बठिंडा नहर हादसे में पुलिस कर्मी सम्मानित:सबसे पहले कूदे कांवड़िए कृष्णा को नहीं मिला सम्मान; बोले- दुख तो है, पर ऊपर वाले की मर्जी मंजूर

बठिंडा में दो दिन पहले हुए नहर हादसे में कार सवार 11 लोगों की जान बचाने वाले पुलिस जवानों को डीजीपी से लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान तक ने सम्मानित किया है। हालांकि, सबसे पहले जान की परवाह किए बिना नहर में कूदकर मदद करने वाले कांवड़िए कृष्णा को अभी तक कोई पूछने नहीं आया। जब चंडीगढ़ में पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया गया, तो मीडिया ने एसएसपी अमनीत कौंडल से कृष्णा के बारे में सवाल किया। उन्होंने बताया कि पुलिस के पहुंचने से पहले लोग बचाव में जुटे थे, लेकिन पुलिस ने जोखिम लेकर ऑपरेशन पूरा किया, इसलिए उन्हें सम्मानित किया गया है। एसएसपी ने बताया कि 15 अगस्त को इन जवानों को सीएम मेडल मिलेगा। वहीं, कृष्णा और एक अन्य व्यक्ति को भी अब जिला प्रशासन ने बुलाया है और उन्हें भी जल्द सम्मानित किया जाएगा। क्या हुआ था उस दिन? चंडीगढ़ में सीएम द्वारा सम्मानित होने वाले पीसीआर कर्मी नरेंद्र सिंह ने बताया कि उस दिन वह सुबह ड्यूटी पर थे। एक आदमी आया और कहा कि नहर में गाड़ी गिर गई है, अगले दो मिनट में हम वहां पहुंच गए। मैंने छलांग लगा दी। मेरे पीछे साथी जसवंत ने भी छलांग लगा दी। हालांकि जसवंत को तैरना भी नहीं आता था मैंने पिछला शीशा तोड़कर पहले बच्चे को निकाला, इसके बाद दो महिलाओं को निकाला। हमारी टीम बाहर मौजूद थे। रस्सी के जरिए सबको बाहर निकाला। इस दौरान बच्चे के पेट से पानी निकाला गया। जसवंत सिंह ने कहा, “अगर मेरी जगह कोई भी होता, तो मेरे जैसे ही करता।” हालांकि, मुझे तैरना नहीं आता था, नहर पानी तेज था। ऐसे में खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला। हमें बहुत खुशी है कि सीएम ने हमें सम्मानित किया। पुलिस के साथ ही जनता भी मदद के लिए आई नहर में सबसे पहले कार सवारों को बचाने के लिए छलांग लगाने वाले कृष्णा ने बताया कि वह हरिद्वार से कावड़ से जल लेकर आ रहे थे। वह पेशे से ड्राइवर हैं और बठिंडा में ही काम करते हैं। कृष्णा मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं। कृष्णा ने बताया कि वह 23 तारीख हरिद्वार से जल लेकर आ रहा था। तभी उन्हें गाड़ी नहर में तैरती हुई नजर आई। नहर के आसपास कोई दिख नहीं रहा था। मैने गाड़ी खड़ीकर नहर में छलांग लगा दी। जब मैं कार के पास पहुंचा, तो मैंने उन्हें निकालना शुरू कर दिया। जब उनसे पूछा गया कि पीसीआर कितनी देर बाद आई तो जवाब था कि पंद्रह मिनट बाद आई थी। बाद में एक मुलाजिम मेरे साथ मदद के लिए था। इसके बाद काफी लोग वहां जुटे और लोगों को बचाने में जुट गए। लोगों के जुटने के बाद मैं भी निकल गया था। क्योंकि मुझे गंगाजल शिवजी को अर्पित करना था । मेरे दिल को सुकून है कि सभी की जान बच गई। कृष्णा से जब पूछा गया कि सभी पुलिस मुलाजिमों को सम्मानित किया गया, लेकिन आपको नहीं। इस पर कृष्णा का जवाब था, “दुख तो होता है, लेकिन ऊपर वाले की जो मर्जी है, मैं उससे खुश हूं।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *