‘पूरे बिहार के लोगों ने नीतीश सरकार को फिर से चुना है। ऐसे में उन्हें घरेलू महिलाओं के लिए कुछ करना चाहिए। अब तक कई लोगों को 10 हजार रुपए नहीं मिले हैं। बिहार में फैक्ट्री लगानी चाहिए, ताकि रोजी-रोजगार मिले। चोरी-डकैती बंद हो, युवाओं बच्चों को नौकरी मिले, पढ़ाई और बेहतर हो, स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। हमारी सरकार से यही उम्मीद है।’ यह कहना है पटना शहर में रहने वाली आम जनता का। बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को जनता ने 243 में से 202 सीटों के साथ भारी बहुमत दिया है। चुनाव में मिली तीन चौथाई बहुमत का मतलब साफ है कि जितनी बड़ी जीत, उतनी ही ज्यादा लोगों की सरकार से उम्मीदें। नीतीश की नई NDA सरकार का गठन होते ही 26 मंत्रियों को तमाम विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। अब नई सरकार के सामने जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती है। NDA के घोषणापत्र में युवाओं, महिलाओं सहित विकास और रोजगार को लेकर कई घोषणाएं की गई। ऐसे में नीतीश-सम्राट सरकार के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं? नई सरकार से जनता की क्या उम्मीदें हैं? यह जानने के लिए भास्कर की टीम ने पटना वासियों से बात की। अब देखिए यह पूरी रिपोर्ट…। पहले नीतीश कुमार की नई सरकार से आम जनता की उम्मीदों को समझिए… महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ाई जाए- रेखा देवी पटना की स्थानीय रेखा देवी कहती हैं, ‘घर की महिलाओं के लिए सरकार कुछ न कुछ करना चाहिए। मुझे 10 हजार रुपए अभी तक नहीं मिला है। हालांकि, अब ज्यादा रात भी हो जाता है तो महिलाएं अपने घर सुरक्षित पहुंच जाती हैं, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ानी चाहिए।’ अफसर ईमानदारी के साथ काम करें- सिकंदर आजम पटना निवासी सिकंदर आजम कहते हैं, ‘नीतीश सरकार को इस बार जनता ने ज्यादा बड़ा बहुमत दिया है। सरकार चोरी न करे। अफसरों को ईमानदारी से काम करना होगा। बिहार गरीब राज्य है, इसको और गरीब बनाने का प्रयास न करें। रोजगार बढ़ाए सरकार, जात-पात छोड़े। चोरी-डकैती बंद हो, फैक्ट्री लगाए- रमेश साव पटना में कई साल से चाय बेच रहे रमेश साव कहते हैं, ‘सरकार को बिहार में फैक्ट्री लगानी चाहिए, ताकि गरीब लोगों को रोजी-रोजगार मिल सके। चोरी-डकैती बंद हो, इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।’ युवाओं को नौकरी दे सरकार- उमा पांडेय पटना निवासी उमा पांडेय कहती हैं, ‘पूरे बिहार के लोगों ने नीतीश सरकार को फिर से चुना है। बच्चों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, नौकरी देनी चाहिए। गली में सड़कें तो सरकार ने बनवा दिया। रोड, जल-नल, बच्चों को पढ़ने के लिए लोन भी सरकार दे रही है। लेकिन हम चाहते हैं कि बच्चों को नौकरी मिले, पढ़ाई को और बेहतर बनाएं, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले।’ अब जानिए कि नीतीश सरकार के सामने कौन-कौन सी बड़ी चुनौतियां हैं… 1. बेरोजगारी कम करना और पलायन रोकना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लगभग दो दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद बिहार को गरीबी और बेरोजगारी की समस्या से बाहर नहीं निकाल पाए हैं। सीमित रोजगार के अवसर की वजह से हर साल बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। चुनाव के समय भी यहां पलायन और युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा तेजस्वी यादव सहित पूरे विपक्ष ने जोर शोर से उठाया था। महागठबंधन ने तो अपने घोषणापत्र में हर घर में एक नौकरी देने का वादा भी किया था, जो काफी चर्चा में था। NDA ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं के लिए 1 करोड़ से अधिक सरकारी नौकरियां और रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया गया। इसके साथ ही हर जिले में मेगा स्किल सेंटर स्थापित किया जाएगा। राज्य में 35 लाख यूथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इन सभी को सरकार से उम्मीदें हैं कि जल्द से जल्द सरकार वैकेंसी लाएगी। ताकि नौकरी के लिए उन्हें अपने घर से ज्यादा दूर न जाना पड़े 2. महिला सशक्तिकरण को लेकर घोषणाओं को पूरा करना NDA को मिले भारी बहुमत के पीछे महिला वोट बैंक का बड़ा हाथ माना जा रहा है। बूथों पर वोट देने पहुंची महिलाएं पहले से काफी वोकल दिखीं। वे अपने लिए रोजगार और नौकरी की मांग करती दिखी। बिहार सरकार की नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण है। सरकार ने इसमें डोमिसाइल भी लागू कर दिया है। अब महिलाओं की नजर आने वाली वैकेंसी पर है। NDA की ओर से वादा किया गया है कि एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जाएगा। इस योजना के तहत उन्हें सालाना कम से कम एक लाख रुपए की आय होगी। