तेज प्रताप बोले- तेजस्वी बदमाशी किए तो पीटे भी गए:बुरा उन्हें लगे जिन्होंने मुझे निकाला; देखिए तेज प्रताप यादव का चुनावी दिन

चुनावी माहौल में दैनिक भास्कर लाया है, बिहार के पॉपुलर नेताओं के साथ खास बातचीत की सीरीज ‘हैलो नेताजी’। आज के नेताजी हैं जनशक्ति जनता दल के अध्यक्ष तेज प्रताप यादव… दोपहर के ठीक 1 बज रहे हैं। पटना के 10 सर्कुलर रोड स्थित तेज प्रताप यादव के आवास। हरे रंग का जालीदार और भारी-भरकम लोहे का गेट लगा है। इस पर एक त्रिशूल भी है, जो धार्मिक स्वभाव की झलक दे रहा है। कुछ ही देर में सफेद कुर्ता-पैजामा पहने तेज प्रताप खुद गेट खोलकर बाहर आते हैं। उनकी नजर सीढ़ियों से महज 5 मीटर दूर लगे तुलसी के पौधे पर पड़ती है, जिसके आगे एक दिया जल रहा है। वे श्रद्धा से तुलसी को प्रणाम करते हैं। कुछ पल आंखें मूंदते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं। हमसे हाथ मिलाने के बाद वह हमें अपने घर का टूर करवाते हैं। तेज प्रताप के ऑफिस की एक दीवार पर लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की तस्वीर लगी हैं। जब हमने उनसे पूछा कि क्या वह उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘जी, माता-पिता का फोटो है। सभी लोग घर में लगाते हैं।’ यहां से निकल कर वे बाहर इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। उनसे बात करते हैं। इसके बाद वे अपनी कार में बैठते हैं। हम भी उन्हीं की कार में बैठते हैं और पांच गाड़ियों के काफिले के साथ मोतिहारी के लिए निकल पड़ते हैं। तेज प्रताप के सत्तू, सियासत और भाई के किस्से सफर के साथ हमारी बातचीत का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। रास्ते में कई जगहों पर लोकल मीडिया के लोग उनकी गाड़ी रोककर बात करने की कोशिश करते हैं, जिस पर वह मीडिया की मौजूदा स्थिति पर कटाक्ष भी करते हैं। हमने पूछा कि नाश्ते में क्या खाया, तो जवाब मिला, ‘सतुआ पिए हैं।’ अपनी नई पार्टी की चुनौतियों पर तेज प्रताप बोले, ‘जो भी चुनौतियां हैं, उसको सामना करना है।’ पिताजी की बनाई पार्टी छोड़ने का मलाल है? इस सवाल पर उनका दर्द छलका। उन्होंने कहा, ‘उन लोग को भी तो बुरा लगना चाहिए जो पार्टी से हमको बाहर किए हैं। हमने तो सैक्रिफाइस किया है। हमने विष पीने का काम किया है।’ छोटे भाई तेजस्वी से नाराजगी की बात को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। ‘न न… हम नाराज नहीं रहते हैं किसी से भी। मेरा नेचर ऐसे ही रहा है, थोड़ा मूडियल टाइप का है।’ इसी दौरान वे बचपन का एक किस्सा सुनाते हैं, ‘क्रिकेट हम लोग कई बार साथ में खेले हैं। हम बॉलिंग किए। जब उनको (तेजस्वी को) आउट कर देते थे तो बोलते थे नॉट-आउट है। बहुत बार पिटाए भी हैं हमसे बचपन में। हम जब गलती किए हैं तो मार खाए हैं।’ अपने अलग-अलग रूपों, जैसे कभी बांसुरी बजाते हुए तो कभी रैंप वॉक करते हुए दिखने पर तेज प्रताप ने कहा, ‘एक जगह फैशन शो था, वहां पर हमको बुलाया गया था तो हम चले गए। जो लोग जहां बुलाता है, हम चले जाते हैं।’ भाई तेजस्वी के डांस वीडियो पर उनका कमेंट साफ था, ‘ठीक है तो नाचे, कोई दिक्कत नहीं है। हम भी बांसुरी बजाते हैं, आप भी नाचिए।’ सफर के दौरान तेज प्रताप ने ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ मूवी के गाने बजवाया। मेरा रंग दे बसंती चोला, माए, रंग दे… उन्होंने कहा, ‘ये सब मेरा फेवरेट है। एनर्जी लेवल हाई हो जाता है।’ इस बीच उन्होंने कार में रखी भगत सिंह, जवाहर लाल नेहरू और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी किताबें दिखाईं। रास्ते में उन्होंने एक समर्थक को देखकर गाड़ी रुकवाई और उससे बात की। फिर हमसे मुखातिब होकर बोले, ‘हम इंसान धर्म बनाना चाहते हैं। जहां किसी का कोई जात-पात न हो। अगर आपके पास ब्लेड होगा तो हम अपना हाथ काट के दिखाएंगे कि खून लाल गिरता है। मुसलमान भी काटेगा तो लाल ही खून गिरेगा। तो हम लोग सब एक हैं।’ उन्होंने लालू यादव पर लगे ‘भूरा बाल साफ करो’ के नारे को RSS-भाजपा का प्रोपेगेंडा बताया और कहा कि उनके पिता ने ऐसा कभी नहीं कहा। दरअसल, 1990 के दशक में जब लालू यादव बिहार के सीएम थे, तब राज्य में ‘भूरा बाल साफ करो’ के नारे लगे थे। ये नारा भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला समाज को लेकर था। राजनीति और नेताओं पर भी तेज प्रताप बेबाकी से बोले। राजनीति को ‘विष’ कहने की बात पर उन्होंने टोका, ‘गलत उदाहरण मत दीजिए, अगर पॉलिटिक्स नहीं रहेगा तो देश नहीं चल सकता।’ सीएम नीतीश कुमार पर वे हमलावर जान पड़े। उन्होंने बताया, ‘वे (नीतीश कुमार) स्टार्टिंग में ठीक-ठाक थे, लेकिन अब खराब हो गए। महिलाओं से छेड़छाड़ किया है। वो दिमागी तौर पे बीमार हैं।’ वहीं, प्रशांत किशोर को उन्होंने ‘बिजनेसमैन’ बताया, कहा कि उनमें नेता वाले गुण नहीं हैं। इतनी बातचीत के बीच शाम के 6 बज चुके थे और हम मोतिहारी पहुंच चुके थे। ढलते-सूरज के बीच तेज प्रताप अपनी एक करोड़ की एसयूवी से उतरे और कार्यकर्ताओं संग खेत में चलने लगे। हमारा कैमरा भी लगातार उन्हें कैप्चर कर रहा था। वे रामायणपुर गांव पहुंचे। वहां पहले से मौजूद ढाई से 3 हजार लोगों की भीड़ नेताजी के लिए नारे लगाने लगी। इसके बाद तेज प्रताप ने मंच संभाला और अपनी ही पुरानी पार्टी यानी आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी पर निशाना साधा। सभा खत्म हुई और दिनभर की यात्रा, जनसभाओं और मुलाकातों के बाद जब हम देर रात पटना लौटे, तो लगा कि अब नेता जी आराम करेंगे। लेकिन घर पहुंचते ही वे कार्यकर्ताओं के साथ एक और मीटिंग में व्यस्त हो गए। यह एक दिन की यात्रा दिखाती है कि तेज प्रताप यादव की शख्सियत पूजा-पाठ, बयानों और उनके अलग-अलग अंदाज से कहीं ज्यादा गहरी है, जहां भगत सिंह की प्रेरणा भी है और जमीनी सियासत की अथक मेहनत भी। ****

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