पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी अनुबंध कर्मचारी यूनियन ने सरकार के खिलाफ मंगलवार आधी रात से 11 जुलाई तक हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे 3000 से ज्यादा सरकारी बसें सड़कों से हट गई हैं। हड़ताल का असर सबसे ज्यादा दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान जाने वाले यात्रियों पर पड़ा है। हालांकि कुछ बसें स्थायी ड्राइवरों द्वारा चलाई जा रही हैं, लेकिन हर डिपो से बहुत कम बसें ही चल पा रही हैं। मंगलवार रात 12 बजे से पहले ही बसों की आवाजाही कम हो गई थी, क्योंकि शाम से ही लंबी दूरी की बसें बंद कर दी गई थीं। हड़ताल के चलते प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांग बढ़ गई है और यात्रियों को हरियाणा रोडवेज और हिमाचल की बसों पर निर्भर होना पड़ रहा है। काउंटरों पर बसें कम होने से यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अपनी मांगों को लेकर यूनियन ने किया ये ऐलान अपनी लंबित मांगों को लेकर संघर्ष कर रही यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो 10 जुलाई को चंडीगढ़ में विरोध रैली निकालकर मंत्रियों के घरों का घेराव किया जाएगा। पीआरटीसी यूनियन की डिपो 1-2 इकाई के नेताओं ने सरकार की नीतियों की आलोचना की। रोष प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि अनुबंध कर्मचारियों को पक्का करने, वेतन बढ़ाने, कर्मचारियों की बहाली समेत लंबित मांगों पर सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। इसी कारण यूनियन को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ा।