पानीपत के चर्चित जमीन विवाद मामले में नाबालिग को मुख्य जेल भेजे जाने के प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया है। शुक्रवार को जुवेनाइल कोर्ट के जज पुनीत लिंबा ने जिला बाल कल्याण समिति (CWC) की टीम के साथ पानीपत जेल का दौरा किया। जज ने शुक्रवार को जेल में बंद नाबालिग से मुलाकात कर उसके बयान दर्ज किए और मामले से जुड़े जांच अधिकारी (IO) प्रदीप कुमार का पक्ष भी सुना। नाबालिग ने बताया कि वह पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद डर गया था, इसलिए उसने अपनी उम्र और नाम गलत बताए थे। बच्चे ने कहा – डर के कारण बताई गलत उम्र, अब पछता रहा हूं
जज लिंबा के समक्ष नाबालिग ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसे यह नहीं पता था कि गलत जानकारी देने का परिणाम क्या होगा। वह बहुत डर गया था, इसलिए खुद को 19 साल का बताते हुए गलत नाम भी बता दिया। अब वह पछता रहा है कि गलत उम्र बताकर उलझ गया, जबकि वास्तव में उसकी उम्र 14 साल है। मामा ने दिए दस्तावेज, अब होगी वेरिफिकेशन
CWC के सदस्य मुकेश कुमार आर्य ने बताया कि नाबालिग के मामा ने उसकी उम्र से जुड़े तीन अहम दस्तावेज जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट और आधार कार्ड समिति को सौंपे हैं। ये दस्तावेज संबंधित विभागों को वेरिफिकेशन के लिए भेजे गए हैं। पुष्टि होने के बाद नाबालिग को पानीपत जेल से निकालकर करनाल स्थित बाल सुधार गृह शिफ्ट किया जाएगा। जमीन विवाद में हुआ था फायरिंग, 14 साल के लड़के को पकड़कर भेजा गया था जेल
16 जून को गांव रिशपुर की 15 एकड़ जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद हुआ था। गांव रिसालू निवासी नरेंद्र ने बताया कि यह जमीन उनके पिता राजपाल, ताऊ रमेश और धर्मबीर के नाम है। उन्होंने खेत में धान की पनीरी लगाई थी। उसी दिन कैराना क्षेत्र के एक गांव से 30-35 लोग हथियारों से लैस होकर ट्रैक्टर, स्कॉर्पियो और बाइक पर आए। उन्होंने जबरन खेत में ट्रैक्टर चलाना शुरू कर दिया। विरोध करने पर किसानों और पुलिस पर आठ राउंड फायरिंग की गई। फुटेज के आधार पर हुई गिरफ्तारी, नाबालिग ने बताया गलत नाम
पुलिस ने घटनास्थल की फुटेज के आधार पर दबिश दी और एक महिला व एक युवक को हिरासत में लिया। युवक ने खुद को 19 साल का बताते हुए गलत नाम-पता दिया। उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। जांच अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया था कि इसी आधार पर 17 जून को युवक को कोर्ट में पेश किया गया और सिवाह जेल भेज दिया गया। बाद में जब परिवार सामने आया तो असली जानकारी सामने आई और पता चला कि वह केवल 14 साल का है। मामा ने काटे थानों के चक्कर, फिर CWC से की शिकायत
नाबालिग के मामा ने बताया कि लड़के का न नाम एफआईआर में था और न ही उसकी उम्र की जांच हुई। पुलिस ने जिसे पकड़ा, उसका नाम भी गलत था। जब लगातार प्रयासों के बाद भी सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने बाल कल्याण समिति से संपर्क किया। मामला सामने आने के बाद बाल कल्याण समिति ने तत्काल संज्ञान लिया। CWC चेयरपर्सन पद्मा रानी ने एसपी से बैठक की मांग की और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को भी लेटर लिखा। इसके बाद ही जेल विजिट की प्रक्रिया शुरू हुई। IO से भी ली गई जानकारी, बनेगा जिम्मेदारी का सवाल
जेल विजिट के दौरान जांच अधिकारी प्रदीप कुमार को भी बुलाया गया। उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के समय लड़के ने गलत उम्र और नाम बताया था और उसके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं था। इसलिए उसे बालिग मानते हुए जेल भेजा गया। हालांकि, CWC मेंबर मुकेश आर्य ने स्पष्ट कहा कि अगर बच्चा डर के कारण गलत जानकारी देता है, तो जांच अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है कि वह एक बार उम्र की पुष्टि जरूर करे। गलती साबित हुई तो IO पर हो सकता है एक्शन
मुकेश आर्य ने कहा कि JJ Act बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है। अगर जांच में यह साबित होता है कि IO ने बिना वेरिफिकेशन के नाबालिग को जेल भेज दिया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कोई छोटी चूक नहीं, बल्कि एक गंभीर अधिकार हनन का मामला है, जिसमें उदाहरणात्मक कार्रवाई जरूरी है। अब सभी की निगाहें वेरिफिकेशन रिपोर्ट पर
जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की पुष्टि के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यदि दस्तावेज सही पाए गए, तो नाबालिग को जल्द ही बाल सुधार गृह में स्थानांतरित किया जाएगा और इस मामले में लापरवाही बरतने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी संभव है।