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिला उद्यमियों को 2 लाख रुपए वित्तीय सहायता देने का वादा भी किया गया है। राजद सहित पूरे विपक्षी पार्टियों की नजर इस पर टिकी है कि सरकार जल्द से जल्द यह वादा पूरा करती है या फिर 10 हजार देकर ही निपटा देती है। अब इसे लागू करना सरकार के लिए बड़ा चैलेंज होगा। 3. औद्योगिकीकरण और कृषि क्षेत्र में विकास बिहार मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य है। यही वजह है कि यहां औद्योगिकरण की रफ्तार धीमी है। सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतियों में बड़ा बदलाव किया है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के अवसर कैसे बढ़े, इस ओर सरकार को ध्यान देना होगा। बिहार में उद्योगपतियों के नहीं आने की बड़ी वजह कनेक्टिविटी रही है। लेकिन अब सड़कों का विस्तार हुआ है और बिजली जैसी समस्या का समाधान हुआ है। कनेक्टिविटी को और दुरुस्त करने की जरूरत होगी, ताकि जिससे निवेशक आकर्षित हो सकें। इसके अलावा मजबूत बुनियादी ढ़ांचा भी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। किसानों को वार्षिक सहायता के रूप में ‘कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि’ के तहत 3000 रुपए अतिरिक्त दिए जाएंगे, जिससे प्रधानमंत्री सम्मान निधि के साथ कुल 9000 रुपए प्रति वर्ष मिल सकेंगे। वादा यह भी किया गया है कि सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी दी गई है। इसे ईमानदारी से जमीन पर उतारना होगा। 4.लॉ एंड ऑर्डर पर नियंत्रण नीतीश सरकार को विपक्ष जिस मुद्दे पर सबसे अधिक घेरता रहा, वह है राज्य का लॉ एंड ऑर्डर। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो सोशल मीडिया पर क्राइम-बुलेटिन जारी करना भी शुरू कर दिया था। लॉ एंड ऑर्डर नीतीश कुमार के शासन की USP रहा है, लेकिन हाल के दिनों में क्राइम काफी बढ़ी है। इस पर नीतीश कुमार को कई बार अफसरों पर भौंहे ताननी भी पड़ी। राज्य में काफी हद तक बढ़ते क्राइम की वजह जमीन-विवाद रहा है। इसलिए बेहतर लॉ एंड ऑर्डर के लिए भूमि-विवाद निपटारा कैसे हो, यह सरकार के लिए चैलेंजिंग होगा। इस चुनौति से निपटने के लिए सरकार ने जमीन सर्वे का काम कराया। सरकार ने राजस्व महाअभियान चलाया। भू समाधान- पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स लाए है। नई सरकार में गृह विभाग और भूमि से जुड़ा विभाग बीजेपी को दिया गया है। गृह विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी और भूमि राजस्व विभाग के मंत्री विजय सिन्हा बनाए गए हैं। दोनों विभागों में सरकार नए और बड़े फैसले क्या-क्या लेती है, इस पर सभी की नजर हैं। थाना स्तर पर फैले भ्रष्टाचार से निपटना भी सरकार के लिए चुनौती है। 5. शिक्षा और हेल्थ इंफ्रॉस्ट्रक्चर डेवलप करना राज्य में दो विभागों पर लोगों की सबसे अधिक नजर रहती है- शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग। दोनों विभागों का दायरा काफी बड़ा है। बिहार से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं। यही हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है। लोग इलाज कराने के लिए दिल्ली एम्स से लेकर PGI चंडीगढ तक जाते हैं। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने PMCH को विस्तार दिया है। पटना में AIIMS भी है, लेकिन मरीजों की भारी भीड़ और इलाज में देरी से लोग परेशान हैं। अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों का काफी कमी है। इसी वजह से प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज कराने को लोग मजबूर हैं। अस्पतालों में बड़ी संख्या में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की बहाली की जरूरत है। यही हाल बिहार के स्कूलों का भी है। यहां शिक्षकों और अन्य कर्मियों की बेहद कमी है। कई यूनिवर्सिटी की हालत तो काफी बदतर है। इन दोनों सेक्टर में स्थिति पहले से बेहतर तो हुई है, लेकिन लोगों का मानना है कि इसे और बेहतर करना जरूरी है। NDA ने वादा किया है कि गरीब परिवारों के बच्चों के लिए KG से PG तक मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। हर जिले में एक नया मेडिकल कॉलेज और एक विश्व स्तरीय मेडिसिटी स्थापित की जाएगी। गरीबों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज की सुविधा दी किया जाएगा। इसे सभी अस्पतालों में लागू कराया जा सके यह चैलेंज है। 6. जन कल्याणकारी योजनाओं की निरंतरता नीतीश सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज NDA के घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करना है। जिसमें महिलाओं को 2 लाख रुपए की सहायता राशि देना, एक करोड़ से ज़्यादा सरकारी नौकरी और रोजगार देना, राज्य के हर जिले में फैक्ट्री और 10 नए औद्योगिक पार्क बनाना, किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर 9 हज़ार रुपए करना, 50 लाख नए मकान, मुफ़्त राशन और 125 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी घोषणा शामिल है। इसके अलावा हर जिले में मेडिकल कॉलेज, चार नए शहरों में मेट्रो ट्रेन और EBC वर्ग की जातियों को 10 लाख रुपए तक की सहायता देने की भी घोषणा की गई है। नई सरकार के सामने इन कल्याणकारी योजनाओं की निरंतरता को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए सरकार को मजबूत वित्तीय ताकत की जरूरत होगी। केन्द्र और राज्य सरकार में बेहतर कॉर्डिनेशन है, इसलिए इससे जुड़ी बाधाओं का निपटारा सरकार कर सकती है। योजनाओं को जमीन पर उतारने में सबसे बड़ी दिक्कत प्रदेश में फैला भ्रष्टाचार है। इससे निपटना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। राज्य की आर्थिक स्थिति और वित्तीय दबाव… बिहार की प्रति व्यक्ति आय 66828 है, जबकि देश में यह 114710 है। यह बहुत बड़ा गैप है। NDA ने पंचामृत योजना का वादा किया है। इसके तहत अनाज, आवास, बिजली, सुरक्षा और चिकित्सा सेवा शामिल हैं। यह NDA सरकार की बडी पहल होगी। उद्देश्य राज्य के गरीबों को बुनियादी सुविधाएं और सम्मान प्रदान करना है। बिहार में 125 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 10 हजार रुपए जैसी स्कीम की वजह से वित्तीय संसाधन को संतुलित रखने में परेशानी हो सकती है। इसलिए यह सरकार के लिए यह चैलेंजिंग है। खर्च बढ़ने के साथ ऋण बढ़ने का जोखिम है। निजी निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा- अर्थशास्त्री अर्थशास्त्री डॉ. बख्शी अमित कुमार सिन्हा कहते हैं कि बिहार आधारभूत संरचना सहित शिक्षा और स्वास्थ्य के मामलों में लंबी छलांग लगाने की जरूरत है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सहित कौशल विकास, उन्नत कृषि और उद्योगीकरण से रोजगार सृजन बिहार को विकसित राज्य की श्रेणी में ला सकता है। इसके साथ ही राज्य के हर ब्लॉक में औद्योगिक इकाईयो के विस्तारीकरण से ही राज्य का पूरी तरह आर्थिक विकास संभव है। सरकार की सुपरवाइजरी और मॉनिटरिंग रोल काफी महत्व रहेगा। बच्चों और यूथ को नशा बर्बाद कर रहा- डॉ. दिवाकर तेजस्वी पटना के प्रख्यात फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि नई सरकार को काफी ताकत जनता ने दी है, इसलिए चुनौतियां भी बड़ी हैं। निचले स्तर पर जितने अस्पताल हैं, उसे मजबूत करना होगा। जांच और उपचार की मजबूत व्यवस्था करनी होगी। बिहार में अभी भी बायपास सर्जरी, बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए काफी मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है। रैपिड रिस्पांस टीम हर जगह होनी चाहिए। सरकार को मेडिकल कॉलेज की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए। सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार से निपटना है- वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी कहते हैं कि, सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने भ्रष्टाचार की है। सरकारी महकमे के नस-नस में भ्रष्टाचार घुस गया है। इसलिए कोई बड़ा कारोबारी यहां नहीं आता। शुरुआती दौर में नीतीश कुमार ने उद्योगपतियों को लाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। सरकार को अपनी नीति, रीति और सोच में बदलाव करना होगा। नौकरशाही रोड़ा बनी हुई है, लालफीताशाही चरम पर है। इन चुनौतियों को सरकार ने साध लिया और चकनाचूर कर दिया तो आगे का रास्ता साफ है। सरकार को गुजरात मॉडल अपनाना चाहिए कि वह प्रदेश कैसे विकसित हुआ और उसके लिए अहंकार छोड़ना चाहिए कि हम किसी कि नकल नहीं करेंगे। जहां अच्छी चीज दिखे, उसे अपनाना होगा। बिहार में भवन और सड़कें खूब बनीं, लेकिन शिक्षा की हालत बदतर है। हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज तो खोल दिए गए, जहां 10 रुपए हर माह लिया जाता है। इसलिए लोग अपने बच्चों को बिहार से बाहर पढ़ाना चाहते हैं। हर साल सीटें खाली रह जा रही हैं। इसकी पड़ताल करनी चाहिए। डॉक्टरों का गिरोह माल लूटने में लगा है।