हिसार जिले के हांसी उपमंडल के गांव कागसर स्थित खुशी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में छात्राओं के साथ कथित अनियमितताओं और उत्पीड़न का मामला एक बार फिर उबाल पर है। शुक्रवार दोपहर कॉलेज के मुख्य गेट पर शुरू हुआ छात्राओं का धरना रातभर जारी रहा। कड़कड़ाती ठंड और खुले खेतों के बीच न्यूनतम इंतजामों के बावजूद छात्राएं तिरपाल के सहारे पूरी रात डटी रहीं। छात्राओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगी। 50 से ज्यादा शिकायतें, फिर भी कार्रवाई नहीं धरने पर बैठी छात्राओं ने आरोप लगाया कि वे पिछले एक महीने से सरकार, प्रशासन, पुलिस और महिला आयोग के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उनका दावा है कि अब तक 50 से अधिक बार शिकायतें दी जा चुकी हैं और रोजाना ई-मेल भेजे जा रहे हैं, फिर भी किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। SDM ने की छात्राओं से मुलाकात छात्राओं ने बताया कि शुक्रवार देर रात एसडीएम और डीएसपी धरना स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने समस्याओं के समाधान के लिए सोमवार शाम तक का समय मांगा, लेकिन जब छात्राओं ने लिखित आश्वासन की मांग की तो अधिकारी वहां से चले गए। छात्राओं ने प्रशासन की अपील ठुकराई शुक्रवार देर रात प्रशासन की टीम ने धरना स्थल पर पहुंचकर छात्राओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन छात्राओं ने साफ कहा कि अब वे केवल कार्रवाई चाहती हैं, वादे नहीं। उनका कहना है कि पहले भी कई बार भरोसे दिलाए गए, लेकिन हर बार मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस बार वे निर्णायक लड़ाई के मूड में हैं। गिरफ्तारी और माइग्रेशन प्रमुख मांग छात्राओं की मुख्य मांग कॉलेज संचालक की गिरफ्तारी और सभी छात्राओं का किसी अन्य मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेज में माइग्रेशन है। उनका कहना है कि वे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, स्वास्थ्य मंत्री आरती राव, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया तक अपनी शिकायतें पहुंचा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गंभीर आरोप — पढ़ाई, सुरक्षा और सुविधाओं पर सवाल धरने पर बैठी छात्राओं ने कॉलेज की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि नर्सिंग कोर्स के लिए अनिवार्य अस्पताल ड्यूटी आज तक नहीं लगवाई गई, जो कोर्स की बुनियादी शर्त है। सवाल उठाने पर कॉलेज प्रबंधन अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है। करीब 300 छात्राओं पर केवल दो अध्यापिकाएं हैं, जिससे पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि कॉलेज में भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है — कई बार खाने में कीड़े मिलते हैं। बार-बार बिजली कटौती, मेडिकल सुविधा का अभाव और महिला सुरक्षा के इंतजाम न होने से छात्राएं परेशान हैं। उनका कहना है कि जो छात्राएं आवाज उठाती हैं, उन्हें टारगेट कर एडमिशन रद्द करने, डिग्री रोकने और मूल दस्तावेज न देने की धमकियां दी जाती हैं। प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग छात्राओं ने कहा कि अब वे केवल ठोस कार्रवाई चाहती हैं। उन्होंने प्रशासन से कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ सख्त कदम उठाने और सभी छात्राओं को सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई का अधिकार दिलाने की मांग की है।