पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज 2 युवकों कृष्णा और जसकरण सिंह को अपने सीएम आवास पर बुलाकर सम्मानित किया है। उनके साथ बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर भी मौजूद थे। ये दोनों युवक वहीं है जिन्होंने बठिंडा नहर में जब 11 लोगों से भरी कार गिरी थी तो खुद अपनी जान जोखिम में डालकर नहर में कूदे थे। पुलिस के आने तक वह लोगों के रेस्क्यू में जुटे रहे थे। हालांकि बाद में जब सभी को सकुशल बाहर निकाल लिया गया तो इन रियल हीरो को पूरा जिला प्रशासन भूल गया था। वहीं 4 पुलिस कर्मियों को सीएम ने सम्मानित तक कर दिया था। जैसे ही यह मामला मीडिया में हाईलाइट हुआ तो सरकार को दोनों युवकों की याद आई। सीएम भगवंत मान ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी और खुद दोनों साथियों को जिला प्रशासन के साथ चंडीगढ़ अपने आवास पर बुलाया, जहां दोनों युवकों से मुलाकात कर उनसे सारी घटना की कहानी सुनी और उन्हें सम्मानित किया। सीएम मान ने पोस्ट में लिखा- बठिंडा पुलिस के जवानों के साथ मिलकर सरहिंद नहर में गिरी एक कार में सवार 11 लोगों की जान बचाने वाले जसकरण सिंह और कृष्ण कुमार को आज चंडीगढ़ में सम्मानित किया गया। मानवता का फर्ज निभा रहे इन युवाओं का हौसला बढ़ाया गया है। अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की अनमोल जान बचाने वाले इन युवाओं का साहस और बहादुरी हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। इन दोनों युवाओं को 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया जाएगा। क्या हुआ था उस दिन? चंडीगढ़ में सीएम द्वारा सम्मानित होने वाले पीसीआर कर्मी नरेंद्र सिंह ने बताया कि उस दिन वह सुबह ड्यूटी पर थे। एक आदमी आया और कहा कि नहर में गाड़ी गिर गई है, अगले दो मिनट में हम वहां पहुंच गए। मैंने छलांग लगा दी। मेरे पीछे साथी जसवंत ने भी छलांग लगा दी। हालांकि जसवंत को तैरना भी नहीं आता था मैंने पिछला शीशा तोड़कर पहले बच्चे को निकाला, इसके बाद दो महिलाओं को निकाला। हमारी टीम बाहर मौजूद थे। रस्सी के जरिए सबको बाहर निकाला। इस दौरान बच्चे के पेट से पानी निकाला गया। जसवंत सिंह ने कहा, “अगर मेरी जगह कोई भी होता, तो मेरे जैसे ही करता।” हालांकि, मुझे तैरना नहीं आता था, नहर पानी तेज था। ऐसे में खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला। हमें बहुत खुशी है कि सीएम ने हमें सम्मानित किया।