दल-बदलुओं के सहारे चुनाव में PK:65 कैंडिडेट में 17 BJP, RJD और माले के पुराने नेता, नीतीश के भरोसेमंद पर दांव

जनसुराज ने अबतक 116 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। इनमें 1 क्रिमिनल, 7 वकील, 17 दलबदलू, 4 इंजीनियर और 9 डॉक्टर शामिल हैं। इसके अलावा बीजेपी के कद्दावर नेता और बक्सर के 4 बार के सांसद रहे लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे को चैनपुर से टिकट मिला है। नीतीश कुमार के भरोसेमंद जदयू नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दसई चौधरी को पातेपुर से, जबकि 4 बार के कांग्रेस के विधायक रहे सत्येंद्र हाजरा को सोनवर्षा से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं माले के एरिया कमांडर सत्येंद्र सहनी को तरैया से प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरेंगे। ये पीके के चुने हुए कैंडिडेट हैं, जो जनसुराज के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। जनसुराज की दूसरी लिस्ट में 17 दलबदलू प्रशांत किशोर ने जनसुराज के कैंडिडेट की दूसरी लिस्ट सोमवार को जारी की। इस लिस्ट में उन्होंने राज्य के 30 जिलों की 65 विधानसभा के लिए कैंडिडेट के नाम की घोषणा की। जबकि पहली लिस्ट में 51 विधानसभा के लिए कैंडिडेट की घोषणा की थी। पहली लिस्ट में जहां प्रशांत किशोर ने फ्रेश चेहरों को मैदान उतारा था। तो वहीं दूसरी लिस्ट में दल-बदलुओं को जगह दी गई है। इन 65 उम्मीदवारों में 17 ऐसे कैंडिडेट हैं, जो बीजेपी, राजद और माले में रहकर राजनीति करते रहे हैं। हत्या करने की कोशिश में जेल जाने वाले को भी टिकट जनसुराज की लिस्ट में एक नाम ऐसा भी है जिसपर अटेम्ट ऑफ मर्डर का भी आरोप है। 47 साल के नाज अहमद इस मामले में जेल भी जा चुके हैं। उन्हें पार्टी की तरफ से मोतिहारी के केसरिया से कैंडिडेट बनाया गया है। नाज लगभग 6 महीने से भी ज्यादा जेल में रहने के बाद इसी साल जेल से जमानत पर बाहर आए हैं। इलाके के लोगों की मानें तो पहले भी इन पर कई तरह के क्रिमिनल मामले दर्ज हैं। दूसरी लिस्ट में पिछड़ा, दलित और मुस्लिम का कॉम्बिनेशन दूसरी लिस्ट में प्रशांत किशोर ने पिछड़ा और मुस्लिम पर दांव लगाया है। 65 की लिस्ट में इन्होंने 24 पिछड़ी जाति के नेताओं को कैंडिडेट बनाया है। इनमें 14 EBC और 10 OBC के हैं। यानी 37% पिछड़ी जाति को टिकट दिया गया है। जबकि 14 मुस्लिम कैंडिडेट यानी कि 21% मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। जबकि 11 सवर्ण और 1 एसटी को टिकट दिया गाया है। वहीं, पहली लिस्ट में PK ने 51 कैंडिडेट में से 17 यानि की 33.3% EBC को, 11 यानी कि 21.5% पिछड़ा को, 7 यानी कि 13.7% मुस्लिम को, 9 यानी कि 17.7% को 7 यानी कि 13.7% SC-ST को कैंडिडेट बनाया था। इस हिसाब से देखें तो कैंडिडेट के सिलेक्शन में प्रशांत किशोर की पूरी कोशिश जातियों को साधने की है। उनका सबसे ज्यादा फोकस राज्य में सबसे बड़ी आबादी EBC-OBC को साधने की है। अगर दोनों लिस्ट को मिला लें तो 52 कैंडिडेट इन्होंने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से बनाए हैं। इस हिसाब से देखें तो 116 कैंडिडेट में से 45% कैंडिडेट इनके पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के हैं। राज्य में EBC की आबादी 36% और OBC की आबादी 27% है। यानि इस लिहाज से देखें तो राज्य में अकेले 63% आबादी इनकी है। मुख्य तौर पर इन्हें नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक माना जाता है। EBC और OBC के बाद संख्या के लिहाज से प्रशांत किशोर ने मुस्लिमों को सबसे ज्यादा हिस्सेदारी दी है। पहली लिस्ट में जनसुराज की तरफ से 7 और दूसरी लिस्ट में 14 यानी कि 21 मुस्लिम कैंडिडेट बनाए गए हैं। इस हिसाब से देखें तो प्रशांत किशोर ने कैंडिडेट की लिस्ट में 18% की हिस्सेदारी दी है। राज्य में मुस्लिमों की कुल आबादी लगभग 19 फीसदी है। इसे मुख्य रूप से महागठबंधन का वोट बैंक