प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने प्रत्याशी की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। पहली लिस्ट में दो विधानसभा सीट, जबकि दूसरी लिस्ट में पूर्णिया के तीन विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। जन सुराज ने कसबा विधानसभा से मोहम्मद इत्तेफाक आलम उर्फ मुन्ना, रुपौली विधानसभा से आमोद कुमार और बनमनखी विधानसभा से मनोज कुमार ऋषि का टिकट फाइनल किया है। इससे पहले बीते 9 अक्टूबर को जन सुराज ने कैंडिडेट से जुड़ी अपनी पहली लिस्ट जारी की थी। इसमें 51 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था। इसमें 2 विधानसभा सीट से 2 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई थी। जन सुराज ने अमौर विधानसभा सीट से अफरोज आलम और बायसी विधानसभा सीट से मोहम्मद शाहनवाज आलम को चुनावी मैदान में उतारा। दोनों सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। हालांकि पूर्णिया सदर और धमदाहा विधानसभा सीट को लेकर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा अभी भी बाकी है। सही तस्वीर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची आज जारी की गई दूसरी लिस्ट में 65 कैंडिडेट के नाम का ऐलान किया गया। इसमें तीन प्रत्याशी पूर्णिया के कसबा, रुपौली और बनमनखी विधानसभा के हैं। तीनों ही उम्मीदवार लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। दैनिक भास्कर डिजिटल के सर्वे में ये तीनों लोगों के सबसे पसंदीदा कैंडिडेट बने। भास्कर से बातचीत में भी खुले तौर पर स्वीकार किया कि भास्कर के सर्वे का इसमें बेहद योगदान है। सही तस्वीर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची। कसबा विधानसभा से मो इत्तेफाक आलम उर्फ मुन्ना (48) को टिकट मिला है। इन्होंने निजामिया मदरसा से मौलवी की डिग्री ली थी। पिछले 15 सालों से राजनीति में सक्रिय मो इत्तेफाक आलम उर्फ मुन्ना कसबा विधानसभा के श्रीनगर के गढ़िया बलुआ के रहने वाले हैं। इलाके में स्वच्छ छवि के नेता के तौर पर जाने जाते हैं। ये पिछले 15 सालों से राजनीति में सक्रिय है। इलाके के लोगों के बीच अच्छी पकड़ है। 10 सालों तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर कसबा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर इन्होंने चुनाव लड़ा था। इलाके में इनकी सक्रियता और सामाजिक भागीदारी को देखते हुए इस बार जनसुराज से मौका मिला है। रुपौली विधानसभा से आमोद कुमार (54) को मौका मिला है। इनकी जाति- धानुक ( कुर्मी) है। स्नातक तक इन्होंने पढ़ाई की है। रुपौली बॉर्डर से लगा हुआ है गांव ये मूल रूप से मधेपुरा जिला के चौसा के अरजपुर के रहने वाले हैं। ये गांव पूर्णिया जिले के रुपौली बॉर्डर से लगा हुआ है। पिछले 35 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। इलाके में स्वच्छ और बेदाग छवि है। राजद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। पटना के बी एन कॉलेज से छात्र जीवन के दौरान लालू प्रसाद यादव से प्रभावित हुए और राजनीति में उतरे। 1990 में लालू विचार मंच की स्थापना की। शरद यादव से मिले और राजद छोड़ जदयू ज्वाइन किया। 14 साल तक जदयू में अलग अलग पदों पर रहे। फिर से राजद में लौट आए। 2014 से 2019 तक आरटीए के सदस्य रहे। राजद में प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी मिली। 2021 के बाढ़ में पीड़ितों की मदद की कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद की खाद्य सामग्री पहुंचाई। 