मैं अपने टीपीनगर आफिस से घर लौट रहा था। सड़क पर गड्ढे अधिक थे, इसलिए धीमी गाड़ी चला रहा था। मुबारिकपुर गांव से 300 मीटर पहले अचानक बाइक सवार दो युवकों ने सामने आकर ब्रेक लगा दिए। एक बोला- एक्सीडेंट करेगा। मैने कहा- नहीं एक्सीडेंट नहीं होगा तुम निकल जाओ। तुमने शराब पी रखी है। इसके बाद उन युवकों का पारा चढ़ गया। यह खुलासा भावनपुर पुलिस के उत्पीड़न से तंग आकर जहर खाने वाले ट्रांसपोर्टर पुष्पेंद्र नागर ने शुक्रवार को होश में आने के बाद पहली बार मीडिया के समक्ष किया। तभी बाइक से जा रहा ताऊ का बेटा योगेश वहां रुक गया। मौका पाकर एक आरोपी ने कमीज की जेब से 20300 रुपये निकाल लिए और भाग निकला। काफी देर तक किया पीछा, फिर पुलिस बुलाई पुष्पेंद्र ने बताया कि रुपये छिनने के बाद उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन उनका ताऊ का बेटा हरीश पीछे भाग लिया। उन्होंने भी पीछे कार दौड़ा दी। एक जगह पर हरीश ने आरोपी युवकों को रोककर पूछताछ शुरु कर दी। तभी उन्होंने डायल 112 को सूचना दे दी। मौका पाकर दोनों युवक वहां से भाग निकले। पंद्रह मिनट में पुलिस पहुंच गई। डायल 112 पर तैनात पुलिसकर्मियों ने मौका मुआयना किया। तब तक थाने के दो दरोगा व कांस्टेबल वहां पहुंच गए। छूटते ही गाली दी और अभद्रता शुरु कर दी जाते ही दरोगा ने उनके साथ अभद्रता कर दी। वह घटना को झूठ साबित करने में लग गए। पुष्पेंद्र ने आरोपियों की बाइक का नंबर दिया। एक दरोगा ने वह नंबर आगे फार्वर्ड किया। इसके बाद पुलिसकर्मी पुष्पेंद्र व उसके ताऊ के बेटे हरीश को थाने चलने की बात कहने लगे। उन्होंने बाइक पर चलने का दबाव बनाया लेकिन पुष्पेंद्र ने मना कर दिया। बोले- वह अपनी कार से ही चलेगा। कुछ देर बाद वह सभी थाने आ गए। पुष्पेंद्र ने बताया कि उसे एसओजी के प्राइवेट कमरे में ले जाकर बैठा दिया गया। पुष्पेंद्र से ही अपराधियों की तरह पूछताछ थाने में पुलिसकर्मियों ने उससे ही पूछताछ शुरु कर दी। पूछा- 20 हजार रुपये कहां से लाया था। पुष्पेंद्र ने बताया कि खरखौदा में एक दुकान है, जहां वह बिल्डिंग मटीरियल का सामान देता हूं। वहीं से पेयमेंट हुआ है। अचानक दरोगा के बोलने का टोन फिर बदला। इस बार उसने पुष्पेंद्र से पूछा कि तुम तो उनके साथ ही दारू पीते हो। दरोगा उल्टी सीधी बात करने लगे। तभी एसओ योगेंद्र कुमार वहां आ गए। उन्होंने गली देते हुए लूट की झूठी सूचना फैलाने का आरोप लगा दिया। इसके बाद पुलिसकर्मी उसे व उसके ताऊ के बेटे को अंदर लेकर जाते रहे और मारपीट कर झूठ बोलने का आरोप लगाने लगे। झूठा मेडिकल बनवाने का लगाया आरोप
पुष्पेंद्र बताते हैं कि थाने में पिटाई करने के बाद पुलिसकर्मी उन्हें प्यारे लाल जिला अस्पताल ले गये। बिना जांच कराए उसकी अल्कोहलिक रिपोर्ट बनवा ली और थाने आ गए। यहां दोनों से मारपीट कर यह कहलवाने का प्रयास किया गया कि उनके पास कोई लूट की घटना नहीं हुई है। पुलिसकर्मी इतने गुस्से में थे कि उन्होंने थाने आकर दोनों भाईयों को पीटना शुरु कर दिया। जैसे तैसे रात में उन्हें छोडृ़ा गया और परिजन पुष्पेंद्र को लेकर घर आ गए। गेहूं में लगने वाली पी7 दवा का किया सेवन सुबह पुष्पेंद्र हर रोज की तरह उठे लेकिन वह रात का मंजर नहीं भुला पा रहे थे। उन्होंने पशुओं को लगाने वाली दवा पी7 रख ली। घर से बाहर निकलते ही उनकी आंखों के सामने रात का मंजर घूमने लगा। इसी दौरान पुष्पेंद्र के अंकल राजेंद्र ने फोन पर बात की। उन्होंने पुष्पेंद को रोकने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माना। पुष्पेंद्र का बोलने का तरीका बदल गया। राजेंद्र ने उसे भाप लिया और तुरन्त उस स्थान पर पहुंच गए, जहां पुष्पेंद्र जहर खाकर बैठा था। आनन फानन में उसे ले जाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया।