पूर्णिया के कॉलेज चौक रोड इलाके में 32 साल के प्रकृति प्रेमी श्रीनिवास गौतम रहते है। इन्हें लोग ट्री मैन के नाम से जानते हैं। श्री निवास गौतम 10 साल में 12 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। एक सप्ताह पहले सांसद पप्पू यादव ने भी इन से मुलाकात की और इनकी तारीफ भी की। श्रीनिवास कहते है कि ‘बचपन में जब मुझे दादा और पिता पैसे देते, तो मैं उन पैसों को खाने पीने की चीजों के पीछे खर्च करने के बजाय उसे जमा करता और उन रुपयों से पौधे खरीद लाता। दादा प्रकृति के प्रति मेरा ये लगाव देखकर तब बहुत खुश होते थे। पुराने घर में आज भले ही कोई नहीं रहता है, मगर दो दशक पहले लगाए गए पौधों को आज विशालकाय वृक्ष के रूप में देखकर अजब सी खुशी होती है।’ ‘स्कूल से लौटने पर भाई गांव के बच्चों के साथ खेलने चला जाता था और मैं बैग रखकर घर के बगीचे में चला जाता। पौधों को निहारता उन्हें रोजाना बढ़ता हुआ महसूस करता, साथ पढ़ने वाले दोस्त ये देखकर जंगली कहते थे। पेड़ पौधों से जुड़ी चीजें बातें करने और सवालों पर लोग कहते- तू अपनी बातें बंद कर, अमेजन के जंगलों में चला जा।’ आज वही लोग इन्हें ट्री मैन कहकर बुलाते है। 5 जून को जन्मदिन मनाते है श्रीनिवास ‘केक, दोस्त और परिवार के साथ रहते हुए उनके बीच अपना जन्मदिन तो हम में से हर कोई मनाता है। जन्मदिन हर किसी के लिए बेहद खास होता है, फिर चाहे आम हो या खास। इस लम्हे को फ्रेंड और फैमिली के बीच सेलिब्रेट करना हर किसी की हसरत होती है। श्रीनिवास बताते है कि प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम की वजह से मेरी सोच समाज के दूसरे लोगों से बिल्कुल अलग रही। हर साल विश्व पर्यावरण दिवस यानी कि 5 जून को मेरा जन्मदिन आता है।’ ’10 साल पहले ‘ग्रीन अर्थ ग्रीन पूर्णिया’ नाम से मैंने जो मुहिम छेड़ी, उसके जरिए 12 हजार से भी अधिक पौधे लगा चुका हूं। 2016 में नर्सरी खोली। कृषि वानिकी योजना के तहत गांव गोद में लिया। फ्रेंड और फैमिली के बीच बर्थडे सेलिब्रेट करने के बजाए अपना जन्मदिन पेड़ों के बीच मनाते हैं। हर साल जन्मदिन पर 200 से 500 पौधे लगाते हैं। अपनी सैलरी का 40 फीसद पेड़ पौधों पर खर्च करते हैं। ट्री मैन कहकर पुकारते हैं लोग डिप्टी डीएम विजय सिन्हा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, पूर्व पर्यावरण मंत्री नीरज सिंह बबलू, पूर्व पर्यावरण मंत्री डॉ प्रेम कुमार, सांसद पप्पू यादव, बनमनखी विधायक कृष्ण कुमार ऋषिदेव, सदर विधायक विजय खेमका प्रकृति प्रेम के कायल हैं। लोग आज उन्हें ट्री मैन कहकर पुकारते हैं। वे लोग जो कल तक पागल कहकर खिल्ली उड़ाते थे। आज उनकी मिसाल गढ़ते हैं।’