माना जाता है। प्रशांत किशोर के कैंडिडेट की औसत उम्र 51 साल है टिकट के डिस्ट्रीब्यूशन में जहां प्रशांत किशोर ने कैंडिडेट के बैकग्राउंड और उनकी लोकप्रियता का ख्याल रख रहे हैं तो इनकी उम्र का भी विशेष ख्याल रखा है। दूसरी लिस्ट के कैंडिडेट की औसत उम्र 51 साल है। इस लिस्ट में सबसे बुजुर्ग जहां 74 साल के भागलपुर के अभयकांत झा हैं तो सबसे युवा 27 साल के रोसड़ा के रोहित पासवान हैं। साक्षर से PhD तक, डॉक्टर-वकील पर सबसे ज्यादा भरोसा जनसुराज की दूसरी लिस्ट में साक्षर से पीएचडी तक की पढ़ाई करने वालों को जगह दी गई है। जनसुराज की लिस्ट में कुशेश्वर स्थान से कैंडिडेट बनाए गए शत्रुघ्न पासवान जहां मात्र साक्षर हैं तो तारापुर के संतोष कुमार सिंह एमडी हैं। अगर प्रोफेशन की बात करें तो पीके को सबसे ज्यादा भरोसा डॉक्टर और एडवोकेट पर है। 65 कैंडिडेट में 8 एलएलबी हैं, 10- डॉक्टर, 4, इंजीनियर हैं। इसके अलावा सामान्य ग्रेजुएशन करने वाले 16 कैंडिडेट जबकि मैट्रिक और इंटर तक की पढ़ाई करने वाले 11 कैंडिडेट हैं। बाकी इससे नीचे तक पढ़े हैं। जबकि पहली लिस्ट में डॉक्टर-7, वकील- 2, पूर्व IPS- 2 और IAS के रिश्तेदार- 1 को कैंडिडेट बनाया गया था। सामान्य सीटों पर मुस्लिम और दलित कैंडिडेट का प्रयोग प्रशांत किशोर ने अपनी कैंडिडेट की लिस्ट में मुख्यधारा की पॉलिटिक्स से अलग दो बड़े प्रयोग किए हैं। पहला- उन्होंने जनरल सीट से दलित को अपना कैंडिडेट बनाया है। नीतीश कुमार के गृहक्षेत्र हरनौत विधानसभा से उन्होंने कमलेश पासवान को अपना कैंडिडेट बनाया है। जबकि सीतामढ़ी सीता मां की जन्मस्थली के नाम हिंदुत्व की पॉलिटिक्स कर रही बीजेपी को बड़ी चुनौती दी है। वैश्य बहुल इस सीट पर उन्होंने मुस्लिम कैंडिडेट उतारा है। ऐसा ही प्रयोग उन्होंने मधुबनी, दरभंगा और रोहतास में किया है। इन दल-बदलुओं को मिला टिकट… हेमंत चौबे- चैनपुर से हेमंत चौबे को कैंडिडेट बनाया गया है। हेमंत चौबे लालमुनि चौबे के बेटे हैं। लालमुनि चौबे बक्सर से 4 बार के सांसद हैं। लालमुनि चौबे बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। टिकट कटने के कारण ये जनसुराज से जुड़ गए थे। तथागत हर्षवर्धन- बक्सर से तथागत हर्षवर्धन कैंडिडेट बनाया गया है। ये फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। 11 साल तक कांग्रेस के बक्सर में जिलाध्यक्ष रहे हैं। इनके पिता केके तिवारी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। रत्नेश्वर ठाकुर- हरलाखी से 64 साल के रत्नेश्वर ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है। इन्होंने 42 साल तक माले के लिए काम किया है। अपने प्रखंड के मुखिया रह चुके हैं। मंतोष सहनी- जदयू में कई पदों पर एक्टिव रहे हैं। सत्येंद्र हाजरा- सोनवर्षा सीट से जनसुराज की तरफ से सत्येंद्र हाजरा को कैंडिडेट बनाया गया है। 64 साल के हाजरा 4 बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे हैं। इमानदार छवि के हैं। सत्येंद्र कुमार सहनी- पार्टी की तरफ से इन्हें सारण के तरैया से कैंडिडेट बनाया गया है। ये 20 साल तक माले के एरिया कमांडर रहे हैं। इसके बाद 10 साल तक जदयू में पॉलिटिक्स की है। वाल्मीकि सिंह- इन्हें बख्तियारपुर से कैंडिडेट बनाया गाय है। कुर्मी जाति से आने वाले वाल्मीकि सिंह नीतीश कुमार के भरोसेमंद माने जाते थे। दो बार जदयू के एमएलसी रह चुके हैं। 2022 तक जदयू कोटे से एमएलसी रहे हैं। राजेश्वर मांझी- इन्हें मसौढ़ी से कैंडिडेट बनाया गया है। 53 साल के मांझी जदयू के साथ राजद में भी रह चुके हैं। 2015 का चुनाव इन्होंने हम के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इकरामुल हक- किशनगंज के ठाकुरगंज से इकरामुल हक को कैंडिडेट बनाया गया है। इकरामुल ठाकुरगंज में राजद के प्रखंड अध्यक्ष रह चुके हैं। इंट भट्‌ठा का कारोबार करते हैं। उप प्रमुख रह चुके हैं।

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