2 दिन के लिए सीमांचल दौरे पर आए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, ओवैसी के इस बयान से सरकार के बनने-बिगड़ने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर भी हवा में छोड़े गए इस तीर से पटना से लेकर दिल्ली तक संदेश तो पहुंच ही गया है। ओवैसी के इस समर्थन से क्या आने वाले दिनों में सत्ता का गणित बदलेगा। वह समर्थन देकर कौन सा खेला करना चाहते हैं, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सबसे पहले जानिए, ओवैसी ने क्या कहा… 23 नवंबर को सीमांचल दौरे पर आए ओवैसी ने कहा, ‘हम नीतीश कुमार सरकार को समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन सीमांचल को न्याय मिलना चाहिए। विकास सिर्फ पटना और राजगीर तक नहीं रहना चाहिए। सीमांचल आज भी कटाव, पलायन, गरीबी और भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता दिखाएं।’ ओवैसी नीतीश को समर्थन देकर क्या साध रहे…4 पॉइंट में 1. नीतीश कुमार पर से प्रेशर कम कर, मजबूत कर रहे फिलहाल नीतीश कुमार भाजपा, LJP(R), HAM और RLM की मदद से सरकार चला रहे हैं। सीनियर जर्नलिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘नीतीश कुमार सेक्यूलर इमेज के नेता हैं। मुस्लिमों में उनको लेकर बहुत नाराजगी नहीं है। हालांकि, भाजपा के साथ जाने के कारण उनको वोट नहीं मिलता है।’ संजय सिंह कहते हैं, ‘फिलहाल नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में ज्यादा दिख रहे हैं। दबाव का असर ही है कि पहली बार उनको गृह मंत्रालय छोड़ना पड़ा है। ऐसे में ओवैसी के समर्थन देने से उनके लिए दूसरी तरफ की खिड़की खोलना आसान होगा। इससे भाजपा का प्रेशर कम हो सकता है।’ इसे ऐसे समझिए… चुनावी नतीजे ऐसे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ भी मिलकर सरकार बना सकते हैं। पॉलिटिकल एनालिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘अगर नीतीश कुमार मजबूत होते हैं तो ओवैसी को फायदा होगा, क्योंकि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की संभावना कम होगी। और ओवैसी बिहार में लंबे समय तक पॉलिटिक्स कर सकेंगे।’ ‘हालांकि, नीतीश कुमार को फिलहाल ओवैसी की कोई जरूरत नहीं है। वह नए समीकरण की तरफ ध्यान भी नहीं दे रहे हैं। लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता।’ 2. तेजस्वी से मुस्लिमों को अपनी तरफ खींचना पूरे चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी तेजस्वी यादव पर हमलावर रहे। तेजस्वी के चरमपंथी वाले बयान को तो उन्होंने अपनी पहचान से जोड़ दिया। डिप्टी CM के नाम का ऐलान नहीं करने पर भी उन्होंने घेरा। सीनियर जर्नलिस्ट प्रियदर्शी रंजन कहते हैं, ‘ओवैसी मुस्लिमों के हक के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं। वह लोगों को समझा रहे हैं कि जिसको आप वोट दे रहे हो वो आपकी नहीं, अपने परिवार के बारे में पहले सोचता है।’ RJD-कांग्रेस के मुस्लिम खिसक रहे हैं…इसे आंकड़ों से समझिए 3. घुसपैठ से बचाना और सीमांचल में धौंस जमाना सीमांचल एरिया के सीनियर जर्नलिस्ट अशोक कुमार कहते हैं, ‘ओवैसी को उन सीटों पर जीत मिली है, जहां मुस्लिम जिताने में सक्षम थे। 2020 में भी उनकी पार्टी इसी 5 सीटों पर जीती थी, इस बार भी यहीं जीती है।’ अशोक कुमार कहते हैं, ‘NDA बड़ी जीत के साथ सत्ता में आया है। घुसपैठ और विकास की बातें हो रही है। सीमांचल में घुसपैठ का मामला उठता रहा है, अगर यह जोर पकड़ा तो सत्ता का संरक्षण चाहिए होगा।’ वह कहते हैं, ‘ओवैसी नीतीश को समर्थन का ऐलान कर एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं। 4. विधायकों को टूटने से बचाना अशोक कुमार बताते हैं, ‘ओवैसी के 5 में से 4 विधायकों का बैकग्राउंड राजनीतिक नहीं है। वह पुराने नेता नहीं है। नए लोग हैं, ऐसे में सत्ता की चमक के आगे उनके टूटने का खतरा है। ज्यादा संभावना है कि उनके विधायक नीतीश कुमार की पार्टी JDU में चले जाए। इस डर से ओवैसी ने एक बयान दे दिया है- हम नीतीश कुमार के साथ हैं। इससे विधायकों के अंदर चल रही उठापटक खत्म हो सकती है।’ यह डर क्यों… 2022 में ओवैसी के 4 विधायक टूट गए थे