नशे से मौतों के बाद फतेहाबाद SP की सख्ती:ANC इंचार्ज और कई पुलिसकर्मी बदले; मृत युवक के पिता बोले- रुकनी चाहिए बिक्री

फतेहाबाद जिले के रतिया शहर में नशे की ओवरडोज से युवाओं की लगातार हो रही मौत ने ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रतिया क्षेत्र में पिछले दो दिन में तीन युवाओं की मौत हो चुकी है। मृतक युवक के पिता का कहना है कि क्षेत्र में बेखौफ बिक रहा नशा बंद होना चाहिए। नशा विरोधी मुहिम चला रहे बीजेपी नेता ने भी सार्वजनिक बयान देते हुए कहा कि रतिया में इतने जानवर नहीं मर रहे, जितने युवा मर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दे डाली कि अगर मेडिकल स्टोर संचालकों ने नशा बेचना बंद नहीं किया, तो वे सड़कों पर उतर कर इन पर ताला लगाने का काम करेंगे। बढ़ते मामलों के बाद एसपी सिद्धांत जैन ने और सख्ती दिखाई। पहले एसएचओ, फिर डीएसपी बदलने के बाद अब एंटी नारकोटिक्स सेल (एएनसी) प्रभारी, कई चौकी इंचार्ज और पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर कर दिए गए हैं। यादविंदर सिंह को सौंपी एएनसी की कमान एसपी सिद्धांत ने इंस्पेक्टर यादविंदर सिंह को प्रहलाद राय के स्थान पर एएनसी प्रभारी लगाया है। एसआई हंसराज को ब्राह्मणवाला चौकी से दरियापुर चौकी, एसआई रमेश कुमार को बड़ोपल से गुरुनानकपुरा चौकी, एसआई पुरुषोत्तम को गुरुनानकपुरा से बड़ोपल चौकी भेज दिया है। एएसआई शीशपाल को दरियापुर से सिटी रतिया, एएसआई दलबीर को कुलां से ब्राह्मणवाला चौकी और एएसआई जितेंद्र सिंह को सिटी रतिया से कुलां चौकी भेजा है। एएसआई मेजर सिंह को एएनसी से भूना, भूपेंद्र सिंह को भूना से एएनसी, पवन कुमार को एएनसी से रतिया, शीशपाल को रतिया से एएनसी में भेजा है। इनमें भी किया फेरबदल साथ ही दयाराम को एएनसी से म्योंद चौकी, कश्मीर सिंह को सीआईए रतिया से एएनसी, राजविंद्र को टोहाना से एएनसी, वीरेंद्र को म्योंद से सीआईए टोहाना, आनंद को एएनसी से सीआईए रतिया और रविंद्र को एएनसी से सिटी रतिया में भेजा गया है। इससे पहले रणजीत सिंह की जगह पुष्पा सिहाग को रतिया एसएचओ लगाया था। गोशाला के पास नाले में मिला था शव बता दें कि रतिया शहर के वार्ड नंबर चार के युवक गुरप्रीत (19) का शव गोशाला के पास नाले में गिरा मिला था। परिजनों के अनुसार, उसकी मौत नशे की ओवरडोज से होने की आशंका है। उसके शव को कुत्तों ने नोच रखा था। वहीं गांव कंवलगढ़ और गांव लालवास में भी युवकों की मौत हुई है। जिनकी मौत का कारण भी नशा ही माना जा रहा है। दो सालों से नशा कर रहा था युवक गुरप्रीत के पिता निर्मल सिंह ने कहा कि नशे के कारण उनके मझले बेटे की मौत हुई है। नशा बंद होना चाहिए, वह 19 साल का था। वह दो सालों से नशा कर रहा था। मैंने एक-दो बार पकड़ा भी है। बाद में उसने कहा कि मैंने छोड़ दिया है, हमने पूछा कहां से लाता है, तो यह नहीं बताया। भाजपा नेता बोले- स्टोर संचालकों के आगे जोड़े थे हाथ रतिया व आसपास के गांवों में नशा विरोधी मुहिम चला रहे बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव भवानी सिंह ने कहा कि कहने के लिए कोई शब्द नहीं रहे हैं। आज रतिया के बुरे हालात हैं। इतने यहां जानवर नहीं मरते, जितने नौजवान बच्चे मर रहे हैं। पहले हमने महापंचायत की थी। हमने हाथ जोड़कर मेडिकल स्टोर वालों से रिक्वेस्ट की थी। उनसे कहा था कि कोई नशा लेने आए, तो नाम नोट करके हमें बताए, ताकि उनका इलाज करवाया जा सके। एक मेडिकल वाले का भी फोन नहीं आया। हम कह रहे हैं कि हमें इतना मजबूर ना करें कि सड़कों पर उतर कर उनके मेडिकल स्टोरों पर ताला लगाने का काम करें। पोस्टमॉर्टम नहीं करवाने से पुलिस नहीं मानती हालांकि, नशे के कारण मरने वाले युवकों के परिजन उनका पोस्टमॉर्टम नहीं करवा रहे हैं। इस कारण पुलिस इन मौतों को नशे के कारण हुई मौत नहीं मान रही है। ऐसा मामला सामने आने पर मीडिया में यह दर्शाने का प्रयास भी किया जाता है कि यह मौत नशे से नहीं हुई है।

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