRCTC ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले में उन पर आरोप तय (Charges Framed) करना है। कानूनी भाषा में इसका मतलब है कि अब उन पर बाकायदा मुकदमा चलेगा। यह एक ऐसी तलवार है जो उनके राजनीतिक भविष्य पर लगातार लटकी रहेगी और विपक्ष को उन पर हमला करने का एक बड़ा हथियार देती है। तेज प्रताप यादव – जनशक्ति जनता दल (JJD) कभी बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रहे तेज प्रताप आज अपने परिवार की पार्टी RJD से बाहर हैं और अपनी नई पार्टी “जनशक्ति जनता दल” के बैनर तले महुआ विधानसभा से अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। उनके द्वारा दाया हलफनामे में कई बड़े खुलासे हुए हैं। तेज प्रताप की आय में 637% की बंपर बढ़ोतरी फाइनेंशियल मोर्चे पर तेज प्रताप ने एक बेहद सधी हुई तस्वीर पेश की है। 2020 में उन पर 17.58 लाख रुपए का बैंक कर्ज था, लेकिन 2025 के हलफनामे में वह पूरी तरह कर्ज-मुक्त हैं। उनकी कुल संपत्ति में 8.3% की मामूली वृद्धि हुई है और यह अब 2.88 करोड़ रुपए है। सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा उनकी आय का है। पिछले पांच सालों में उनकी आय में 637% की विस्फोटक वृद्धि हुई है। 2024-25 में उनकी घोषित आय 22.93 लाख रुपए है, जो उनके छोटे भाई तेजस्वी की 11.46 लाख रुपए की आय से लगभग दोगुनी है। लाइफस्टाइल और कानूनी मामले तेज प्रताप अपनी लाइफ स्टाइल को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। एक तरफ वह खुद को कृष्ण का भक्त बताते हैं और अक्सर आध्यात्मिक गतिविधियों में लीन दिखते हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें महंगी गाड़ियों के शौक है। ताजा हलफनामे के मुताबिक, उनके पास BMW, Skoda जैसी लग्जरी कारें और CBR 1000RR जैसी सुपरबाइक हैं, जिनकी कुल कीमत करीब 7 लाख है। कानूनी मामलों में तेज प्रताप भी पीछे नहीं हालांकि, कानूनी मामलों में उनकी भी स्थिति बिगड़ी है। 2020 में उन पर 5 मामले थे, जो 60% बढ़कर अब 8 हो गए हैं। राहत की बात यह है कि उनके खिलाफ कोई भी मामला भ्रष्टाचार से संबंधित नहीं है और न ही किसी मामले में आरोप तय हुए हैं। उनके ज्यादातर मामले स्थानीय विवादों, महामारी अधिनियम के उल्लंघन और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय द्वारा दायर किए गए घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न जैसे व्यक्तिगत मामलों से जुड़े हैं। विरासत की जंग और भविष्य की राह 2025 का चुनाव इन दोनों भाइयों के लिए एक चौराहे की तरह है, जहां से उनके भविष्य की दिशा तय होगी। तेजस्वी की चुनौती तेजस्वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी राजनीतिक लोकप्रियता को कानूनी दागों से बचाने की है। क्या बिहार की जनता उनके नेतृत्व पर भरोसा करेगी या IRCTC मामले का ट्रायल और CBI-ED के मामले उनके मुख्यमंत्री बनने के सपने पर ग्रहण लगा देंगे? उनका हर कदम अब अदालत और जनता, दोनों की नजर में रहेगा। उन्हें यह साबित करना होगा कि ये मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और उनकी ईमानदारी पर कोई आंच नहीं है। तेज प्रताप की चुनौती तेज प्रताप के लिए यह लड़ाई राजनीतिक अस्तित्व की है। RJD जैसे विशाल संगठन से अलग होकर, क्या वह अपनी नई पार्टी को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में स्थापित कर पाएंगे? महुआ से उनकी जीत या हार यह तय करेगी कि क्या उनका अपना कोई जनाधार है या वह केवल लालू-राबड़ी के नाम की छाया में ही चमक सकते थे। यह चुनाव उनके व्यक्तिगत करिश्मे और राजनीतिक सूझबूझ का सबसे बड़ा इम्तिहान है। चुनाव तय करेगा लालू यादव का असली राजनीतिक उत्तराधिकारी पिछले पांच साल यानी 2020 से 2025 के बीच, इन दोनों भाइयों की दुनिया पूरी तरह बदल गई है। उनके चुनावी हलफनामे सिर्फ संपत्ति और देनदारियों के आंकड़े नहीं हैं, बल्कि यह उनकी बदलती महत्वाकांक्षाओं, बढ़ती कानूनी चुनौतियों और एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हो चुकी राहों का एक विस्तृत दस्तावेज हैं। एक भाई का राजनीतिक कद लगातार बढ़ रहा है, तो दूसरे की दौलत में विस्फोटक वृद्धि हुई है। यह चुनाव सिर्फ सरकार बनाने के लिए नहीं है, यह लालू प्रसाद यादव की असली राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी को चुनने का भी जनादेश होगा।

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