ये कहानी है एस. एन. गौतम मूल रूप से बनमनखी प्रखंड के सुदूर गांव औराही के रहने वाले हैं। दादा लक्ष्मी नारायण चौधरी संपन्न किसान हैं। पिता अभय कुमार चौधरी कॉन्ट्रेक्टर, जबकि मां मुन्नी देवी हाउस वाइफ हैं। वे दो भाइयों में सबसे छोटे हैं। बड़ा भाई प्रिंस कुमार इंजीनियर हैं। दोनों शादीशुदा हैं। जन्मदिन पर छेड़ी मुहिम श्रीनिवास कहते है कि मैंने अपनी पूरी पढ़ाई पूर्णिया से ही की। साल 2013 में एमआईटी पूर्णिया में दाखिला लिया। साल 2013 में सिविल इंजीनियरिंग करते हुए मैंने विश्व पर्यावरण दिवस पर आने वाले जन्मदिन पर ‘ग्रीन अर्थ ग्रीन पूर्णिया’ नाम से मुहिम छेड़ी। ये पहला मौका था, जब उन्होंने अपना जन्मदिन पेड़ों के बीच मनाते हुए सेविंग मनी से 100 पौधे लगाए थे। एमआईटी पूर्णिया से सिविल इंजीनियरिंग करने के ठीक बाद ही साल 2017 में पूर्णिया कॉलेज में संचालित प्राक परीक्षा केंद्र में कोऑर्डिनेटर के लिए चयन हुआ। वे 9 साल से यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। परीक्षा केंद्र से जो भी समय मिलता है, उसे वे पेड़ पौधों के बीच गुजारते हैं। पेड़ों की कटाई रोकने का किया प्रयास 2013 में सिविल इंजीनियर की पढ़ाई के दौरान उन्हें मुहिम का ख्याल उस वक्त आया, जब उन्होंने शहर में इमारतें और नई बस्ती बसाने की होड़ में पेड़ों की कटाई होते देखी। ये देख ही पेड़ों की कटाई के खिलाफ मुहिम छेड़ा। विश्व पर्यावरण दिवस पर आने वाले अपने जन्मदिन से इसकी शुरुआत करते हुए सैकड़ों पेड़ लगाने की प्रथा प्रारंभ की। कोरोना काल में लगाए 200 पौधे कोरोना काल में जब पूरी दुनिया घर में कैद थी, उन्होंने इस दौरान भी 200 पौधे लगाए। पर्यावरण के प्रति समर्पण को देखते हुए आरएसएस की ओर से उन्हें पर्यावरण प्रमुख बनाकर पर्यावरण के संरक्षण का दायित्व दिया गया है। प्रयासों को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से उन्हें एग्रीकल्चर कार्ड भी दिया गया है। 2018 में पौधारोपण के लिए 80 हजार रुपए सरकारी फंड में डोनेट कर दिए थे। जन्मदिन पर एक पेड़ हर किसी को लगाना चाहिए। बीते कुछ सालों में दुनिया भर के मुल्कों में वृक्षों की कटाई में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। साल दर साल बेहद तेजी से पर्यावरण प्रदूषित हुआ है और मौसम का संतुलन बिगड़ा है। पेड़ की कटाई से मौसम का संतुलन बिगड़ा श्रीनिवास खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उनका जन्म विश्व पर्यावरण दिवस पर हुआ। प्रकृति के प्रति मेरा प्रेम बचपन से ही रहा है। बीते कुछ सालों में जिस तरह पूरी दुनिया में बेतहासा वृक्षों की कटाई का सिलसिला शुरू हुआ है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हुआ है और मौसम का संतुलन बिगड़ा है। इसलिए वह लोगों से पेड़ लगाने की खास पहल करते हैं। हर साल की तरह इस साल भी वे 5 जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस पर आने वाला जन्मदिन पौधों के बीच मना रहे हैं। इस बार शीशम, चंदन, सागवान, आंवला, आम, मोहगनी, अकेशिय और शहतूत समेत सौ से भी अधिक नस्लों के 500 पौधे गांव की जमीन, पार्क ,पूर्णिया कॉलेज ग्राउंड, सार्वजनिक पोखर और गांव के स्कूल में लगा रहे हैं। वन विभाग की ओर से गांव गोद लेकर पौधे लगाने वाले कृषि वानिकी पायलट प्रोजेक्ट से भी से जुड़े हैं। पर्यावरण और पेड़-पौधों के प्रति विशेष लगाव को देखते हुए वन विभाग समेत कई संस्थाओं की ओर से उनके कार्यों की सराहना भी हो चुकी है।