2021 के बाढ़ में पीड़ितों की मदद की। निःशुल्क सेवा शिविर के संस्थापक सदस्य हैं। ये संस्था हर साल शिविर सावन में कैंप लगाकर शिव भक्तों की सेवा करती है। बनमनखी विधानसभा से मनोज कुमार ऋषि (32) को मौका मिला है। ये जाति से मुसहर है। स्नातक तक पढ़ाई की है। ये बनमनखी विधानसभा के राज पीपरा के रहने वाले हैं। ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकाला ग्राम पंचायत राज पिपरा से वर्तमान मुखिया हैं। 2010 से ही राजनीत में सक्रिय हैं। स्वच्छ और बेदाग छवि के नेता के तौर पर जाने जाते हैं। इनका जीवन काफी संघर्षमय रहा। बनमनखी से वर्तमान विधायक कृष्ण कुमार ऋषि के घर पर रहकर काम किया। कामकाज के साथ पढ़ाई की। ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकाला। राजनीति में गहरी दिलचस्पी होने के कारण बीजेपी में शामिल हुए। वेब 2010 से 22 तक रहे। साल 2010 से 2019 तक दो बार पंचायत अध्यक्ष बने। साल 2016 में मुखिया का चुनाव लड़ा, मगर हार का सामना करना पड़ा। 2019 पंचायत प्रमुख बने। 2021 में दोबारा से पंचायत चुनाव में उतरे। इस बार मुखिया चुनाव में जीत मिली। प्रशांत किशोर से प्रभावित होकर 2023 में जनसुराज से जुड़े। 2024 से जनसुराज के अनुमंडल अध्यक्ष हैं। इससे पहले 9 अक्टूबर को जन सुराज ने कैंडिडेट से जुड़ी अपनी पहली लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में अमौर विधानसभा से अफरोज आलम और बायसी से मोहम्मद शाहनवाज आलम को टिकट मिला। अमौर विधानसभा से अफरोज आलम (46) को मौका मिला है। इनकी जाति सूरजपुरी मुस्लिम है। मैट्रिक तक शिक्षा ली है। अमौर के हरिपुर गांव के रहने वाले हैं। जीवन संघर्षमय रहा। 1999 में अमौर से पंजाब गए। लुधियाना में मजदूरी की। मजदूर यूनियन के लीडर बने। कांग्रेस के जेनरल सेक्रेटरी के पद पर जनरल सेक्रेटरी रहे। लोगों की मदद के लिए सुरजापुरी नौजवान कमिटी NGO बनाई। प्रवासी समुदाय के बीच पहचान बनाई अफरोज आलम पिछले 25 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 10 साल पंजाब के लुधियाना में रहकर बिहारियों की मदद की और प्रवासी समुदाय के बीच पहचान बनाई। पिछले 15 सालों से अमौर में सामाजिक और राजनीतिक काम में सक्रिय हैं। 2011 में पंजाब से अमौर लौटे। छोटे भाई की पत्नी को जिला परिषद चुनाव लड़ाया। इस चुनाव में 300 वोटों से हार मिली। 2016 में दोबारा से छोटे भाई की पत्नी को जिला परिषद चुनाव में उतारा। मगर इस बार 17 हजार वोटों से जीत दर्ज की। 2021 में लगातार दूसरी बार जिला परिषद चुनाव में 11 हजार वोटों से जीत मिली। अफरोज की जनसंपर्क और संगठनात्मक सक्रियता को देखते हुए जनसुराज ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। बायसी से मोहम्मद शाहनवाज आलम पर भरोसा मोहम्मद शाहनवाज आलम (50 साल) सूरजपुरी मुस्लिम है। B.Sc, B. Pharma, LLB की पढ़ाई की है। ये बाढ़ पीड़ितों की मदद में आगे रहे। मोहम्मद शाहनवाज आलम बायसी क्षेत्र में स्वच्छ छवि और समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं। वे पिछले 10 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। बायसी में AIMIM में 2015 से 2020, 5 साल तक जिलाध्यक्ष रहे। 2020 में राजद में शामिल हुए। युवा राजद के प्रदेश महासचिव रहे। बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगातार आगे रहे हैं। CAA और NRC के समय 70 दिन धरना देकर पहली बार लाइमलाइट में आए। वक्फ बिल के समय बायसी में उग्र आंदोलन किया। पार्टी ने उन्हें ईमानदार, जमीन से जुड़े और शिक्षित उम्मीदवार के रूप में टिकट दिया है। जन सुराज ने पूर्णिया जिले से जिन 2 चेहरों को उतारा है, वे दोनों सामाजिक काम और जनता के बीच पकड़ रखने वाले उम्मीदवार माने जाते हैं। पार्टी का लक्ष्य जिले में स्थानीय नेतृत्व को आगे लाना और जमीनी राजनीति को मजबूत करना बताया जा रहा है।