पंजाब के अकाली नेता मजीठिया 7 दिन की रिमांड पर:इनकम से 540 करोड़ ज्यादा संपत्ति केस में अरेस्ट हुए, 2 जुलाई को अगली पेशी

पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने 7 दिन की रिमांड पर ले लिया है। गुरुवार को उनकी मोहाली कोर्ट में पेशी हुई थी। यहां कोर्ट में विजिलेंस ने 12 दिन की रिमांड मांगकर काफी देर तक बहस की। इसके बाद कोर्ट ने विजिलेंस को रिमांड दे दी। अब मामले में अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी। मजीठिया को आज टाइट सिक्योरिटी के बीच मोहाली कोर्ट में पेश किया गया था। यहां मजीठिया के समर्थक भी पहुंचे थे, लेकिन सुरक्षा दृष्टि से पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। वहीं, अकाली नेता दलजीत चीमा को भी कोर्ट के बाहर नहीं रुकने दिया। पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में लिया। बता दें कि पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने ड्रग मनी से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले मेंवरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को गिरफ्तार किया है। बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात उन्होंने विजिलेंस दफ्तर में ही बिताई। यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है। सभी राजनीतिक दल इस कार्रवाई को गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि विपक्ष को दबाने की कोशिश की जा रही है। इस पर CM भगवंत मान ने कहा है कि पूरे कानून के तहत कागजी कार्रवाई की गई है। जो लोग इनका साथ देंगे, वे भी दोषी होंगे। सरकारी वकीलों ने कोर्ट को क्या बताया … SIT जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत
सरकारी वकीलों ने कोर्ट में बताया कि एसआईटी की जांच के दौरान 540 करोड़ रुपए से ज्यादा की ट्रांजैक्शन में गड़बड़ी सामने आई है। इनकम टैक्स रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट और कंपनियों के लेन-देन में भारी अंतर पाया गया। जांच में यह भी पता चला कि विदेशी कंपनियों के माध्यम से पैसे भारत लाकर बाद में उन्हें कम कीमत पर सेटल कर दिया गया। 2007 से पहले के बैंक स्टेटमेंट में 161 करोड़ का अंतर
एसआईटी ने जब शुरुआती जांच की, तो पाया गया कि 2007 से पहले कुछ बैंक खातों के स्टेटमेंट और कंपनी के घोषित वित्तीय दस्तावेजों में बड़ा अंतर है। बैंक से जुड़े कुल लेन-देन 286 करोड़ रुपए तक पहुंचते हैं, लेकिन खातों में केवल 125 करोड़ रुपए की एंट्री दिखाई गई। यानी करीब 161 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं दिया गया है। ये पैसा कहां से आया, कहां गया और किस काम में लगा, इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है। मंत्री बनने के बाद कंपनियों में 236 करोड़ रुपए का अंतर
वकीलों ने बताया कि जब मजीठिया मंत्री बने, उस दौरान 2012-13 और 2013-14 में उनकी कंपनी की कमाई 1106 करोड़ रुपए दर्शाई गई। लेकिन बैंक खातों की जांच करने पर 1342 करोड़ रुपए तक की एंट्री दिखाई दी। यानी लगभग 236 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लेन-देन हुआ, जिसका कोई ठोस दस्तावेजी आधार या स्रोत पेश नहीं किया गया। साइप्रस से आए 141 करोड़ के लेन-देन संदिग्ध
जांच में पता चला कि साइप्रस की एक विदेशी कंपनी ने मजीठिया की भारतीय कंपनी के 35 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे। लेकिन इन्हीं शेयरों को बाद में मात्र 3.5 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। जबकि कंपनी फायदे में थी और उसके वैल्यूएशन ज्यादा थे। यही कंपनी बाद में ‘सराया’ नाम की एक फर्म को 90 करोड़ रुपए का लोन देती है, जिस पर सात साल में 44 करोड़ रुपए का ब्याज बनता है। यानी कुल रकम 134 करोड़ हो गई, लेकिन इसे सिर्फ 51 करोड़ में सेटल कर लिया गया। सरकारी वकीलों ने इसे सीधा 80 करोड़ रुपए की हेराफेरी बताया।

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